बहुत सफाई पसंद होती हैं चींटियां

Edited By ,Updated: 07 Aug, 2019 04:26 AM

ants like cleaning a lot

आप में और चींटी में क्या अंतर है? युद्ध करने से लेकर गुलाम बनाने तक, दवाइयों का आविष्कार करने से लेकर खेती करने तक, वे हर काम मनुष्यों की तरह ही करती हैं, बल्कि और बेहतर ढंग से करती...

आप में और चींटी में क्या अंतर है? युद्ध करने से लेकर गुलाम बनाने तक, दवाइयों का आविष्कार करने से लेकर खेती करने तक, वे हर काम मनुष्यों की तरह ही करती हैं, बल्कि और बेहतर ढंग से करती हैं। 

-प्रत्येक सघन समुदाय में, चाहे मानव, स्तनपायी या कीट हो, स्वच्छता एक समस्या है। पृथ्वी पर निवास करने वाले सभी प्राणियों में से मनुष्य संभवत: सबसे गंदा है, जो अपने जहरीले मल को हर जगह फैलाता है और इसके प्रदूषणकारी प्रभावों के बारे में बहुत कम ध्यान रखता है। लेसियस नाइगर चींटियां घोंसले में रहती हैं और जर्मनी के रेगेन्सबर्ग विश्वविद्यालय के प्लोस वन जर्नल के अनुसार वे अपने घोंसले के एक कोने का उपयोग आम शौचालयों के रूप में करती हैं। चींटियां आमतौर पर बहुत साफ घोंसला रखती हैं और अक्सर बचे हुए भोजन तथा मृत शरीर जैसे हानिकारक कचरे को बाहर फैंक देती हैं। इस ढेरदार सूखे कचरा को रक्षा के लिए, निर्माण सामग्री के रूप में और उनकी फसलों के लिए खाद के तौर पर रखा जाता है। 

लेसियस नेग्लैक्टस कामगार घोंसले को कीटाणुरहित करने के लिए प्यूपे को अलग-अलग करके उन पर एसिड छिड़क देती है। अगर प्यूपा के शरीर में चींटी को मारने वाला फंगस पाया जाता है तो उन्हें मार कर अंतड़ी बाहर निकाल दी जाती है। उन्हें कैसे पता चलता है कि किस किशोर को मारना है जबकि फंगल संक्रमण अभी भी अपनी अंडे वाली अवधि में था और इससे पहले कि यह दृश्य या संक्रामक हो जाए? मानो या न मानो, विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, ऑस्ट्रिया के शोधकत्र्ताओं के अनुसार, प्यूपा खुद कॉलोनी को बचाने के लिए एक बेहतरीन परोपकारी कृत्य के तौर पर उसे ढूंढने/खा लेने का संकेत देता है।

-रोग जीवों की घनी आबादी के बीच जल्दी से फैल सकते हैं, चाहे वे भीड़-भाड़ वाले शहरों में रहने वाले लोग हों या फिर चींटियों जैसे सामाजिक कीड़ों के समूह। जब मनुष्य किसी पैथोजन से संक्रमित होते हैं, तो प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी नामक प्रोटीन को बाहर निकालती है जो शरीर की रक्षा में तेजी लाते हैं। आर.एस.ओ.एस. में प्रकाशित नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवॢसटी के एक अध्ययन के अनुसार कुछ चींटी प्रजातियां बीमारी को रोकने के लिए एंटीमाइक्रोबियल ‘पैथोजन को मारने वाले रासायनिक यौगिकों’ का उपयोग करती हैं। इन एंटीमाइक्रोबियल यौगिकों को चींटियों द्वारा अपने स्वयं के शरीर पर, उनके घोंसले के साथियों और उनके घोंसलों पर लगाया जाता है। 

इन यौगिकों को एंटीमाइक्रोबियल बैक्टीरिया से प्राप्त किया जा सकता है, उदाहरण के लिए लीफकटर चींटियां अपने शरीर पर ऐसे बैक्टीरिया को पालती हैं जो उन्हें उन परजीवियों से होने वाले संक्रमण से बचाता है जो उनके द्वारा भोजन के लिए उगाई जाने वाली फंगस पर पलते हैं। अन्य चींटी प्रजातियां पेड़ की गोंद को एकत्र करती हैं। ये माइक्रोबियल कॉलोनी के साथ सांझा किए जाते हैं। 

उग्र होता है स्वभाव
-चींटियों के पास सभी तरह के अलग-अलग हथियार होते हैं। अक्सर चींटियां अन्य कालोनियों के सदस्यों को गिरा देने के लिए सहयोग करेंगी या दुश्मन को पकड़ कर उनके टुकड़े-टुकड़े कर देंगी। चींटियां वास्तव में काफी उग्र होती हैं। अन्य चींटियों के सिर या पेट में ऐसी ग्रंथियां होती हैं, जो अपने शत्रुओं को भ्रमित करने के लिए विषैले रसायनों को छोड़ती हैं। उनकी रणनीति शारीरिक लड़ाई से लेकर रासायनिक युद्ध तक होती है, ठीक वैसे ही जैसे इंसानों में होती है। उनके युद्ध बड़े पैमाने वाले, गहन, रणनीतिक होते हैं। मार्क मोफेट की पुस्तक एडवैंचर्स इन आंट्स बर्बर और विचित्र युद्ध की रणनीतियों को दर्शाती है- जो मानवों जैसी ही हैं। 

130 सेना चींटी प्रजातियां रोमन सेनाओं की तरह कार्य करती हैं। एक विशाल, एकजुट मोर्चे के रूप में आगे बढ़ते हुए, वे पूरी तरह से दुश्मन को पराजित करने के लिए पूर्णत: आश्चर्य के तत्व पर निर्भर करती हैं। एक बार नए इलाके का खाना खा लेने के बाद, सेना आगे बढ़ जाती है। मानव सेनाओं के समान ही, जो युवा और अनुभवहीन को पैदल सैनिकों या पैदल सेना के रूप में आगे रखती हैं, चींटियां भी सबसे छोटे, सबसे कमजोर, बूढ़ी चींटियों और अपंगों को आगे की पंक्ति में रखती हैं। वास्तव में, ताकतवर असली योद्धा दुश्मन की प्रतीक्षा में पीछे होते हैं जहां पहुंचने तक शत्रु सस्ते कामगारों से लड़ते हुए थका हुआ होता है तथा उनकी संख्या भी कम हो जाती है। फिर बड़े आकार के, बड़े जबड़े वाले हत्यारे आगे बढ़ते हैं और दुश्मन को मौत के घाट उतार देते हैं। और जहां चींटियां अपने समुदाय के लिए मरने हेतु तैयार रहती हैं, वे व्यावहारिक भी होती हैं। मोफेट कहते हैं कि ‘‘एक चींटी दूसरी चींटी को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में नहीं डालेगी,  वे काम पूरा करने के लिए जाती हैं, एक-दूसरे का ख्याल रखने नहीं।’’ 

गुलाम बनाने वाली चींटियां
-गुलाम बनाने वाली चींटियां अन्य चींटी कॉलोनियों पर हमला करती हैं, उनके अंडों और लारवा को पकड़ती हैं, उन्हें अपने घोंसले में वापस लाती हैं और उन्हें अपनी कालोनी के श्रमिक बल को बढ़ाने के लिए गुलाम के रूप में पालती हैं। गुलाम बनाने वाले घोंसले में आने के बाद, गुलाम श्रमिक इस तरह से काम करते हैं जैसे कि वे अपनी कॉलोनी में हों, जबकि गुलाम बनाने वाले केवल पड़ोसी घोंसले से श्रम बल को फिर से लाने पर ध्यान केन्द्रित करते हैं। एक कॉलोनी एक ही मौसम में 14,000 प्यूपे पकड़ कर ला सकती है। अधिकांश गुलाम-हमलावर? केवल युवाओं को पकड़ते हैं, लेकिन स्ट्रांजीलोग्नैथस चींटियां वयस्क श्रमिकों को भी गुलाम बनाती हैं। 

गुलाम बनाने वाली चींटियों के घोंसले में अंडों से निकलने वाले मजदूर, कामगारों को पालेंगे, भोजन देंगे तथा काम पर रखेंगे, शत्रुओं से घोंसले की रक्षा करेंगे और यहां तक कि छापे में शामिल होंगे, जिसमें उनकी मूल कॉलोनी में छापा भी शामिल होगा। कुछ मामलों में, गुलाम चींटियों ने उन्हें गुलाम बनाने वाली चींटियों के खिलाफ विद्रोह किया, जिसमें बड़ी संख्या में गुलाम बनाने वाली चींटी संतानों की मृत्यु हो गई। इस प्रकार, दास चींटियां अपनी मूल कॉलोनियों को गुलाम बनाने वाली चींटियों द्वारा आगे के छापों से बचाती हैं। 

ऐसे किया जाता है विद्रोह पर काबू 
-अन्य चींटी कालोनियों के विपरीत, सभी डायनासोर चींटियां प्रजनन करने में सक्षम हैं। तथापि, अभी भी एक ही रानी है, जो बीटा मादाओं से घिरी हुई है। यदि रानी का कोई भी नौकर सत्ता के लिए लालची हो जाता है और अंडे देने तथा रानी बनने का निर्णय लेता है, तो इसे बाकी दरबारियों द्वारा वश में किया  जाता है और चार दिनों तक जमीन पर दबा कर रखा जाता है, जब तक कि विद्रोह की भावना समाप्त न हो जाए। 

-ड्रैकुला चींटियां पृथ्वी पर सबसे तेज पशु हैं। रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस के एक अध्ययन के अनुसार, एक प्रजाति, मिस्ट्रियम कैमिला, की जबड़े की एक जोड़ी होती है, जो 90 मीटर प्रति सैकेंड या 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से झपटती है। यह आपके द्वारा अपनी आंख को झपकने से 5,000 गुना ज्यादा और आपके अपनी उंगलियों को हिलाने से 1,000 गुना तेज हैं। उनका नाम उनके नरभक्षी पोषण आदतों से निकला है, चूंकि वयस्क चींटियां ठोस भोजन को प्रोसैस करने में असमर्थ हैं, वे अपने लारवा को लकवाग्रस्त दीमक या सैंटीपीड्स जैसे शिकार खिलाती हैं और फिर अपने लारवा में छेद करके उसके खून को पीती हैं। 

-वीवर्स चींटियां, ओकोफाइला स्मार्गदीना पेड़ों की पत्तियों से घरों का निर्माण करती हैं। उनका लारवा एक पतले रेशम का उत्पादन करता है जो गोंद के रूप में कार्य करता है और पत्तियों को एक साथ चिपका देता है। 

-लीफकटर चींटियां पूर्णकालिक किसान हैं। वे अपने तीखे जबड़ों से ताजा पत्तियों को काटती हैं और अपने घोंसले में एक विशेष प्रकार के बैक्टीरिया को खाने के लिए लाती हैं जो चींटियों के साथ रहते हैं। वह बैक्टीरिया चींटियों के लिए भोजन का स्रोत बनने के लिए फंगी में विकसित होता है।-मेनका गांधी
 

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