बी.एस.एफ. के बढ़े अधिकार पर बेवजह की तकरार

Edited By ,Updated: 18 Oct, 2021 03:55 AM

b s f unnecessary dispute over the increased authority of

सीमा सुरक्षा बल (बी.एस.एफ.) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले पर पंजाब और पश्चिम बंगाल में सियासी तूफान आ गया है। संविधान की 7वीं अनुसूची के अनुसार कानून और व्यवस्था के लिए पुलिस है, जिस पर राज्य सरकारों का अधिकार होता है। लेकिन

सीमा सुरक्षा बल (बी.एस.एफ.) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले पर पंजाब और पश्चिम बंगाल में सियासी तूफान आ गया है। संविधान की 7वीं अनुसूची के अनुसार कानून और व्यवस्था के लिए पुलिस है, जिस पर राज्य सरकारों का अधिकार होता है। लेकिन सीमावर्ती राज्यों में विदेशी ताकतों पर अंकुश लगाकर देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की विशेष जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। 

यह भी जानना जरूरी है कि धारा 139 के तहत जारी इस अधिसूचना को संसद की मंजूरी लेना जरूरी होगा। संसद ने जो कानून बनाया, उसके अनुसार 1969 में पहली बार बी.एस.एफ. को गिरफ्तारी का अधिकार मिल गया था। मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख राज्यों के पूरे इलाके में बी.एस.एफ. के पास गिरफ्तारी, जब्ती और छापे मारने का अधिकार है। 

सी.आई.एस.एफ., एस.एस.बी. और आई.टी.बी.पी. जैसी केंद्रीय एजैंसियों को भी बड़े पैमाने पर ऐसे अधिकार हासिल हैं। बी.एस.एफ.पर गृह मंत्रालय की नई अधिसूचना के बाद गुजरात में अधिकार क्षेत्र को घटाकर 80 किलोमीटर से 50 किलोमीटर कर दिया गया है। जबकि पंजाब, असम और पश्चिम बंगाल में इसे 15 कि.मी. से बढ़ा कर 50 किलोमीटर कर दिया गया है। नई अधिसूचना के अनुसार सी.आर.पी.सी. और पासपोर्ट कानून के तहत ही बी.एस.एफ. के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने की बात है। 

एन.डी.पी.एस. एक्ट, कस्टम्स एक्ट, पासपोर्ट एक्ट और आम्र्स एक्ट के तहत केंद्र सरकार की अनेक एजैंसियों को पहले से ही पूरे राज्य में कार्रवाई के अधिकार हासिल हैं। इसलिए बी.एस.एफ. के अधिकार क्षेत्र पर हो हल्ला मचाना संवैधानिक लिहाज से ठीक नहीं है। नए नियम के बाद बी.एस.एफ. यदि कोई गिरफ्तारी या जब्ती करेगी तो एफ.आई.आर. दर्ज करके मामले की जांच और चार्जशीट फाइल करने का अधिकार स्थानीय पुलिस के पास ही रहेगा। 

तालिबान और आई.एस.आई. का गठजोड़ और ड्रोन का बढ़ता इस्तेमाल : पंजाब के लगभग 50 हजार वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल में लगभग 600 किलोमीटर लम्बी पाकिस्तानी सीमा है। परंपरागत घुसपैठ से निपटने के लिए पाकिस्तान की सीमा पर सन 1992 में केंद्र सरकार ने पंजाब में तारबंदी की बड़ी कार्रवाई की थी। पाकिस्तानी सीमा के 50 कि.मी. के दायरे में अधिकार बढऩे से लगभग 25 हजार वर्ग कि.मी. के क्षेत्र में बी.एस.एफ. के पास कार्रवाई के लिए कानूनी शक्ति बढ़ जाएगी, जिसे आधे पंजाब पर केंद्र सरकार का कब्जा बताया जा रहा है। 

यह समझना जरूरी है कि 21वीं शताब्दी में तकनीक के विकास के साथ सुरक्षा को चौकस रखने के लिए नए कदम उठाना जरूरी हो गया है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का खात्मा होने के बाद पंजाब की सीमा पर पाकिस्तान की सरगर्मी बढ़ गई है। ड्रोन के माध्यम से निगरानी, नशीली दवाओं, हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी के मामलों में काफी बढ़ौतरी हुई है। तकनीक से उपजे इस नए संकट से निपटने के लिए बी.एस.एफ. का परंपरागत सीमा के दायरे से बाहर अधिकार बढ़ाना जरूरी हो गया था, जिसे सियासी रंग देना ठीक नहीं है। 

केंद्र और राज्यों के बीच संवाद जरूरी : 26 नवम्बर, 1950 को संविधान लागू होने से पहले डॉक्टर बी.आर. अंबेडकर ने संविधान सभा में कहा था कि संविधान के प्रावधान अच्छे-बुरे नहीं होते, संविधान को लागू करने वालों की नीयत और क्षमता से भारत में संवैधानिक व्यवस्था की सफलता का निर्धारण होगा। संविधान के अनुसार देश में अनेक राज्य हैं लेकिन पूरे देश की सुरक्षा और एकता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार के पास विशेष अधिकार हैं। पिछली यू.पी.ए. सरकार ने 2011 में केन्द्रीय सुरक्षा बलों का अधिकार पूरे देश में बढ़ाने के लिए राज्यसभा में जब विधेयक पेश किया था तब तत्कालीन विरोधी दल भाजपा ने उसे संविधान विरोधी बताया था। भारी विरोध के चलते वह कानून नहीं बन सका। उस मामले पर सभी राज्यों से परामर्श किया गया था, जिस पर 29 में से सिर्फ13 राज्यों ने ही अपनी राय भेजी थी लेकिन पंजाब और असम सरकारों ने कोई राय नहीं दी थी। 

संवैधानिक और संघीय व्यवस्था को सफल बनाकर देश को मजबूत बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को परस्पर संवाद करने की ज्यादा जरूरत है। आजादी के बाद से ही पुलिस और केंद्रीय एजैंसियों का दुरुपयोग शुरू हो गया था लेकिन पिछले कई सालों से पुलिस को राज्य सरकारों की और केंद्रीय एजैंसियों को केंद्र सरकार की जेबी एजैंसी के तौर पर औपचारिक मान्यता मिलने लगी है। इससे संघीय व्यवस्था के साथ संवैधानिक व्यवस्था के लिए खतरा बढऩा विदेशी आक्रमण से ज्यादा खतरनाक है। छह दशक पहले जब यह कानून बना था, उस समय सीमावर्ती राज्यों में पर्याप्त पुलिस थाने और चौकियां नहीं थीं। बदलते वक्त के साथ पूरे देश के सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में पुलिस थानों का विस्तार और सशक्तिकरण हो गया है। अब बी.एस.एफ. जैसी केन्द्रीय सुरक्षा बलों को पुलिस के साथ सही तालमेल से अधिकारों के सम्यक इस्तेमाल की जरूरत है, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर सियासत को रोका सके।-विराग गुप्ता(एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट)
 

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