छोटे दलों ने राजग और महागठबंधन को चिंता में डाला

Edited By ,Updated: 15 Sep, 2015 01:52 AM

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बिहार विधानसभा चुनाव कार्यक्रम घोषित होते ही राज्य में राजनीतिक और प्रशासनिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। विभिन्न दलों के नेताओं के घरों और कार्यालयों पर टिकट अभिलाषियों की कतारें लगने लगी हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव कार्यक्रम घोषित होते ही राज्य में राजनीतिक और प्रशासनिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। विभिन्न दलों के नेताओं के घरों और कार्यालयों पर टिकट अभिलाषियों की कतारें लगने लगी हैं।

एक ओर अधिकारियों के थोक तबादले किए जा रहे हैं तो दूसरी ओर चुनाव लडऩे के लिए धन इधर से उधर करने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। इसका पहला शिकार बना है प्रवीण कुमार जो भाजपा नीत राजग के नए गठबंधन सहयोगी ‘हिंदुस्तान अवाम मोर्चा’ (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी का बेटा है और उसकी कार से 4.65 लाख रुपए बरामद किए गए हैं।
 
जहां तक नीतीश कुमार और लालू यादव नीत ‘महागठबंधन’ का संबंध है, जद (यू) व राजद के तीन महत्वपूर्ण नेताओं पूर्व मंत्री रेणु कुमारी कुशवाहा, विधायक डा. सुनील कुमार व राजद के पूर्व विधायक बृज किशोर ने भाजपा में तथा राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और ‘ब्राह्मण चेहरे’ रघुनाथ झा ने सपा में शामिल होकर नीतीश कुमार और लालू यादव की चिंता बढ़ा दी है। 
 
रही-सही कसर ‘सपा’ व ‘राकांपा’ ने महागठबंधन से अलग होकर अपना एक अलग मोर्चा बना कर बिहार में सभी सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा करके पूरी कर दी है। पप्पू यादव के ‘जन अधिकार मोर्चा’ और पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि की ‘समरस समाज पार्टी’ के भी ‘सपा-राकांपा’ वाले मोर्चे में शामिल होने की संभावना बनी हुई है। इस मोर्चे द्वारा राकांपा के मुस्लिम चेहरे तारिक अनवर को भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया जाएगा।
 
 भाजपा नीत राजग में भी राम विलास पासवान (लोजपा) व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (हम) के बीच एक समान सीटों की मांग को लेकर कलह की स्थिति पैदा हो गई थी। अंतत: लगभग एक सप्ताह से राजग के घटक दलों में जारी गतिरोध को समाप्त करते हुए सोमवार को सर्वसम्मति से सीटों के बंटवारे की घोषणा कर दी गई । 
 
इसके अनुसार भाजपा 160, ‘लोजपा’ 40, ‘राष्ट्रीय लोक समता पार्टी’ 23 और जीतन राम मांझी की ‘हम’ 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगी। नवीनतम समाचार के अनुसार मांझी तो मान गए हैं परन्तु 40 सीटें मिलने से पासवान नाराज हो गए हैं जो 42 सीटों की मांग कर रहे थे।  
 
इस बीच ‘आल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन’ (ए.आई.एम.आई.एम.) के भड़काऊ भाषण करने वाले नेता असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में 25 सीटों पर अलग चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है। 
 
एक ओर तो भाजपा नेता ओवैसी की घोषणा से अंदर ही अंदर खुश हैं क्योंकि उनका मानना है कि ओवैसी मुसलमानों के वोट काट कर भाजपा को लाभ पहुंचाएंगे परंतु दिखाने के लिए वे उसकी भारी आलोचना भी कर रहे हैं। 
 
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ओवैसी को ‘शैतान’ बताते हुए कहा है कि ‘‘ऐसे लोगों से भाजपा का दूर-दूर का कोई रिश्ता नहीं है। पहले लालू अकेले जाति का जहर फैला रहे थे लेकिन अब ओवैसी भी चुनाव मैदान में आ गए हैं। एक करेला और दूसरा नीम चढ़ा।’’
 
जहां भाजपा के विरोधियों ने ए.आई.एम.आई.एम. (ओवैसी) को भाजपा की ‘बी टीम’ बताया है, वहीं भाजपा की गठबंधन सहयोगी शिवसेना ने भी बिहार में स्वतंंत्र रूप से 50 सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा करके भाजपा को दुखी और नीतीश कुमार व लालू को खुश होने का मौका दे दिया है।
 
इस तरह कटने वाले भाजपा के हिंदू वोटों का ‘महागठबंधन’ को लाभ मिल सकता है क्योंकि कुछ सीटों पर भाजपा व शिवसेना आमने-सामने भी होंगी। शिवसेना के संजय राऊत ने कहा है, ‘‘भाजपा से मिल कर चुनाव लडऩे का सवाल ही नहीं। जो लोग सोचते हैं कि शिवसेना के आने से वोट बंट जाएंगे, उन्हें टिकट बांटते समय हमारा भी ख्याल रखना चाहिए था।’’  
 
यहीं पर बस नहीं, ‘राजग’ और ‘महागठबंधन’ के विरुद्ध चुनाव लडऩे के लिए व वामपंथी दलों ने भी अपना मोर्चा बना कर राज्य की सभी 243 सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है।
 
इस दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नीतीश और लालू से मिल कर उनके गठबंधन में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की है तथा 5 सीटें मांगी हैं जिससे महागठबंधन को लाभ हो सकता है।
 
इस प्रकार कांटे की टक्कर में ये चुनाव ‘राजग’ व ‘महागठबंधन’ के बीच सीधा मुकाबला न रह कर दिलचस्प रूप धारण करते दिखाई दे रहे हैं तथा छोटे दलों ने ‘राजग’ और ‘महागठबंधन’ दोनों के लिए चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है। 

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