Edited By ,Updated: 19 Feb, 2024 04:55 AM
जन्म के बाद बच्चा अपनी मां की गोद में गहरी नींद का आनंद लेता है। यह मां ही होती है जो बच्चे को बोलना और चलना सिखाती है।
जन्म के बाद बच्चा अपनी मां की गोद में गहरी नींद का आनंद लेता है। यह मां ही होती है जो बच्चे को बोलना और चलना सिखाती है। जैसे-जैसे समय व्यतीत होता है बच्चा अच्छी तरह से चलना और बोलना शुरू कर देता है। वह खिलौनों के साथ खेलता है और बड़ा होने पर उसे स्कूल भेजा जाता है। समय पर बच्चा अपनी पढ़ाई पूरी कर लेता है।
युवा होने पर मां बच्चे की शादी के बारे में सोचती है। एक अच्छा रिश्ता देख कर बच्चे की शादी करवा दी जाती है। शादी के बाद बेटा अपना ज्यादा समय अपनी पत्नी को देना चाहता है और मां की अनदेखी करने लग जाता है। अब वह अपनी पत्नी और बच्चों की ओर ज्यादा आकॢषत होने लगता है और उन पर अपना ध्यान केंद्रित करता है। समय बीतता जाता है और मां बुढ़ापे की ओर बढऩे लगती है। वह अपने पोते-पोतियों के साथ समय व्यतीत कर बेहद खुश होती है। अब मां की उम्र ज्यादा हो जाती है पर वह अभी भी अपने बेटे को छोटा ही समझती है।
अपने बेटे के साथ-साथ वह अपने अन्य पारिवारिक सदस्यों को अपना प्यार बांटती है। उसका ज्यादा समय अपने पोते-पोतियों को संभालने में लगता है और एक दिन ऐसा आता है कि मां सदैव इस दुनिया को अलविदा कह जाती है। बच्चों को अपनी मां का प्यार सारी उम्र नहीं भूलना चाहिए। उन्हें इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए कि कैसी उनकी मां ने उन्हें अनेकों दुखों और तकलीफों को सहने के बाद उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। -हरदयाल सिंह सैला, सैलाखुर्द (होशियारपुर)