पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भाजपा शून्य पर

Edited By ,Updated: 23 Mar, 2021 03:46 AM

bjp on zero regarding the face of chief minister in west bengal

यह एक विरोधाभास है कि पश्चिम बंगाल में चुनावी रैलियों के दौरान पैट्रोल, डीजल जैसी आवश्यक वस्तुओं के संकट को पीछे की ओर धकेल दिया गया है। आसमान छूती कीमतों के बजाय आकर्षक नारों और लुभावने वायदों पर ध्यान केन्द्रित किया

यह एक विरोधाभास है कि पश्चिम बंगाल में चुनावी रैलियों के दौरान पैट्रोल, डीजल जैसी आवश्यक वस्तुओं के संकट को पीछे की ओर धकेल दिया गया है। आसमान छूती कीमतों के बजाय आकर्षक नारों और लुभावने वायदों पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। 

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने व्यंग्य के माध्यम से ममता बनर्जी को भी नहीं बख्शा। हालांकि उन्होंने चोट से उनके जल्द ठीक होने की कामना की है। मगर साथ ही उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि ममता बनर्जी के शासनकाल के दौरान तृणमूल कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं द्वारा 129 भाजपा कार्यकत्र्ताओं की की गई हत्या के बाद क्या उन्होंने उनके पारिवारिक सदस्यों के साथ दुख सांझा किया है। 

अमित शाह ने निशाना साधते हुए आगे यह भी कहा कि लोगों ने टी.एम.सी. को ‘मां, माटी, मानुष सरकार’ के लिए वोट दिया था और आशा की थी कि राजनीतिक ङ्क्षहसा खत्म होगी मगर सब कुछ इसके विपरीत ही घटा और अब ममता को दरवाजा दिखाने की जरूरत है। ममता के नारे ‘खेला होबे’ ने चुनावी मुहिम को एक नया आयाम दिया है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने इसके जवाब में एक काऊंटर नारा ‘खेला शेष’ दिया है जिसका मतलब है टी.एम.सी. के लिए खेल खत्म हो गया है। ‘खेला होबे’ असम तक फैल गया है जहां भाजपा चुनावों को जीतने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही है। 

भाजपा पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को हटाने के लिए तैयार है क्योंकि कांग्रेस और वामदल अब तस्वीर में नजर नहीं आ रहे। दोनों पाॢटयां सत्ता की रेस से बाहर ही दिखाई दे रही हैं। ममता की प्लास्टर लगी टांग और उनका व्हीलचेयर पर बैठना चुनावी अभियानों को एक नया मोड़ दे सकता है। उन्हें सहानुभूति मिलने की सम्भावना है। वह दर्शाना चाहती हैं कि उन्हें भाजपा के हमले के कारण चोट लगी है। हालांकि वह सीधे तौर पर प्रतिद्वंद्वी को दोष नहीं दे रहीं। 

केन्द्र में मोदी सरकार की उपलब्धियों के साथ भाजपा का आक्रामक हिन्दुत्व एजैंडा और दशकों का सरकार विरोधी कारक पश्चिम बंगाल में सत्ता के लिए भाजपा का एक आशावादी कारण हो सकता है। हालांकि यह इतना आसान प्रस्ताव नहीं है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ममता का पूरी तरह से मुकाबला करना चाहिए। 

हाल ही के सर्वेक्षण में ममता की सत्ता में भविष्यवाणी की गई है जो अन्य कारकों के अलावा प्रशांत किशोर द्वारा सुगम तथा रणनीतिक बनाई गई है। विश्लेषक इस स्थिति में दो परिदृश्यों की ओर इशारा करते हैं। पहला यह कि अगर तृणमूल प्रमुख सत्ता बरकरार रखती हैं तो वह दिल्ली में केजरीवाल की तरह देश के कुछ राजनीतिक नेताओं के साथ शामिल हो सकती हैं जो नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को शिकस्त दे सकती है जिसने क्षेत्रीय नेताओं को अच्छी तरह चुनौती देने का पहाड़ खड़ा कर दिया है। 

ममता ऐसे समय में विपक्ष के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक के रूप में अपनी जगह पक्की कर रही हैं। वहीं कांग्रेस हाशिए पर है और लडख़ड़ा रही है। ममता बनर्जी 2024 के लोकसभा चुनावों में विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए प्रमुख दावेदारों में से एक के रूप में अपना स्थान पक्का कर रही हैं क्योंकि कांग्रेस अभी भी जी-23 जैसे अंदरूनी मतभेदों के कारण संघर्ष कर रही है। राहुल गांधी इस चुनौती से जूझ रहे हैं। 

दूसरा अगर भाजपा जीतती है तो पश्चिम बंगाल उन राज्यों की सूची में शामिल हो जाएगा जो आर.एस.एस. की विधारधारा के खजाने को आगे बढ़ा रहे हैं। पार्टी अन्य राज्यों की ओर भी बढ़ रही है जहां अगले साल चुनाव होंगे। भाजपा का थिंकटैंक जिसमें मुख्य तौर पर आर.एस.एस. शामिल है, वह हार को एक लाभ के रूप में स्वीकार कर सकता है क्योंकि इसका मतलब 2026 के विधानसभा चुनावों में सत्ता पर कब्जा करने की निश्चितता होगी। 

पश्चिम बंगाल में ममता सत्ता को दोबारा हासिल करने के लिए तीन कारकों पर निर्भर रह सकती हैं। ये कारक हैं ममता, मुस्लिम और महिला। तृणमूल उम्मीदवारों की सूची में 50  महिलाएं (कुल सीटों का 17 प्रतिशत), 42 मुस्लिम (14.43 प्रतिशत), इसके अलावा अनुसूचित जाति को दिया जाने वाला बड़ा हिस्सा भी शामिल है। 27 सिटिंग विधायकों को टिकट नहीं दिए गए हैं। शिवसेना, राकांपा, सपा इत्यादि के समर्थन के बाद मुख्यमंत्री ममता उत्साहित हैं। 

ममता ने बाहरी बनाम बंगाल की बेटी का नारा भी दिया है और मुख्यत: यह चुनाव बाहरी लोग भाजपा तथा बंगाल की बेटी ममता के बीच हैं। दूसरी ओर भाजपा राज्य में विकास तथा नौकरियों का वायदा कर रही है। भाजपा ने ‘सोनार बांगला’ मतलब गोल्डन बंगाल का नारा दिया है। भाजपा ने ममता पर आरोप लगाया है कि वह राज्य में निवेश तथा रोजगार लाने में समर्थ नहीं हैं। सिंगूर में से टाटा को भी बाहर किया गया है। रोजगार न होने के कारण स्थानीय निवासी दूसरे राज्यों में प्रवास कर रहे हैं। 

2009 के लोकसभा चुनावों में जब टी.एम.सी. सत्ता में नहीं थी तब लैफ्ट फ्रंट ने 43.3 प्रतिशत मत हासिल किए थे मगर मात्र 15 सीटें जीती थीं। इसके विपरीत 19 सीटें टी.एम.सी. को गई थीं। हालांकि ममता के पास 31.18 प्रतिशत का कम वोट शेयर था। उस चुनाव में भाजपा ने एक सीट के साथ 6.14 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था। तब से लेकर भाजपा ने अपनी स्थिति सुदृढ़ की है। उसने 2014 और 2019 में दो लोकसभा चुनाव जीते हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में टी.एम.सी. ने 43.69 प्रतिशत तथा भाजपा ने 40.64 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था। माकपा का वोट शेयर गिरकर 6.34 प्रतिशत तथा कांग्रेस का वोट शेयर 5.60 प्रतिशत रहा। 

मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भी भाजपा अभी शून्य पर है। उसके पास विभिन्न चेहरे हैं जिनमें टी.एम.सी. के दलबदलू के साथ-साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता दलीप घोष तथा केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो भी हैं। मोदी, अमित शाह, जे.पी. नड्डा तथा कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री के स्पष्ट चेहरे को पेश करने से परहेज ही किया है।-के.एस. तोमर

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!