अफ्रीकी महाद्वीप को बर्बाद करता चीन का लालच

Edited By ,Updated: 17 Mar, 2023 06:27 AM

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चीन ने वर्ष 2013 के बाद से पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में अरबों डॉलर का निवेश किया है, यह काम चीन ने न तो अफ्रीका की आर्थिक तरक्की के लिए किया और न ही वहां के समाज को गरीबी से बाहर निकालने के लिए किया।

चीन ने वर्ष 2013 के बाद से पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में अरबों डॉलर का निवेश किया है, यह काम चीन ने न तो अफ्रीका की आर्थिक तरक्की के लिए किया और न ही वहां के समाज को गरीबी से बाहर निकालने के लिए किया। चीन को मालूम है कि अफ्रीका में जमीन के नीचे ढेरों प्राकृतिक खनिज भंडार हैं जिसे निकालना वहां के गरीब देशों की हैसियत से बाहर है। ऐसे में चीन ने निवेश कर अंगोला, मोजाम्बीक, कांगो, कैमरून, जाम्बिया, जिबूती, समेत कई देशों को अपने कर्ज जाल में फंसा लिया और केन्या, दक्षिण अफ्रीका, यूगांडा समेत कई दूसरे देशों में तेजी से निवेश कर रहा है जिससे ये देश भी पूरी तरह से चीन के कर्ज जाल में फंस जाएं।

कोरोना महामारी के कारण पिछले 3 वर्षों से चीन सुशुप्तावस्था में चला गया था लेकिन इस महामारी के गुजर जाने के बाद एक बार फिर चीन अपने शातिर इरादों के साथ अपने काम में जुट गया है। लेकिन अगर आप यह सोच रहे हैं कि चीन और अफ्रीका में सब कुछ अच्छा चल रहा है तो आप दोबारा सोचिए, चीन को लेकर पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में जबरदस्त उबाल है, केन्या में स्थानीय लोग चीनियों को खुलेआम चोर बोल रहे हैं। केन्या में चीनियों को चोर बोलने के पीछे एक बड़ा कारण है, चीन ने केन्या के छोटे, मंझोले और बहुत छोटे स्तर के उद्योगों को अपने देश में बने सामानों से उनके बाजार भर कर खत्म कर दिया।

इसके लिए चीन ने शातिराना तरीके से काम करते हुए पहले अपने व्यापारियों द्वारा केन्या के छोटे और मंझोले व्यापारियों, दुकानदारों को चीनी सामानों को बेचना शुरू किया। जो सामान केन्याई व्यापारी चीनियों से 5 रुपये का खरीदते थे उसे ये लोग स्थानीय बाजार में 20 रुपए का बेचा करते थे। यह पहले स्तर की चाल थी जिसमें चीन ने केन्या के बाजारों में अपना सामान भरना शुरू किया लेकिन इसमें केन्या के व्यापारियों और दुकानदारों को अच्छा लाभ मिला।

एक बार जब केन्याई जनता को चीनी सामानों की आदत लग गई तब चीन ने अपने देश के व्यापारियों की मदद से सीधे केन्या में अपना सामान बेचना शुरू किया, इसके लिए कम्युनिस्ट पार्टी के लोगों ने साथ दिया और चीन ने अपने सामान को यहां पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्ट सबसिडी के साथ शॉपिंग मॉल खरीदकर उसमें वही सामान अब मात्र 10 रुपए में बेचना शुरू कर दिया। इसके लिए चीन ने केन्या की कानून व्यवस्था में कमियों को ढूंढा और उन कमियों का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करने लगा।

इससे केन्याई ग्राहक आम दुकानों की बजाय सीधे चीनियों के शॉपिंग मॉल में जाकर सामान खरीदने लगे, ऐसे शॉपिंग मॉल के कागजी मालिक केन्या के नागरिक होते थे जिन्हें सिर्फ एक फीसदी की हिस्सेदारी दी जाती थी। यानी मोटा मुनाफा चीन कमाता था और केन्या के व्यापारी, उद्योगपति, दुकानदार सबकी कमाई खत्म होने लगी। लेकिन इस समय तक चीनी सामान पूरे देश में चलने लगे थे और केन्या का सारा उद्योग चीन की भेंट चढ़ चुका था।

दरअसल केन्या में चीन के घुसने के पीछे केन्या की भ्रष्ट सरकार का बड़ा हाथ रहा है और उसने अपने निजी लाभ के लिए पूरे देश को चीन के लालच की आग में झोंक दिया। इन दोनों देशों की सरकारों ने जब आपस में समझौता किया तो केन्या में राजनीतिक जानकारों का कहना था कि यह समझौता दो सरकारों के बीच नहीं बल्कि दो माफियाओं के बीच में हो रहा है क्योंकि दोनों देशों की आम जनता इस समय बदहाली की शिकार है और ये लोग अपने फायदे के लिए देश की जनता को धोखा दे रहे हैं।

इसे लेकर केन्या में लोगों ने चीन के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन भी निकाला और चीनियों को केन्या से वापस जाने के नारे लगाए। इथियोपिया में चीन ने 20 करोड़ अमरीकी डॉलर की लागत से अफ्रीकी संघ की बड़ी इमारत बनाई थी जिसमें अलग-अलग मुद्दों पर अफ्रीकी संघ की बैठकें आयोजित होती थीं। लेकिन इस पूरी इमारत के हर डैस्क में माइक्रोफोन लगा था और दीवारों के अंदर भी माइक्रोफोन लगा था। इसके अलावा भी इस इमारत में जासूसी के कई अलग तरह के उपकरण लगाए गए थे जिससे इसमें इस्तेमाल होने वाले एक-एक कम्प्यूटर का डाटा शंघाई के सर्वर में जाता था।

इस इमारत के टैलीकम्युनिकेशन से होने वाली हर बात शंघाई के सर्वर में इकट्ठी होती थी और इमारत में लगे सी.सी.टी.वी. कैमरे भी बग्ड थे यानी ये वीडियो और स्टिल तस्वीरें भी चीन के उसी सर्वर में जाती थीं जहां पर सारा डाटा जाता था। इस इमारत से हर रात 12 बजे से 2 बजे तक शंघाई के सर्वर में डाटा की अपलोङ्क्षडग होती थी। जब यह खबर विदेशी मीडिया में आने लगी तो चीन ने अपने सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में खबरें छापकर बताया कि यह कोरी अफवाह है। चीन ने अफ्रीका में अपने दस कर्जदार देशों की न सिर्फ अर्थव्यवस्था बर्बाद की है बल्कि वहां का पर्यावरण और वन्यजीव को भी खत्म कर दिया। 

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