शराब बंदी के पक्ष में देश भर में उठने लगीं आवाजें

Edited By ,Updated: 17 Nov, 2015 11:25 PM

voices arose across the country in favor of temperance

देश में शराब पीने से सैंकड़ों परिवार उजड़ रहे हैं, युवा अपना जीवन तथा यौवन नष्ट कर रहे हैं और सड़क दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में मौतें हो रही हैं।

देश में शराब पीने से सैंकड़ों परिवार उजड़ रहे हैं, युवा अपना जीवन तथा यौवन नष्ट कर रहे हैं और सड़क दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में मौतें हो रही हैं। इन मौतों में सड़कों के किनारे बने शराब के ठेकों का बहुत बड़ा हाथ है जिनके निकट से गुजरते हुए वाहन चालक अक्सर शराब पी लेते हैं।

इसी कारण समय-समय पर सूझवान लोग शराब बंदी की मांग करते रहते हैं। राजस्थान में पूर्ण शराब बंदी की मांग पर बल देने के लिए 2 अक्तूबर 2015 से पूर्व विधायक गुरशरण छाबड़ा ने जयपुर में आमरण अनशन कर रखा था परंतु  32 दिनों के अनशन के बाद 3 नवम्बर को वह अपनी अधूरी इच्छा के साथ ही इस संसार से चले गए।
 
 इससे पूर्व भी वह शराब बंदी की मांग को लेकर कई बार अपनी जान जोखिम में डाल चुके थे। छाबड़ा के परिजनों का कहना है कि उनसे कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सरकारों ने धोखा किया। वह जब भी अनशन पर बैठते तो तत्कालीन सरकार किसी न किसी बहाने उनका अनशन तुड़वा देती पर इस बार उन्होंने आर-पार की लड़ाई लडऩे का फैसला किया और जिंदगी से हार गए। 
 
तमिलनाडु में जहां अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, द्रमुक सुप्रीमो करुणानिधि के बेटे एम.के. स्टालिन ने प्रचार यात्रा आरंभ कर रखी है। हाल ही में उनकी एक प्रचार यात्रा के दौरान हाथ में शराब की बोतल पकड़े अश्रुपूरित नेत्रों से एक युवती ने उनका रास्ता रोक लिया। 
 
युवती ने उन्हें बताया कि शराब की लत के कारण ही उसने अपने पिता को खो दिया और वह अनाथ हो गई। उसने कहा, ‘‘जब तक आप सत्ता में आने पर राज्य में शराब बंदी लागू करनेे का मुझे आश्वासन नहीं देंगे तब तक मैं आपका रास्ता नहीं छोड़ूंगी।’’  युवती की दयनीय हालत देखकर स्टालिन ने वायदा किया कि सत्ता में आने पर वह राज्य में शराब बंदी लागू करेंगे। 
 
पंजाब में भी ऐसी ही स्थिति है। यहां नैशनल व स्टेट हाइवेज के किनारे   बने शराब के ठेके उठवाने हेतु पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में एक एन.जी.ओ. द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई जारी है। अदालत ने 18 मार्च, 2014 को पंजाब सरकार को सड़कों के किनारे से ठेके हटाने का आदेश दिया था पर इस पर अब तक अमल नहीं हुआ।
 
याचिकाकत्र्ता ने 22 अक्तूबर, 2015 को न्यायालय को बताया था कि पंजाब सरकार द्वारा राजमार्गों से शराब के ठेके हटाने के आदेशों का पालन करने का हलफनामा दायर करने के बावजूद अभी तक हाइवे पर ठेके चल रहे हैं। 
 
इस पर जस्टिस ए.के. मित्तल ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए यह बताने को कहा था कि हाइवे के किनारों पर शराब के ठेके क्यों चलने दिए जा रहे हैं और इन्हें हटाने के लिए इसने क्या पग उठाए हैं? 
 
अब एक बार फिर 16 नवम्बर को पंजाब में नैशनल और स्टेट हाईवेज़ के किनारे चल रहे शराब के ठेके बंद नहीं होने पर माननीय न्यायाधीशों ने पंजाब के एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर को कड़ी फटकार लगाई तथा सुनवाई के लिए अगली तारीख 19 नवम्बर तय करते हुए हलफनामा दायर कर क्रियान्वयन रिपोर्ट या जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
 
माननीय न्यायाधीशों ने फिर कहा कि, ‘‘राजस्व कमाने के लिए क्या सरकार के पास सिर्फ हाइवे पर मौजूद ठेके ही बचे हैं? कमाई का विचार छोड़ सरकार हाइवे पर यात्रा करने वालों का जीवन बचाने का प्रबंध करे।’’ 
 
जस्टिस ए.के. मित्तल तथा जस्टिस रामेंद्र जैन की खंडपीठ ने पंजाब सरकार से कहा कि ‘‘नैशनल और स्टेट हाइवेज़ पर न तो ठेके दिखने चाहिएं और न ही इन्हें हाइवे से रास्ता दिया जाए।’’ 
 
शराबबंदी के पक्ष में उठने वाली आवाजें अभी तक अनसुनी ही  रही हैं और माननीय न्यायालय के आदेशों का पालन भी नहीं किया जा रहा। शराब एवं अन्य नशों से होने वाली भारी हानियों के बावजूद हमारी सरकारों ने इस ओर से आंखें मूंद रखी हैं क्योंकि हमारे नेता तो शराब को नशा ही नहीं मानते और सरकारें इसकी बिक्री से होने वाली भारी-भरकम आय को खोना नहीं चाहतीं। इसलिए वे हर वर्ष इसका उत्पादन बढ़ा देती हैं।
 
सड़क दुर्घटनाओं के अलावा शराब के सेवन से पनपने वाले विभिन्न रोगों के कारण भी बड़ी संख्या में मौतें होती हैं। अत: जब तक देश में शराबबंदी लागू नहीं की जाएगी और हाइवेज के किनारे चल रहे शराब के ठेके बंद नहीं किए जाएंगे तब तक परिवार लगातार उजड़ते ही रहेंगे।      
 

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