40 वर्षों बाद हो पाया मां से मिलन

Edited By ,Updated: 27 Nov, 2019 03:13 AM

after 40 years i met my mother

डैविड किलडैंडल निल्सन का 40 वर्षों के अंतराल के बाद अपनी मां के साथ चेन्नई में मिलन हो पाया। डेनमार्क में रहने वाले निल्सन का असली नाम शांता कुमार है और उनका जन्म 25 जनवरी1978 को धनलक्ष्मी तथा कालियामूर्ति  के घर पर हुआ था। धनलक्ष्मी ने अपने पति से...

डैविड किलडैंडल निल्सन का 40 वर्षों के अंतराल के बाद अपनी मां के साथ चेन्नई में मिलन हो पाया। डेनमार्क में रहने वाले निल्सन का असली नाम शांता कुमार है और उनका जन्म 25 जनवरी1978 को धनलक्ष्मी तथा कालियामूर्ति  के घर पर हुआ था। धनलक्ष्मी ने अपने पति से अलगाव के बाद अपने 2 बच्चों निल्सन तथा मैन्युअल राजन के साथ पल्लावरम में एक चैरीटेबल अनाथालय में शरण ली। एक वर्ष के बाद धनलक्ष्मी को यह स्थान छोड़ने के लिए कहा गया।

अनाथालय ने दावा किया कि धनलक्ष्मी की उपस्थिति वहां पर रह रहे अन्य बच्चों को बीमार कर रही है। उसे कहा गया कि वह अपने बच्चों को मिलने के लिए कभी-कभार आ जाया करे। एक दिन ऐसा आया कि अनाथालय प्रबंधन ने धनलक्ष्मी को कहा कि उसके दोनों बच्चों को विदेश भेजा जाएगा ताकि दोनों का भविष्य उज्ज्वल हो सके। उसको यह नहीं पता था कि बच्चों को गोद लेकर बाहर भेजा जा रहा है। 

नीदरलैंड्स आधारित एक एन.जी.ओ. जो कि बाल तस्करी के विरुद्ध  मुहिम चलाता है, की अंजलि पवार का कहना है कि कुछ माह के उपरांत धनलक्ष्मी का पति फिर लौट आया और दोनों के तीसरी संतान हुई। इस बार उसने अपने बच्चे को किसी को देने के लिए साफ मना कर दिया। अंजलि ने ही अपने सहयोगी अरुण दोहले के साथ मिलकर निल्सन की अपनी मां धनलक्ष्मी को ढूंढने में मदद की थी। 

फरवरी 2013 में निल्सन को कुछ दस्तावेज मिले और उसमें उसने पाया कि उसका एक भाई मैन्युअल राजन भी है जिसे डेनमार्क के एक व्यक्ति ने गोद लिया था। निल्सन ने अपने भाई को ढूंढा और डी.एन.ए. टैस्ट करवाया। इससे पता चला कि दोनों आपस में सगे भाई हैं।  इसके बाद निल्सन के मन में इच्छा जागी कि अपने जैविक माता-पिता को ढूंढा जाए। उसने चेन्नई में एक खोज मुहिम चलवाई। मीडिया में छपे आलेखों के बाद पल्लावरम अनाथालय के पादरी की पत्नी तथा बेटी की निगाह उस पर पड़ी। उन्होंने ही धनलक्ष्मी का चित्र निल्सन को भेजा। पुराने चित्रों को देखकर निल्सन ने पोस्टर चस्पाए ताकि उसकी मां की नजर उन पर पड़े। 

टी.वी. कार्यक्रमों ने की ढूंढने में मदद
इस घटनाक्रम में धनलक्ष्मी के लिए आशा की किरण तब जागी जब उसके रिश्तेदारों ने एक टी.वी. कार्यक्रम देखा जिसमें निल्सन के बारे में जानकारी दी गई और उससे सम्पर्क साधा गया। उसके बाद मां-बेटे ने वीडियो के माध्यम से एक-दूसरे से मुलाकात की तथा 40 सालों बाद मां ने अपने बेटे का चेहरा देखा। निल्सन ने कहा कि जब उसने अपनी मां को देखा तो उसने उसको अपने आलिंगन में ले लिया। तब मेरी खुशी की कोई सीमा नहीं रही। निल्सन और धनलक्ष्मी के बीच केवल भाषा का बंधन था क्योंकि धनलक्ष्मी को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं था। 

निल्सन ने अपनी मां को अपने बचपन की कुछ तस्वीरें दिखाईं। निल्सन का कहना था कि मैं चाहता था कि मेरी मां मेरी जिंदगी के प्रत्येक पहलू को देखे कि मैंने अपना जीवन किस-किस मोड़ पर कैसे-कैसे बिताया। हालांकि निल्सन को यकीन है कि धनलक्ष्मी ही उसकी मां है लेकिन अभी डी.एन.ए. की रिपोर्ट आना बाकी है जिसके बाद पता ही चलेगा कि धनलक्ष्मी ही उसकी जैविक मां है। 

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