‘दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव बनाम बादल-विरोधी गठजोड़’

Edited By ,Updated: 28 Jan, 2021 04:51 AM

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दिल्ली और पंजाब की सिख राजनीति के जानकार सूत्रों के अनुसार निकट भविष्य में होने जा रहे दिल्ली गुरुद्वारा चुनावों को लेकर दिल्ली और पंजाब में अलग-अलग रणनीतियां

दिल्ली और पंजाब की सिख राजनीति के जानकार सूत्रों के अनुसार निकट भविष्य में होने जा रहे दिल्ली गुरुद्वारा चुनावों को लेकर दिल्ली और पंजाब में अलग-अलग रणनीतियां बनाई जा रही हैं। 

जहां दिल्ली में शिरोमणि अकाली दल डैमोक्रेटिक के अध्यक्ष सुखदेव सिंह ढींडसा इस कोशिश में हैं कि शिरोमणि अकाली दल (बादल) को दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की सत्ता से बाहर करने के लिए उसके विरुद्ध एक मजबूत गठजोड़ बनाया जाए, जिसमें वे सभी पार्टियां शामिल हों जिनका दिल्ली के सिखों मेंं प्रभाव है। इस उद्देश्य को लेकर उन्होंने बीते दिनों ‘जागो’ और शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के मुखियों, मनजीत सिंह जी.के. और परमजीत सिंह सरना के बीच कुछ मुलाकातों का आयोजन भी किया जिनमें उन्हें आशातीत सफलता प्राप्त होने की संभावना दिखाई दी। 

दूसरी ओर पंजाब की सिख राजनीति के जानकार सूत्रों के अनुसार शिरोमणि अकाली दल (बादल) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को एक तो ऐसा दिखाई दे रहा है कि यदि दिल्ली गुरुद्वारा चुनावों में जी.के. और सरना के बीच चुनाव समझौता हो जाता है या फिर वे चुनाव उनके पंजाब की सत्ता में लौटने से पहले ही हो गए, तो उन चुनावों में उनके दल की गुरुद्वारा कमेटी की सत्ता में वापसी संभव नहीं हो पाएगी। इसके लिए उनकी एक कोशिश तो यह है कि सरना और जी.के. के बीच किसी भी तरह गठजोड़ न हो पाए और दूसरी कोशिश उनकी यह है कि दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव 2022 में होने जा रहे पंजाब विधानसभा के चुनावों, जिनके संबंध में उन्हें विश्वास है कि उन चुनावों में पंजाब की सत्ता पर उनकी अपनी वापसी निश्चित है, के बाद हों ताकि उस सत्ता का ‘लाभ’ वह दिल्ली गुरुद्वारा चुनावों में अपने दल के लिए उठा सकें। 

बादल-विरोधी गठजोड़ बनाए जाने की कोशिशों को धक्का : इसी बीच अचानक ही ‘जागो’ के अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. का वह बयान सामने आ गया जिसमें उन्होंने दावा किया कि पार्टी ‘जागो’ अपने ही बूते अकेले ही दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव लड़ेगी जिससे माना जाने लगा है कि जी.के. के इस फैसले से स. ढींडसा द्वारा बादल-विरोधी गठजोड़ बनाए जाने की जो कोशिशें की जा रही हैं, उन्हें गहरा धक्का लगा है। यह स्थिति मनजीत सिंह जी.के. और उनके साथियों के अति आत्म-विश्वास के चलते सामने आई है अथवा इसका कोई और कारण? 

सरना-बंधु भी अकेले चुनाव लड़ने का फैसला ले सकते हैं : ‘जागो’ के अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. द्वारा दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव अकेले लडऩे के किए गए फैसले से इस बात की संभावना बढ़ गई है कि शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के मुखी, सरना-बंधु भी अकेले ही दिल्ली गुरुद्वारा लडऩे का फैसला कर सकते हैं। 

सूत्रों के अनुसार इसका कारण यह माना जाता है कि सरना बंधु मनजीत सिंह जी.के. की अध्यक्षता वाली पार्टी ‘जागो’ को अपने दल के बराबर की पार्टी मान, उसके साथ बराबरी के आधार पर समझौता करना चाहते थे। इसके साथ ही वे चाहते थे कि दोनों पाॢटयां जीतने की संभावना वाली सीटों के आधार पर ही अपना-अपना दावा पेश करें और उसी के आधार पर देश में गठजोड़ हो जबकि जी.के. अपनी शर्तों पर गठजोड़ करना चाहते थे। फलस्वरूप गठजोड़ बनाने के मुद्दे पर दोनों में विश्वास नहीं बन पाया। 

स. ढींडसा निराश नहीं : उधर स. ढींडसा के निकट सूत्रों की मानें तो स. ढींडसा अभी यह बात स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं कि दिल्ली गुरुद्वारा चुनावों में बादल-विरोधी गठजोड़ बनाए जाने की कोशिशें वह कर रहे थे वे असफल हो गई हैं। उन्हें अब भी विश्वास है कि उनकी कोशिशें जरूर सफल होंगी। उनका कहना है कि अभी गुरुद्वारा चुनाव के लिए कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ, इस कारण अभी समय है कि दोनों पाॢटयां अपनी-अपनी शक्ति को तोल कर जांच लें कि वे कितने पानी में हैं। उन्हें अपने-आप यह महसूस हो जाएगा कि विरोधी को गुरुद्वारा कमेटी से दूर रखने के लिए गठजोड़ करना कितना जरूरी है। इन्हीं सूत्रों के अनुसार यदि गुरुद्वारा चुनावों के लिए गठजोड़ बनाए जाने की उनकी कोशिशें सफल नहीं होतीं तो उन्हें सोचना होगा कि इन चुनावों में वह किस पार्टी विशेष का समर्थन करें या तटस्थ रह कर तमाशा देखें? 

स. सिरसा के विरुद्ध केस : समाचारों के अनुसार एक अदालत के आदेश पर दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष मनजिंद्र सिंह सिरसा के विरुद्ध धारा 420, 406 और 120 (बी) के तहत एफ.आई.आर. दर्ज की है जिसके अनुसार उन पर गुरुद्वारा कमेटी के फंड में करोड़ों का हेर-फेर करने का आरोप है। इस एफ.आई.आर. को लेकर मनजीत सिंह जी.के. के नेतृत्व में ‘जागो’ पार्टी की ओर से स. सिरसा के निवास पर प्रदर्शन कर उनकी गिरफ्तारी और इस्तीफे की मांग की गई। ‘जागो’ की ओर से बादल अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से मांग की गई है कि जिस प्रकार जी.के. के विरुद्ध केस दर्ज होने पर उनसे गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा ले लिया गया था, उसी प्रकार सिरसा से भी गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा लिया जाए। 

शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के मुखियों, सरना-बंधुओं ने भी मांग की है कि स. सिरसा गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष पद से तुरन्त इस्तीफा दें। उनका मानना है कि स. सिरसा पर जिन गंभीर आरोपों के तहत एफ.आई.आर. दर्ज हुई है, उसके चलते यदि वह गुरुद्वारा  कमेटी अध्यक्ष पद पर बने रहते हैं तो सबसे बड़ी धार्मिक सिख संस्था की छवि के खराब होने के साथ ही संमूचे सिख जगत की छवि भी प्रभावित होती है। बताया गया है कि यह मामला शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के मुखी भूपिन्द्र सिंह की ओर से कुछ दस्तावेजों के साथ स. सिरसा के विरुद्ध दर्ज करवाया गया था। 

शिरोमणि अकाली दल डैमोक्रेटिक के मुखी हरप्रीत सिंह जौली (बन्नी जौली) ने इस बात पर हैरानी प्रकट की है कि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा स. सिरसा के विरुद्ध मामला दर्ज किए कई दिन बीत जाने पर भी शिरोमणि अकाली दल (बादल) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल द्वारा उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे बादल अकाली दल पर लग  रहे इन आरोपों की पुष्टि होती है कि शिरोमणि अकाली दल (बादल) भ्रष्टाचारियों और अपराधियों की सुरक्षित पनाहगाह है। 

...और अंत में : उधर शिरोमणि अकाली दल (बादल) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल स. सिरसा का बचाव करने के लिए आगे आ गए। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष स. सिरसा के विरुद्ध भ्रष्टाचार के ‘झूठे’ आरोपों के तहत जो मामला दर्ज किया गया है, वह सिरसा-विरोधियों के साथ उसकी मिलीभगत कर, की गई सोची-समझी साजिश है। उनके अनुसार स. सिरसा के विरुद्ध यह मामला इसलिए दर्ज किया गया क्योंकि वह दिल्ली बार्डर पर अपनी मांगों को लेकर बैठे किसानों को लंगर सहित अन्य आवश्यकताओं पर आधारित सेवाएं उपलब्ध करवा रहे हैं।-न काहू से दोस्ती न काहू से बैर जसवंत सिंह ‘अजीत’
 

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