Edited By ,Updated: 23 Nov, 2025 05:36 AM

ज्यादातर भारतीयों के लिए राजस्थान का नाम सुनते ही हवेलियों पर गिरती रेगिस्तान धूप, सुनहरी धरती से उठते किले और पुराने बाजारों में चमकते रत्नों की तस्वीरें उभरती हैं। राज्य की जी.डी.पी. का लगभग 15 प्रतिशत जो देश में सबसे अधिक में से है, पर्यटन से आता...
ज्यादातर भारतीयों के लिए राजस्थान का नाम सुनते ही हवेलियों पर गिरती रेगिस्तान धूप, सुनहरी धरती से उठते किले और पुराने बाजारों में चमकते रत्नों की तस्वीरें उभरती हैं। राज्य की जी.डी.पी. का लगभग 15 प्रतिशत जो देश में सबसे अधिक में से है, पर्यटन से आता है। लेकिन इस सफलता का एक साइड इफैक्ट भी रहा। राजस्थान को अक्सर एक पर्यटन या सांस्कृतिक गंतव्य के रूप में ही देखा गया न कि एक गंभीर निवेश केंद्र के रूप में। अब यह लंबे समय से बनी धारणा अफसरशाही के भीतर भी धीरे-धीरे बदल रही है। इस बदलाव के केंद्र में हैं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, जिन्होंने अपने पहले वर्ष में एक पारंपरिक राजनेता की तरह नहीं बल्कि एक ऐसे सी.ई.ओ. की तरह काम किया है जो अपनी पुरानी कंपनी को नए बाजार के लिए फिर से स्थापित करने में लगा हो।
राजस्थान के पास भूमि का विशाल भंडार, दिल्ली एन.सी.आर. की निकटता, भारत के सबसे तेजी से विकसित होते नवीकरणीय गलियारों में से एक और समृद्ध खनिज संसाधन मौजूद रहे हैं। फिर भी, इन संभावनाओं को ठोस पूंजी में बदलने की रेस में राज्य तटीय प्रदेशों से पीछे रह जाता था। नारेबाजी की बजाय,भजनलाल शर्मा सरकार ने इस अंतर को दूर करने के लिए एक व्यवस्थित आर्थिक दृष्टिकोण अपनाया है। सरल बात यह है कि राजस्थान को एक ‘घूमने लायक जगह’ की बजाय एक ‘निवेश करने लायक राज्य’ के रूप में देखा जाए। पिछले एक वर्ष में राज्य ने सैक्टर-आधारित संवादों और आऊटरीच प्रयासों के माध्यम से 1.80 लाख करोड़ रुपए के निवेश सुनिश्चित किए हैं। इंडस्ट्रियल एंटरप्रेन्योर मैमोरैंडम (आई.ई.एम.) में 17 प्रतिशत की बढ़ौतरी, एक गैर-तटीय राज्य के लिए काफी उल्लेखनीय है। इंजीनियरिंग सामान, टैक्सटाइल, पत्थर और रसायन राज्य के प्रमुख निर्यात, सैक्टर, मिलकर 82,000 करोड़ का निर्यात कर चुके हैं।
निवेश प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, मुख्यमंत्री के निर्देश पूरी तरह स्पष्ट हैं। आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने से बचें, हर प्रतिबद्धता को लगातार ट्रैक करें और रूपांतरण को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। इससे पहले राजस्थान पर ऐसे एम.ओ.यू. के लिए आलोचना होती रही जो कागजों पर बड़े थे लेकिन जमीन पर नहीं उतरते थे। मौजूदा सरकार इस प्रवृत्ति से पूरी तरह अलग दिशा में जाती दिख रही है। राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2024 से आए निवेश प्रस्तावों में से लगभग 39 प्रतिशत अब विभिन्न क्रियान्वयन चरणों में पहुंच चुके हैं। अलवर, जोधपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर और नई औद्योगिक बैल्टों में 12,000 एकड़ से अधिक भूमि आबंटित की गई है। लगभग 6,500 मैगावॉट के नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजैक्ट मंजूरी के बाद निर्माण चरण में हैं। सरकार का मानना है कि इस तरह की रूपांतरण दर राजस्थान को एक ‘घोषणाओं वाला राज्य’ नहीं बल्कि ‘निवेशक-हितैषी राज्य’ के रूप में स्थापित कर देगी।
प्रवासी राजस्थान रणनीति- एक शांत लेकिन निर्णायक फर्क: राजस्थान सरकार की सबसे दिलचस्प पहलों में से एक है राज्य के प्रवासी समुदाय से सरंचित और व्यवस्थित रूप से जुडऩे का प्रयास। एक ऐसा समूह जिसकी आर्थिक क्षमता उसके सार्वजनिक विमर्श में दिखने से कहीं अधिक है। प्रवासी राजस्थान की रणनीति पहले इस आधार पर बनी है कि यह समुदाय भावनात्मक आयोजनों के लिए नहीं बल्कि सुव्यवस्थित पूंजी जुटाने के लिए सक्रिय रूप से शामिल किया जाए।
यह कार्यक्रम नव करणीय ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स, एग्रो-प्रोसैसिंग, हॉस्पिटैलिटी और शिक्षा जैसे उच्च क्षमता वाले क्षेत्रों पर केंद्रित है और हर प्रवासी निवेश पूछताछ को रूपांतरण तक ट्रैक करने के लिए समर्पित टीमें बनाई गई हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रवासी निवेश रुचि लगभग 40,000 करोड़ की संभावित प्रतिबद्धताओं तक पहुंच चुकी है। राजस्थान अब उन कुछ राज्यों में शामिल हो रहा है जो प्रवासी पूंजी को एक अलग, ट्रैक योग्य वर्टिकल की तरह देखते हैं न कि वैश्विक सम्मेलनों के दौरान की जाने वाली औपचारिक गतिविधि की तरह। यह रुझान जारी रहा तो यह पहल मुख्यमंत्री के सबसे महत्वपूर्ण अंतर निर्माताओं में से एक बन सकती है।
अपराध और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरैंस: दिसंबर 2023 में सत्ता संभालने के बाद से भजन लाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने कानून-व्यवस्था की सख्ती और पेपर लीक पर रोक को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। इसके विपरीत, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (2018-2023) के कार्यकाल में इन दोनों मोर्चों पर गंभीर आलोचना हुई थी। शर्मा सरकार ने अपराध, भ्रष्टाचार और संगठित गिरोहों पर जीरो टॉलरैंस नीति अपनाई है। प्रमुख उपलब्धियों में एक एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स का गठन शामिल है, जिसका नेतृत्व ए.डी.जी. रैंक के अधिकारी कर रहे हैं। गहलोत काल में सक्रिय गैंगवार और नशे के कारोबार पर अब सख्त कार्रवाई हुई है। जहां गहलोत के कार्यकाल में 4 वर्षों में 14 पेपर लीक हुए (19 में से 17 परीक्षाएं प्रभावित हुईं), वहीं शर्मा ने पहले दिन ही एक विशेष जांच दल का गठन किया। अब तक 108 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और किसी भी परीक्षा में लीक नहीं हुआ है।
एक ऐसे दौर में जब सभी राज्य सीमित निवेश पूल के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, राजस्थान की नई कार्यशैली और स्पष्टता ध्यान खींच रही है। यदि मुख्यमंत्री शर्मा इसी दिशा में आगे बढ़ते रहे तो आने वाले वर्षों में राज्य की पहचान सिर्फ क्षितिज पर खड़े किलों से नहीं होगी बल्कि उस आर्थिक परिवर्तन से भी होगी जो यहां चुपचाप लेकिन तेजी से आकार ले रहा है।-शहजाद पूनावाला(राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा)