क्यों झिझक रहा है चुनाव आयोग

Edited By ,Updated: 01 Apr, 2019 02:24 AM

why is the election commission hesitant

1999 में 13वीं लोकसभा के चुनावों में पहली बार इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल हुआ था। भारत की जनसंख्या के 1 अरब का आंकड़ा पार करने के साथ ही चुनाव प्रक्रिया में सही समय पर हुआ यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण सुधार था। इससे पहले परिणामों की घोषणा में...

1999 में 13वीं लोकसभा के चुनावों में पहली बार इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल हुआ था। भारत की जनसंख्या के 1 अरब का आंकड़ा पार करने के साथ ही चुनाव प्रक्रिया में सही समय पर हुआ यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण सुधार था। इससे पहले परिणामों की घोषणा में चुनाव आयोग को साढ़े तीन दिन तक लग जाते थे। वह भी चुनाव समाप्त होने के 1 या 2 दिन का अंतराल लेने के बाद। चुनाव परिणामों की घोषणा के लिए मतों की गिनती देश भर में लगातार की जाती थी। 

चुनाव आयोग परिणामों की घोषणा बिना किसी भ्रम के स्पष्ट तथा प्रभावी ढंग से करता रहा है तो शायद इसकी एक वजह उसका अच्छी तरह प्रशिक्षित स्टाफ है परंतु आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू के नेतृत्व में 21 विपक्षी दलों के नेताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि इस महीने होने वाले लोकसभा चुनावों में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में वोटिंग मशीनों की कम से कम 50 प्रतिशत वी.वी.पैट पॢचयों की गणना की जाए। 

हालांकि, उनकी इस मांग पर सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाब में चुनाव आयोग ने कहा है कि ऐसा करने से बहुत अधिक समय की खपत होगी।आयोग के अनुसार 50 प्रतिशत वी.वी.पैट पर्चियों का मिलान किया गया तो चुनाव परिणामों की घोषणा में कम से कम 5 दिन की देरी होगी। इसका मतलब है कि 23 मई को शुरू होने वाले लोकसभा चुनावों के नतीजे ज्यादातर मामलों में 28 मई को ही घोषित हो सकेंगे जबकि कितने ही संसदीय क्षेत्रों में 400 से अधिक मतदान केन्द्र हैं जहां वी.वी.पैट पर्चियों की गिनती पूरी करने में 8 से 9 दिन लग जाएंगे यानी वहां परिणाम 
केवल 30 या 31 मई को ही जारी हो सकेंगे। चूंकि वी.वी.पैट पर्चियों की दोबारा गिनती करने की मांग भी नियमित रूप से होती है तो इसमें और भी अधिक समय लगना तय है। 

इनकी गिनती के लिए चुनाव अधिकारियों को व्यापक प्रशिक्षण देने की आवश्यकता होती है, ऐसे में फील्ड में अधिक अधिकारियों की आवश्यकता होगी। अतिरिक्त वी.वी.पैट काऊंटिंग बूथ स्थापित करने के लिए बड़े काऊंटिंग हाल की भी आवश्यकता होगी जिनका इंतजाम करना पहले से ही कुछ राज्यों में एक बड़ी समस्या है। आयोग के अनुसार वी.वी.पैट पर्चियों की गणना का वर्तमान तरीका सबसे अधिक उपयुक्त है। आयोग ने प्रति विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केन्द्र से औचक तरीके से वी.वी.पैट पॢचयों की गणना की प्रणाली को सही ठहराया है। चुनाव आयोग ने अपने जवाब में 21 विपक्षी नेताओं की याचिका खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि वे वी.वी.पैट पर्चियों की अचानक गणना संबंधी मौजूदा व्यवस्था में बदलाव के लिए एक भी ठोस आधार बताने में असमर्थ रहे हैं। 

आयोग का मानना है कि विपक्षी नेताओं की मांग के अनुरूप कुल 10.35 लाख ई.वी.एम्स की कम से कम 50 प्रतिशत वी.वी.पैट पर्चियों की गणना भी की जाए तो भी वोटिंग मशीनों पर वोटरों के विश्वास की दर में मामूली अंतर पड़ेगा जो फिलहाल 99.99 प्रतिशत है। आयोग का कहना है कि उसने वी.वी.पैट पर्चियों की गणना के लिए राजनीतिक दलों की मांग पर गौर करने के लिए इंडियन स्टैस्टिकल इंस्टीच्यूट, चेन्नई मैथेमैटिकल इंस्टीच्यूट तथा एन.एस.एस.ओ. के सोशल स्टैटिस्टिक्स डिवीजन के विशेषज्ञों की एक स्वतंत्र समिति की स्थापना की थी। 22 मार्च को दी रिपोर्ट में इसने सिफारिश की है कि आगामी चुनावों में कुल ई.वी.एम्स के बदले में 479 ई.वी.एम्स की वी.वी.पैट पर्चियों की गणना करना वोटरों के 99.99 प्रतिशत विश्वास स्तर को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त है। 

इसके अनुसार फिर भी लोकसभा चुनावों में 4,125 ई.वी.एम्स की वी.वी.पैट पर्चियों की गणना करने का निर्देश दिया गया है जो विशेषज्ञ समिति की सिफारिश से भी 8.6 गुना अधिक है। बेशक चुनाव आयोग विपक्षी दलों की इस मांग को अव्यावहारिक बता कर खारिज कर रहा हो परंतु उसे इस महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर अवश्य देना चाहिए कि क्या परिणामों की घोषणा में लगने वाला वक्त संस्था की विश्वसनीयता से भी अधिक महत्वपूर्ण है। 

इस मामले में उठने वाले कुछ अन्य प्रश्न हैं कि आखिर अब आयोग की विशेषज्ञता तथा कुशलता कहां गई? कहीं इसकी वजह उसकी झिझक या आलस तो नहीं है? आखिर क्यों आयोग अपनी विश्वसनीयता के लिए सिस्टम में और सुधार का इच्छुक नहीं है? कम से कम सिंवग वोट वाले लोकसभा क्षेत्रों में तो वी.वी पैट पर्चियों की गिनती अवश्य की जानी चाहिए। शायद चुनाव आयोग को विंस्टन चर्चिल की यह बात याद रखने की जरूरत है कि ‘सुधार के लिए बदलाव आवश्यक है परंतु परिपूर्ण बनने के लिए एक पर्याप्त बदलाव की जरूरत होती है।’

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!