भारत की आलोचना करने से पहले अपने भीतर झांकें अन्य देश

Edited By ,Updated: 09 Jun, 2021 05:17 AM

before criticizing india look within other countries

भारत विश्व का एक विशाल लोकतांत्रिक देश है जिसकी आबादी इस समय 138 करोड़ के करीब है। कोविड-19 महामारी के चलते इतनी बड़ी आबादी वाले देश के अंदर आपदा से निपटना कोई

भारत विश्व का एक विशाल लोकतांत्रिक देश है जिसकी आबादी इस समय 138 करोड़ के करीब है। कोविड-19 महामारी के चलते इतनी बड़ी आबादी वाले देश के अंदर आपदा से निपटना कोई आसान काम नहीं। भारत ने पहली लहर का बाखूबी से मुकाबला किया है। देश के अंदर उपलब्ध दवाइयों को विभिन्न देशों तक पहुंचाया। देश ने वैक्सीन उत्पादन में बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। 

आपदा प्रभावित काल में सभी राजनीतिक दलों, राज्यों तथा केन्द्र सरकारों, प्रत्येक वर्ग, जाति, धर्म, क्षेत्र, रंगों और भाषाओं के लोगों को एकजुट होकर मुकाबले के लिए डटे रहना चाहिए। लेकिन देश के अंदर गंदी राजनीति करने वाले नेताओं तथा सत्ता भोगने के रोग के शिकार विरोधी पाॢटयों तथा मानसिक तौर पर दिवालियापन का शिकार व्यक्तियों ने केन्द्र, राज्य सरकारों तथा प्रशासनिक प्रबंधों की आलोचना करने का शर्मनाक खेल जारी रखा। 

गत दिनों भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर अमरीकी यात्रा पर थे। जयशंकर भारत के एक प्रसिद्ध कूटनीतिक, प्रशासनिक अधिकारी तथा विदेश सचिव रह चुके हैं।वह 2007-09 में सिंगापुर के उच्चायुक्त, 2001-04 में चैक गणराज्य, 2009-13 में चीन तथा 2014-15 में अमरीका में सफल राजदूत रहे हैं। भारत-अमरीकी परमाणु समझौते के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। उनकी सर्वोत्तम कूटनीतिक सेवाओं से प्रभावित हो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 मई 2019 को अपनी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया और विदेश मंत्री की जिम्मेदारी दी। 

अपने अमरीकी दौरे के दौरान उन्होंने हूवर संस्था की ओर से आयोजित बातचीत में जनरल मैकमास्टर के साथ वर्चुअल तौर पर भाग लिया। इस बातचीत में जब उनसे भारत की ओर से कोविड-19 महामारी से निपटने संबंधी सवाल पूछे तो जयशंकर ने तथ्यों के आधार पर भारत का पक्ष पेश करते हुए सबका मुंह बंद कर दिया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि ‘‘हम देश के 80 करोड़ लोगों को इस महामारी के दौरान मु त खाना प्रदान कर रहे हैं। हमने 40 करोड़ भारतीयों के बैंक खातों में धन जमा करवाया है।’’ 

उन्होंने व्याख्या करते हुए अमरीकी वार्ताकारों तथा दर्शकों को बताया कि हम अमरीका की आबादी जितने लोगों को फंड तथा उसकी आबादी से करीब अढ़ाई गुणा ज्यादा भारतीयों को मु त खाना दे रहे हैं। विश्व में ऐसे कितने देश हैं जो ऐसी आपदा भरी महामारी में अपने नागरिकों को ऐसी चीजें मुहैया करवा रहे हैं? इस समय जबकि पूरा विश्व आॢथक मंदी के दौर से गुजर रहा है, भारत सफलतापूर्वक अपने नागरिकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। इतना तो विश्व के पूंजीवादी तथा विकसित देश भी नहीं कर सके। स्पष्ट है कि प्रत्येक राष्ट्र के पास ऐसे स्रोतों और आर्थिक दमखम की कमी है। 

आखिर इस विश्व से रुखसत होने वाले व्यक्तियों को स मान तथा मानवीय प्यार नसीब नहीं हुआ। इटली, स्पेन, फ्रांस, अमरीका, मैक्सिको, ब्राजील समेत अन्य देशों में जो मानवीय लाशों की दुर्दशा हुई वह किसी से छिपी नहीं। इटली में तो लाशों को स भालने के लिए सेना की सहायता ली गई। वहीं दूसरे यूरोपियन देशों में दुर्दशा के दृश्य देखने को मिले। ऐसे देशों को भारत की आलोचना करने से पूर्व अपने भीतर झांकना चाहिए था। कई देशों के अध्यक्ष तथा प्रधानमंत्री भी इसके शिकार हुए। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की मौत से संबंधित प्रैस नोट तो तैयार हो चुके थे जो परमात्मा की कृपा से अपना जीवन बचाने में कामयाब रहे। 

भारत के अंदर लोकतंत्र की स्थापना तथा संवैधानिक जि मेदारी के कारण 5 राज्यों में चुनाव करवाने पड़े। धार्मिक आस्था का स मान करते हुए केन्द्र तथा राज्य सरकारों ने विभिन्न धर्मों के धार्मिक उत्सवों को लॉकडाऊन के बावजूद मनाने की अनुमति दी। भारत ने विश्व के अंदर ल बे समय से चले आ रहे किसानों के विरोध को चलने की इजाजत भी दी मगर क्या ऐसे विरोध, धार्मिक त्यौहार मनाने की अनुमति तथा इक_ केवल भारत तक सीमित है?-दरबारा सिंह काहलों

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