अब पश्चिम बंगाल को दुरुस्त करने में लगी दीदी

Edited By ,Updated: 15 May, 2021 04:49 AM

didi is now engaged in repairing west bengal

वायरस महामारी ने राजधानी सहित बड़े शहरों को तबाह करके रख दिया है और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया है। भारत इस समय विश्व में कोरोना वायरस के नए मामलों

वायरस महामारी ने राजधानी सहित बड़े शहरों को तबाह करके रख दिया है और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया है। भारत इस समय विश्व में कोरोना वायरस के नए मामलों की सबसे ज्यादा गिनती रिकार्ड कर रहा है। देश में मृत्युदर अपनी बुलंदियों पर है। 

महामारी की दूसरी लहर ने किसी को भी नहीं ब शा, यहां तक कि कुलीन प्रशासनिक सेवाएं जोकि देश को निरंतर ही चला रही हैं, को भी अपनी चपेट में लिया हुआ है। सूत्रों के अनुसार 100 से अधिक अधिकारी जिनमें आई.ए.एस.,  आई.पी.एस., आई.आर.एस. तथा अन्य शामिल हैं, ने कोरोना के चलते अपने जीवन से हाथ धो लिया है। वरिष्ठ बाबुओं की मौतों के समाचारों में बिहार के प्रमुख सचिव अरुण कुमार सिंह तथा 1985 के उनके बैचमेट पूर्व सी.बी.आई. निदेशक रंजीत सिन्हा, भूमि स्रोतों के विभाग के पूर्व सचिव आर. बुहरिल तथा पंचायती राज विभाग के निदेशक (बिहार) तथा अन्य कई बाबुओं की मौतें भी शामिल हैं। 

इसके अलावा यू.पी. आई.ए.एस. एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक त्रिवेदी तथा बिहार के स्वास्थ्य अतिरिक्त सचिव आर.एस. चौधरी की मौतों का भी समाचार एक हफ्ते के दौरान मिला है। हाल ही के सप्ताहों में करीब 2 दर्जन शीर्ष नौकरशाह जो केंद्र सरकार के मंत्रालयों तथा विभागों से संबंधित थे, वे भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए। घरेलू स्तर पर महामारी ने सभी को दुखों से घेर रखा है। अपने ही देश में लोग सुरक्षित नहीं और हमेशा ही अपने तथा पारिवारिक सदस्यों के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित हैं। देश के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए यह बड़ा कड़ा अनुभव है। निश्चित तौर पर पुराना भरोसेमंद नैटवर्क असफल हो चुका है। 

काम पर लौटीं ममता : चुनाव आयोग द्वारा स्थानांतरित किए गए अधिकारियों को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वापिस बुलाया है। हाल ही में राज्य में आयोजित विधानसभा चुनावों में अपनी विजयी पताका फहराने के बाद मु यमंत्री ममता बनर्जी अपने घर की अस्त-व्यस्त चीजों को स्थापित करने में लगी हैं। इसका मतलब यह है कि वह एक बार फिर से उन वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारियों को वापस ला रही हैं जिनका स्थानांतरण चुनाव आयोग द्वारा चुनावी मुहिम के दौरान कर दिया गया था। 

सूत्रों के अनुसार शपथ ग्रहण करने के कुछ ही घंटों के भीतर दीदी ने वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारी वीरेन्द्र को फिर से डी.जी.पी. के पद पर नियुक्त कर दिया। वीरेन्द्र इसी माह सेवा निवृत्त हो जाएंगे। इसी तरह विवेक सहाय को फिर से बहाल कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार द्वारा पुलिस प्रशासन में व्याप्त गंदगी को साफ करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा बड़े स्तर पर उन आई.पी.एस. अधिकारियों को स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया गया है जिनकी भूमिका चुनावी अवधि के दौरान न केवल शंका के दायरे में थी बल्कि नियमों के खिलाफ भी थी। हालांकि स्थिति को सामान्य होने में समय लगेगा। 

पश्चिम बंगाल के कुछ भागों में चुनावों के बाद फैली हिंसा की रिपोर्टें आने के बाद गृह मंत्रालय ने अपने शीर्ष अधिकारियों की एक टीम को एक अतिरिक्त सचिव के अंतर्गत जांच हेतु लगाया है ताकि जमीनी स्थिति का मूल्यांकन किया जा सके। ऐसी स्थिति में दीदी और केंद्र के बीच फिर से तलवारें ङ्क्षखच जाएंगी। 

चुनाव आयोग विभाजित : कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान चुनाव आयोजित करने की भूमिका को लेकर मद्रास हाईकोर्ट की प्रतिक्रिया आने के बाद चुनाव आयोग मध्य में विभाजित होता दिखाई दे रहा है। चुनाव आयोग ने अपनी निंदा के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट का रुख किया था मगर इसकी याचिका रद्द कर दी गई थी। इसके पैनल के सलाहकार ने यह कहते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया कि उसके सिद्धांत चुनाव आयोग के अनुरूप नहीं। 

12 अप्रैल को मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा की सेवानिवृत्ति के बाद 3 सदस्यीय आयोग में सुशील चंद्रा मुख्य चुनाव आयुक्त तथा राजीव कुमार चुनाव आयुक्त हैं। तीसरे चुनाव आयुक्त का पद अभी खाली है। कई लोग सोचते हैं कि पिछली बार क्या हुआ था जब चुनाव आयोग के भीतर फूट पड़ी थी। 2019 के आम चुनावों के दौरान तत्कालीन चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को चुनावी आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोपों को लेकर उन्हें दी गई क्लीनचिट का विरोध किया था। हम सभी जानते हैं कि ऐसा क्यों हुआ?-दिल्ली का बाबू दिलीप चेरियन

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