‘विश्व का सर्वाधिक खतरनाक देश’ बना अब अफगानिस्तान

Edited By Pardeep,Updated: 22 Nov, 2018 04:06 AM

world s most dangerous land  now afghanistan

अफगानिस्तान इस्लामी गणराज्य की गणना मध्य एशिया के देशों में होती है। आधुनिक काल में 1933-1973 के बीच का समय इसका स्वर्णकाल और शांत समय रहा जब यहां जहीर शाह का शासन था। इसके बाद पहले यहां जहीर शाह के जीजा और बाद में कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा सत्ता पलट...

अफगानिस्तान इस्लामी गणराज्य की गणना मध्य एशिया के देशों में होती है। आधुनिक काल में 1933-1973 के बीच का समय इसका स्वर्णकाल और शांत समय रहा जब यहां जहीर शाह का शासन था। इसके बाद पहले यहां जहीर शाह के जीजा और बाद में कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा सत्ता पलट के कारण यह अस्थिरता का शिकार हो गया व आज तक इससे उबर नहीं पाया। 

सोवियत सेनाओं ने कम्युनिस्ट पार्टी की मदद से यहां कदम रखा और मुजाहिद्दीन ने इनके विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया परंतु बाद में अमरीका तथा पाकिस्तान के संयुक्त प्रयास से सोवियतों को यहां से वापस जाना पड़ा। 11 सितम्बर, 2001 को अमरीका के ‘ट्विन टावर’ पर हमले में मुजाहिद्दीन का सहयोग होने की खबर के बाद अमरीका ने अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्से पर सत्तारूढ़ मुजाहिद्दीन (तालिबान) के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया। 

वर्तमान में अमरीका द्वारा तालिबान पर आक्रमण किए जाने के बाद हिंसा से लहूलुहान अफगानिस्तान में मित्र देशों ‘नाटो’ की सेनाएं मौजूद हैं। हालांकि वहां देश में लोकतांत्रिक सरकार का शासन है परंतु तालिबान ने फिर से कुछ क्षेत्रों पर कब्जा जमा लिया है और अमरीका का आरोप है कि पाकिस्तान की धरती पर तालिबान को फलने-फूलने दिया जा रहा है। पिछले कुछ समय के दौरान अफगानिस्तान में कई हिंसक हमले हुए हैं जिसमें सैंकड़ों लोग जान गंवा चुके हैं जबकि राजधानी काबुल को विश्व का सर्वाधिक आतंकग्रस्त और आतंकवाद से प्रभावित शहर कहा जाता है। 

इस वर्ष वहां अब तक 20 से अधिक आत्मघाती हमले हो चुके हैं। शहर के हालात इतने नाजुक हैं कि यहां लगभग हर 2 सप्ताह में धमाका हो ही जाता है। जब राजधानी का यह हाल है तो देश के अन्य हिस्सों की हालत का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। काबुल में लोग मजाक में कहते हैं कि काबुल का चिडिय़ाघर यहां का सर्वाधिक सुरक्षित स्थान है जहां सिवाय एक बार के कभी कोई हिंसक घटना नहीं हुई। इस्लामिक स्टेट जिसे अफगानिस्तान में ‘इस्लामिक स्टेट खुरासान’ के नाम से जाना जाता है तथा तालिबान ने हाल ही के दिनों में इन हमलों की जिम्मेदारी ली है जिनके चंद ताजा हमले निम्न में दर्ज हैं : 

05 सितम्बर को काबुल के एक कुश्ती क्लब में तालिबान के जुड़वां बम धमाके में कम से कम 26 लोग मारे गए। 18 अक्तूबर को कंधार के गवर्नर, पुलिस प्रमुख और इंटैलीजैंस प्रमुख की हत्या कर दी गई। 20 अक्तूबर को काबुल में हुए आत्मघाती हमले में 15 लोग मारे गए। 29 अक्तूबर को काबुल में इस्लामिक स्टेट द्वारा निर्वाचन कार्यालय पर आत्मघाती हमले में एक पुलिस अधिकारी मारा गया। 31 अक्तूबर को पुल-ए-चर्खी जेल की गाड़ी को निशाना बना कर किए गए हमले में 7 लोग मारे गए तथा अनेक घायल हो गए। 

08 नवम्बर को अफगानिस्तान में ख्वाजागढ़ जिले में सेना की चौकी पर तालिबान के हमले में 10 सैनिकों की मृत्यु हो गई। इसी दिन फराह प्रांत में तालिबान ने हमला करके 7 पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी। और अब 20 नवम्बर को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक धार्मिक आयोजन को निशाना बना कर किए गए आत्मघाती विस्फोट में कम से कम 50 लोगों की मृत्यु और 83 अन्य घायल हो गए। 

पैगम्बर मोहम्मद के जन्म दिन के मौके पर एक मैरिज पैलेस में आयोजित उलेमा परिषद की एक सभा को निशाना बनाया गया। हमले के समय यहां लगभग 1000 लोग मौजूद थे। काबुल पुलिस के प्रवक्ता बशीर मुजाहिद के अनुसार, ‘‘आत्मघाती हमलावर ने हाल में घुस कर भीड़ के बीचों-बीच पहुंचकर खुद को विस्फोट से उड़ा दिया। विस्फोट ने लोगों को लगभग बहरा कर दिया और हर कोई सहायता के लिए चिल्लाने लगा।’’ 

इसी महीने तालिबानी आतंकवादियों ने दशकों से चले आ रहे संघर्ष को खत्म करने पर चर्चा करने के लिए रूस द्वारा आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लिया था परंतु अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है। यह सिलसिला कहां जाकर रुकेगा यह कहना मुश्किल है। आज अफगानिस्तान आम लोगों के लिए ही नहीं, देश-विदेश के पत्रकारों के लिए भी विश्व का सर्वाधिक खतरनाक देश माना जाने लगा है।—विजय कुमार

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