‘बजट 2021 और कुछ खास गुजारिशें’

Edited By ,Updated: 15 Jan, 2021 05:01 AM

budget 2021 and some special requests

केंद्र सरकार 1 फरवरी को बजट 2021 पेश करेगी। इस साल का बजट बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था में नरमी है। वहीं सरकार का राजकोषीय घाटा भी 10.76 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। कोरोना संकट ने देश की

केंद्र सरकार 1 फरवरी को बजट 2021 पेश करेगी। इस साल का बजट बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था में नरमी है। वहीं सरकार का राजकोषीय घाटा भी 10.76 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। कोरोना संकट ने देश की आर्थिकता पर एक बड़ा असर किया है। इसके कारण इनडायरैक्ट टैक्स में कमी की भरपाई सरकार कोविड सैस लगा कर पूरी कर सकती है। 

कोरोना को टैक्स छूट के लिए खास बीमारी के तौर पर शामिल करने पर विचार किया जाना चाहिए। यह छूट सिर्फ उन्हें  मिले जिनके पास कोई हैल्थ पॉलिसी नहीं है। कोरोना टैक्स छूट मौजूदा वित्त वर्ष से ही संभव है। इलाज पर अधिकतम 1 लाख खर्च पर डिडक्शन मिल जाए तो बेहतर है। सरकार आगामी बजट में माइनिंग रिफॉर्म की घोषणा कर सकती है। नए रिफॉर्म के जरिए बड़े पैमाने पर मिनरल ब्लॉक ऑक्शन की तैयारी है।

बजट में आत्मनिर्भर भारत की तरफ कदम उठते दिखेंगे। जानकारी के मुताबिक कैमिकल, ऑटो जैसे सैक्टर में कच्चे माल पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने और तैयार माल पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाने पर विचार हो रहा है। इंडस्ट्री की चाहत है कि इम्पोर्ट ड्यूटी के 3 स्लैब बनें। तैयार माल को स्टैंडर्ड स्लैब में रखा जाए। इंटरमीडियरीज को लोअर स्लैब में रखा जाए, वहीं कच्चे माल को सबसे कम स्लैब में रखा जाए। 

कैमिकल और एल्युमिनियम जैसे सैक्टर की मांग है कि कच्चे माल को जीरो स्लैब में रखा जाए। ऑटो एंसीलरीज जैसे सैक्टर की मांग है कि तैयार माल पर इम्पोर्ट ड्यूटी ज्यादा रखने पर विचार किया जाए। कोरोना के बाद कई सैक्टरों में नौकरीपेशा लोगों की मुश्किलें बड़ी हैं। सैलरी कम हुई है, लिहाजा खर्चे में कटौती पर मजबूर होना पड़ा है। ऐसे में आगामी बजट में अनेक नौकरीपेशा लोगों की मांग है कि इंकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 5 लाख हो। स्टैंडर्ड डिडक्शन सीमा बढ़ कर 1 लाख रुपए की जाए। होम लोन ब्याज पर छूट बढ़ाकर 2.50 लाख रुपए हो। नए घर खरीदारों को ब्याज में सबसिडी मिले। हैल्थ बीमा पर प्रीमियम छूट की सीमा में बढ़ौतरी हो। स्टॉक मार्कीट से कमाई पर डिविडैंड टैक्स हटाने की मांग की जा रही है। इंटरैस्ट आय पर टैक्स डिडक्शन कम हो। 

निजी स्कूलों में एजुकेशन फीस की सीलिंग तय हो। इलैक्ट्रिक गाड़ियों की खरीद पर डायरैक्ट सबसिडी मिले। एक ही गाड़ी रखने पर सरकार फ्यूल सबसिडी दे। सुना जा रहा है कि कोरोना से सबक सीखते हुए सरकार हैल्थ सैक्टर के लिए जल्द ही एक खास फंड बनाने जा रही है। बजट में  स्वास्थ्य सुरक्षा निधि का ऐलान हो सकता है। हैल्थ एंड एजुकेशन सैस में से हैल्थ का हिस्सा इसी फंड में जाएगा।

बता दें कि वित्त वर्ष 2020 में हैल्थ एंड एजुकेशन सैस से 56,000 करोड़ रुपए की वसूली हुई है। सरकार ने हैल्थ सैक्टर के लिए 14,000 करोड़ रुपए आबंटित किए हैं। 2025 तक हैल्थ पर कुल जी.डी.पी. का 2.5 फीसदी खर्च करने का लक्ष्य है। अभी हैल्थ सैक्टर पर कुल 1.4 फीसदी  खर्च होता है। इस बार के बजट पर कोरोना का प्रभाव रहने वाला है। कर, राजस्व में हुई गिरावट, निवेश में दिक्कत और कोरोना टीकाकरण का बोझ जैसी परिस्थितियों के कारण राजस्व बढ़ाने के लिए समृद्ध लोगों पर कोविड-19 अधिभार लगाने की कवायद हो सकती है। 

सूत्रों के मुताबिक सरकार का फोकस इस बजट में हैल्थ, इंफ्रा और रोजगार बढ़ाने पर होगा। लेकिन सरकार के पास पैसे की किल्लत है। ऐसी स्थिति में सरकार पैसे जुटाने के लिए लांग टर्म टैक्स फ्री इंफ्रा और पैंडेमिक बांड्स नाम के टैक्स फ्री बांड लाने का ऐलान हो सकता है। अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए बजट में रूरल सैक्टर, इंफ्रास्ट्रक्चर और एग्रीकल्चर सैक्टर पर खर्च बढ़ाने का भी सरकार ऐलान कर सकती है। इसके अलावा डिसइन्वैस्टमैंट प्लान पर भी ऐलान संभव है।

कोरोना वायरस महामारी से राहत देने के लिए यदि कोई नया टैक्स नहीं लगता तो बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए यह एक पॉजिटिव कदम होगा। लेकिन सरकार को कोरोना के इलाज में हुए खर्च पर इंकम टैक्स से राहत दे देनी चाहिए। उम्मीद की जाए कि बजट में ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए छूट का ऐलान हो सकता है जिनके पास कोई हैल्थ या मैडीकल इंश्योरैंस नहीं है। कोरोना के इलाज के खर्च पर छूट के लिए बजट में 80 डी.डी.बी. के तहत राहत का ऐलान किया जा सकता है। 

80 सी में 1.5 लाख रुपए की लिमिट 2.5 लाख रुपए से लेकर 3 लाख रुपए तक बढ़ाने पर सरकार को विचार करना चाहिए। फिलहाल डिविडैंड पर बिना किसी टैक्स छूट के स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है। छोटे निवेशकों को लिस्टेड कंपनियों और इक्विटी म्युचुअल फंड्स से मिलने वाले 50,000 रुपए तक के डिविडैंड पर टैक्स छूट मिलनी चाहिए। बजट में मध्यम और स्माल स्केल सैक्टर के लिए बड़ी राहत का ऐलान हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार इस सैक्टर से जुड़े नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स क्लासीफिकेशन  पीरियड को 90 दिन से बढ़ाकर 120-180 दिन करने की घोषणा कर सकती है।-डा. वरिन्द्र भाटिया
 

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