पाकिस्तान के मुंह पर तमाचा मार चली गई आसिया

Edited By ,Updated: 17 May, 2019 01:38 AM

aasia pampered on pak s mouth

आसिया बीबी पाकिस्तान पर तमाचा मार कर कनाडा चली गई। आसिया ने जितनी यंत्रणा भुगती है, वह पाकिस्तान का अल्पसंख्यकों और महिलाओं के मामले में असली चेहरा उजागर करता है। मलाला युसुफ जई के बाद आसिया महिलाओं के अधिकारों और जागरूकता का चेहरा बन गई। हालांकि...

आसिया बीबी पाकिस्तान पर तमाचा मार कर कनाडा चली गई। आसिया ने जितनी यंत्रणा भुगती है, वह पाकिस्तान का अल्पसंख्यकों और महिलाओं के मामले में असली चेहरा उजागर करता है। मलाला युसुफ जई के बाद आसिया महिलाओं के अधिकारों और जागरूकता का चेहरा बन गई। हालांकि आसिया को मलाला की तरह किसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने ब्रांड एम्बैसेडर नहीं बनाया, लेकिन इससे आसिया के संघर्ष की चमक कम नहीं होती है। भारत पर अल्पसंख्यकों के मामले में उंगली उठाने वाले पाकिस्तान को अपने गिरेबां में झांक कर देखना चाहिए कि आसिया मामले में कैसे पूरे विश्व में उसकी किरकिरी हुई है? 

आसिया हमेशा के लिए कनाडा बेशक चली गई पर अपने पीछे पाकिस्तान की अवाम और उसके हुक्मरानों के लिए सवालों का जखीरा छोड़ गई है। इनमें प्रमुख सवाल अल्पसंख्यकों के साथ धर्म की आड़ में अत्याचारों के साथ महिलाओं की नारकीय हालत है। इस लिहाज से पाकिस्तान अभी तक आदिम युग में ही जी रहा है। कहने को वहां सिर्फ लोकतंत्र है, किन्तु असल में वहां अभी तक कट्टरपंथी और कठमुल्ला ही हावी हैं। शासनतंत्र के मामले में पाकिस्तान की हालत कबीलों में चलने वाले कानून जैसी है। 

ईशनिंदा का लगा आरोप
मध्य पंजाब में मजदूरी करने वाली ईसाई महिला आसिया के खिलाफ पाकिस्तान के बर्बर कानून ईशनिन्दा के आरोप में मुकद्दमा दर्ज किया गया था। गौरतलब है कि ईशनिन्दा के मामले में पाकिस्तान में मृत्युदंड का प्रावधान है। इस कानून को वर्ष 1980 में तत्कालीन तानाशाह जनरल जिया उल हक ने कट्टरपंथियों का समर्थन हासिल करने के लिए लागू किया था। वर्ष 1986 में इसमें संशोधन करके फांसी की सजा का प्रावधान शामिल किया गया। इसी कानून के तहत आसिया को वर्ष 2010 में फांसी की सजा सुनाई गई। 

आसिया के वकील ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा। इसके खिलाफ आसिया ने वर्ष 2014 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने चार साल तक चले मुकद्दमे के बाद आसिया को बरी कर दिया। निर्दोष होने के बावजूद करीब नौ साल तक जेल की यंत्रणा भोगने के बाद उसे नवम्बर 2018 में मुल्तान जेल से रिहा किया गया। इस अवधि में भी जेल में हमला होने के डर से उसे अलग-थलग रखा गया।

देश के कठमुल्लाओं और कट्टरपंथियों को सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला रास नहीं आया। उन्होंने इस मुद्दे पर जेहाद छेड़ दिया। कट्टरपंथी संगठनों ने पाकिस्तान में उपद्रव मचा दिया। हिंसक प्रदर्शन हुए। कानून-व्यवस्था पटरी से उतर गई। पाकिस्तान में शिक्षा और जागरूकता के बजाय धार्मिक उन्माद किस कदर हावी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आसिया की रिहाई का समर्थन करने पर पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या कर दी गई। तासीर ने ईशनिन्दा कानून को बदले जाने की जरूरत बताई थी। इतना ही नहीं, आसिया की पैरवी करने वाले वकील को जान बचाने के लाले पड़ गए। कट्टरपंथी उसे जान से मारने के लिए पीछे पड़ गए। सुप्रीम कोर्ट से रिहा होने के बाद भी आसिया पर मौत का खतरा मंडराता रहा। रिहा होने के बाद भी डर के मारे उसे गुमनामी में ही रहना पड़ा। 

इस बीच उसने गुपचुप पाकिस्तान छोडऩे के प्रयास शुरू कर दिए। उसके प्रयासों को सफलता मिली। आसिया को कनाडा में शरण मिल गई। ब्रिटिश प्रधानमंत्री थैरेसा मे ने आसिया को शरण देने के मामले में कनाडा सरकार की तारीफ की। आसिया को जैसे-तैसे देश छोडऩे में सफलता मिल गई, किन्तु आसिया जैसी और भी महिलाएं हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आने के बजाय दफन होकर रह गईं। यह सिलसिला निरंतर जारी है। उन्हें ऐसे जालिम कानूनों के तले तिल-तिल करके दम तोडऩा पड़ रहा है। आसिया प्रकरण से पता चलता है कि पाकिस्तान में अभी मानवाधिकार, जागरूकता और तालीम आम लोगों से कोसों दूर है। पाकिस्तान न सिर्फ  आतंकवाद के मामले में पूरे विश्व में बदनाम है, बल्कि महिला अत्याचारों के मामले में भी अव्वल है, विशेषकर अल्पसंख्यकों के अत्याचारों के मामले में यह सुर्खियों में रहा है। 

हिंदू लड़कियों के अपहरण में भी हुई फजीहत
पिछले दिनों ही हिन्दू बालिकाओं का जबरन अपहरण कर उनका धर्म परिवर्तन कर निकाह रचा दिया गया। इस मुद्दे पर भी पाकिस्तान की खूब फजीहत हुई। इमरान खान की सरकार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारी शॄमदगी का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान वैसे तो हर मामले में भारत से होड़ करता नजर आता है किन्तु अपने देश में बने आदिम कानूनों को नहीं देखता। विज्ञान और प्रगति के इस दौर में पाकिस्तान के तंत्र की डोर अभी भी कट्टरपंथियों के हाथों में है। पाकिस्तान कई बार ऐसे मुद्दों पर शर्मसार हो चुका है, किन्तु अभी तक सुधार करने की बजाय भारत के प्रति ईष्र्या-द्वेष से दुबला हुआ जा रहा है। 

वैसे भी पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के लिए नरक से कम नहीं है। अमरीका के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हिन्दू, सिख और क्रिश्चियन अल्पंसख्यकों के हालात भयावह हैं। इन समुदायों पर जमकर अत्याचार हो रहे हैं। वर्ष 2017 में 231 अल्पसंख्यकों की हत्या कर दी गई और करीब 691 लोग हमलों में घायल हुए। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का ताकत के बूते धर्मांतरण जारी है। अल्पसंख्यकों के हितों की आवाज उठाने वाली मानवाधिकार कार्यकत्र्ता असमां जहांगीर की हत्या कर दी गई। भारत के प्रति दुश्मनी का भाव छोड़ कर पाकिस्तान को सुधारों का रास्ता अख्तियार करना होगा, वरना विश्व स्तर पर न सिर्फ उसकी विश्वसनीयता संदिग्ध बनी रहेगी बल्कि आतंकवादियों के कारण शर्मसार होता रहेगा।-योगेन्द्र योगी

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!