केंद्र सरकार अंतर्राज्यीय विवादों में हस्तक्षेप करे

Edited By ,Updated: 29 Jul, 2021 05:55 AM

central government should intervene in inter state disputes

ब्रिटिश शासन से भारत को आजादी प्राप्त किए हुए लगभग 75 वर्ष हो चुके हैं। मगर हम अभी भी इसकी विरासत तथा इसके द्वारा उलझाए गए विवादों को भुगत रहे हैं। संवेदनशील मुद्दों को लटकाने

ब्रिटिश शासन से भारत को आजादी प्राप्त किए हुए लगभग 75 वर्ष हो चुके हैं। मगर हम अभी भी इसकी विरासत तथा इसके द्वारा उलझाए गए विवादों को भुगत रहे हैं। संवेदनशील मुद्दों को लटकाने की सरकारों की प्रवृत्ति रही है। विवादों के किसी भी समाधान से सरकारें बचना चाहती हैं। यह सब प्रभावी तथा योग्य नेतृत्व की कमी के कारण है जो मुद्दों के समाधानों के निर्णय को अगली सरकार पर डालना चाहता है। केंद्र में वर्तमान सरकार एक बदलाव लाना चाहती है। मोदी सरकार ने कई निर्णायक कदम उठाए हैं मगर उन्हें सत्ताधारी पार्टी तथा उसके एजैंडे तक सीमित रखा है। 

असम-मिजोरम सीमा विवाद एक नया उदाहरण है जिसमें असम के 5 पुलिसकर्मी मारे गए तथा 60 घायल हुए। यह विवाद आजादी के बाद से चल रहा है। दिलचस्प बात यह है कि विवाद में फंसी दोनों राज्य सरकारें केंद्र में सत्ताधारी एन.डी.ए. का हिस्सा हैं। असम तथा मिजोरम सशस्त्र पुलिस बलों के मध्य हुए खूनी संघर्ष से दो दिन पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री ने उत्तर-पूर्वी राज्य के मु यमंत्रियों के साथ बैठक की थी। गृहमंत्री अमित शाह ने इन राज्यों के मध्य आपसी तालमेल की जरूरत पर बल दिया था। उन्होंने संघर्ष के दिन भी दखलअंदाजी की थी मगर इसमें बहुत देरी हो चुकी थी तथा दोनों राज्यों के मु यमंत्रियों को इस संघर्ष के लिए आरोपों को आपस में बांटना चाहिए। 

वर्षों से विवादास्पद उपजाऊ भूमि पर रहने वाले लोगों के बीच यह एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। पिछले वर्ष के संघर्ष के सहित ऐसे अनेकों मामले  हैं मगर सशस्त्र पुलिस बलों की प्रत्यक्ष भागीदारी पहली बार देखने को मिली। ऐसे संघर्ष से पूर्व में बचने की कोशिश की गई थी। असम राज्य भारत के उत्तर-पूर्वी  राज्य का प्रवेश द्वार है। जोकि अपने पड़ोसी राज्यों मणिपुर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल तथा मिजोरम से भी इसी तरह के विवादों को झेल रहा है। असम इन क्षेत्रों के लोगों की संस्कृति तथा जीने के ढंग पर अपना प्रभाव छोडऩे की कोशिश करता है। आजादी के बाद दशकों से विशाल असम प्रांत में से राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए थे जिसमें नागालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय तथा मिजोरम शामिल हैं। 

केंद्रीय गृह मंत्रालय के डाटा के मुताबिक भारत वर्तमान में कम से कम 7 सीमा विवादों को झेल रहा है जिसमें असम भी शामिल है। मंगलवार को लोकसभा में एक लिखित बयान में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सीमा से जुड़े झगड़े छुटपुट प्रदर्शनों तथा हिंसा की घटनाओं का नेतृत्व करते हैं। असम राज्य का अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय तथा मिजोरम के साथ सीमा विवाद चल रहा है। राय ने लोकसभा में इसका उल्लेख किया। पूर्व में असम की मेघालय, मणिपुर, नागालैंड तथा अरुणाचल प्रदेश से लगती सीमा पर खूनी संघर्ष देखे गए। पूर्व में भी असम तथा मेघालय के पुलिस बलों में आपसी भिड़ंत हो चुकी है जिसके चलते कई मौतें हो चुकी हैं। 

महाराष्ट्र तथा कर्नाटक के बीच भी सीमा विवाद के चलते तनाव की रिपोर्टें आती हैं। हिमाचल प्रदेश का भी हरियाणा तथा जम्मू-कश्मीर के साथ विवाद चल रहा है मगर वहां से कभी भी इस तरह की भिड़ंत की खबरें नहीं आईं। यहां तक कि चंडीगढ़ को लेकर पंजाब तथा हरियाणा के मध्य विवाद ल िबत है जोकि चुनावों के दिनों में ही उछाला जाता है। केंद्र सरकार को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करना चाहिए तथा एक अंतर्राज्यीय सीमा आयोग का गठन करना चाहिए ताकि ऐसे सभी मुद्दों का समाधान निकल सके। कुछ मुद्दों को लेकर केंद्र ने निर्णायक ढंग से कार्रवाई की है। मगर अंतर्राज्यीय सीमा विवादों पर भी केंद्र सरकार को ध्यान देना चाहिए।-विपिन पब्बी

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