राजनीतिक बेड़ियों में जकड़े बाबू

Edited By ,Updated: 18 Jun, 2021 06:13 AM

babu caught in political shackles

बाबुओं के राजनीतिक लड़ाई के बीच फंसने की मिसालें बढ़ती जा रही हैं और यह गतिशील सूची का रूप ले चुकी हैं। जानकारों की मानें तो केंद्र ने हाल ही में आई.ए.एस. अधिकारियों के लिए

बाबुओं के राजनीतिक लड़ाई के बीच फंसने की मिसालें बढ़ती जा रही हैं और यह गतिशील सूची का रूप ले चुकी हैं। जानकारों की मानें तो केंद्र ने हाल ही में आई.ए.एस. अधिकारियों के लिए मनोनयन नीति में संशोधन किया है। युवा अधिकारियों को यह डर है कि यदि केंद्र तथा संबंधित राज्य सरकारों के बीच कोई राजनीतिक सहमति न बन पाई तो उनका करियर खतरे में पड़ जाएगा। 

संशोधित नीति के तहत केंद्र ने आई.ए.एस. अधिकारियों के लिए दिल्ली में संयुक्त सचिव के पद के पात्र होने के लिए उनके कैडर राज्य में 16 साल की सेवा पूरी करने से पहले 2 सालों का सैंट्रल डैपुटेशन होना अनिवार्य कर दिया है। यह कोई समस्या नहीं होगी यदि केंद्र तथा राज्य एक ही पार्टी द्वारा शासित हों। पश्चिम बंगाल में यह समस्या उपजी लगती है क्योंकि वहां पर ममता बनर्जी की सरकार जोकि मोदी सरकार की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी है, में नौकरशाह बंध कर रह गए हैं। 

घर तथा विश्व : लुटियन दिल्ली में केवल उप राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री ही अपने नए निवास प्राप्त नहीं कर रहे हैं बल्कि राजधानी दिल्ली के केंद्र में निर्माणाधीन सैंट्रल विस्टा प्रोजैक्ट में शामिल किए गए अधिकारी जोकि विदेश मंत्रालय से संबंधित हैं, वे भी 2023 तक नए बेहतर आवास प्राप्त कर लेंगे। गोल मार्कीट क्षेत्र में विदेश मंत्रालय 97 आवासों का निर्माण कर रहा है। यह कम लागत वाले सरकारी आवास होंगे जहां पर सभी आधुनिक सुख-सुविधाएं उपलब्ध होंगी जिनकी तुलना आई.एफ.एस. के दिग्गज अधिकारियों के लाइफ स्टाइल से की जा सकेगी जोकि विदेश में रहने के दौरान इसके आदी हो चुके होते हैं। 

बेशक आवासीय परियोजना मोदी सरकार का देरी से लाया गया कदम है जो यह संकेत देना चाहती है कि वह भारतीय विदेश सेवा (आई.एफ.एस.)को नजरअंदाज नहीं करती। हाल ही के वर्षों में आई.ए.एस. क्लब द्वारा दशकों से उत्कृष्ट सेवाएं प्राप्त की गई हैं मगर अब आई.एफ.एस. भी अपना हिस्सा पा रहा है। दिल्ली में एक सरकारी घर के बारे में एक सरकारी बाबू ही बता सकता है कि यह उपलब्धता तथा उसकी स्थिति कितनी महत्वपूर्ण है। 

आई.एफ.एस. को लगता है कि अब उसने एक कूटनीतिक जीत हासिल कर ली है। जहां कर्नाटक कोविड महामारी के बीच तड़प रहा है, वहीं 2 महिला आई.ए.एस. अधिकारी एक विवाद में उलझ कर रह गई हैं। मैसूर निगम आयुक्त शिल्पा नाग ने आई.ए.एस. से अपना इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपनी वरिष्ठ रोहिणी सुंदरी देसाई जोकि जिले की डिप्टी कमिश्रर हैं, पर महामारी के प्रबंधन पर उनके प्रयासों में दखलअंदाजी करने का आरोप लगाया है। 

राज्य सरकार ने संकेत दिया है कि शिल्पा नाग का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है और न ही होगा। मगर सूत्रों के अनुसार नाग ने कई लोगों का समर्थन हासिल कर लिया है। वहीं ऐसी आवाज भी उठी है कि देसाई को स्थानांतरित कर दिया जाए। देसाई ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उन्होंने केवल नाग को यह विवरण देने के लिए कहा था कि वह अपने वार्ड से कोविड के बारे में विरोधाभासी आंकड़ों बारे स्पष्टीकरण दें। 

ऐसा माना जा रहा है कि दोनों वरिष्ठ आई.ए.एस.अधिकारियों के बीच झगड़े का मूल कारण पूरे जिले के लिए सी.एस.आर. फंड देने का आग्रह है न कि केवल शहर तक ही कोविड प्रबंधन के लिए फंडों को सीमित रखा जाए। इस दौरान नाग और देसाई को शांत करने के लिए राज्य सरकार ने दोनों अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया है। देसाई अब हिंदू रिलीजियस एंड चैरीटेबल एंडोमैंट्स की नई आयुक्त होंगी तथा नाग को ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग में ई-गवर्नैंस का निदेशक नामित किया गया है।-दिल्ली का बाबू दिलिप चेरियन

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