‘इलैक्ट्रॉनिक मीडिया’ ने तो सभी हदें पार कीं

Edited By ,Updated: 11 Sep, 2020 03:53 AM

electronic media has crossed all limits

दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत तथा उसकी प्रेमिका रिया चक्रवर्ती को लेकर हाल ही में टी.वी. चैनलों ने निरंतर ही कवरेज दिखाई।  इसने देश में इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के स्टैंडर्ड में गिरावट के बारे में बताया है। एक या दो अपवादों के सिवाय सभी टी.वी....

दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत तथा उसकी प्रेमिका रिया चक्रवर्ती को लेकर हाल ही में टी.वी. चैनलों ने निरंतर ही कवरेज दिखाई।  इसने देश में इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के स्टैंडर्ड में गिरावट के बारे में बताया है। एक या दो अपवादों के सिवाय सभी टी.वी. चैनल बिना रुके पिछले डेढ़ महीने से सुशांत पर कवरेज कर रहे हैं। ज्यादातर चैनलों ने उसकी आत्महत्या के बारे में एक स्पष्ट रुख पेश कर दिया है कि क्या यह आत्महत्या थी या फिर हत्या या फिर रिया ही असली कातिल है। इसके अलावा चैनलों ने यह निष्कर्ष निकाल दिया कि रिया अपने आप में ही आरोपी है तथा सुशांत की बहनें भी जिम्मेदार हैं। 

ऐसी कवरेज ने देश को दो कैंपों में बांट दिया। एक छोटा कैंप समाचार चैनलों के निराशापूर्ण रवैये को लेकर सोच में है। उसका कहना है कि क्या टी.वी. चैनल इतनी शर्मनाक गहराई तक जा सकते हैं और किस प्रमाण के आधार पर निजी आरोप लगा सकते हैं? दूसरा कैंप जो दिखने में सीधी-सादी जनता का है,वह इस मुद्दे पर आनंद महसूस कर रहा है। उन्होंने अपने आपको भरोसा दिलाया है कि इस घटना में और भी ज्यादा तथ्य जुड़े हैं जोकि आत्महत्या तथा षड्यंत्र से ज्यादा हैं। सुशांत के ऐसे ही कुछ प्रशंसक अपने आप में जासूस तथा जांचकत्र्ता बने हुए हैं और इस मामले में कई कथित खामियों को ढूंढ रहे हैं। 

मैं निजी तौर पर ऐसे लोगों को जानता हूं जो ऐसे चैनलों से जुड़े हैं जो इस घटना की पल-पल की पूरी जानकारी दे रहे हैं। वास्तव में ऐसे चैनल एक शो का प्रसारण कर रहे हैं जो दिन-रात चलता ही रहता है। ऐसा ही एक चैनल जोकि दूसरों से अलग है, ने घटना के कुछ दिनों के बाद प्रमुखता से घोषणा की कि यह दूसरे चैनलों की तरह नहीं है और वह सुशांत मामले में कुछ दूसरों से हट कर तथ्य पेश कर रहा है। हालांकि दूसरे ही दिन उसके इस दावे के बाद उसने इस मुद्दे को कई दिनों तक अपनी हैडलाइन बनाए रखा। रिया चक्रवर्ती के साथ उसने एक एक्सक्लूसिव 2 घंटे का इंटरव्यू दिखाया जो एफ.आई.आर. में मुख्य आरोपी है। उसके बाद इसी चैनल ने उस इंटरव्यू को पूरे एक सप्ताह तक निरंतर दिखाया। 

स्पष्ट तौर पर ऐसे चैनल या फिर 90 प्रतिशत अन्य समाचार चैनल, जोकि इसी वर्ग में आते हैं, ऐसा नहीं सोचते कि देश में और भी कई महत्वपूर्ण घटनाएं घट रही हैं। उनके लिए हमारी अर्थव्यवस्था की खराब हालत एक बड़ा मुद्दा नहीं है। इसके अलावा बढ़ती बेरोजगारी और यहां तक कि कोविड महामारी जिसने कि 74000 जानें ली हैं तथा देश के 45 लाख नागरिकों को संक्रमित किया है, जैसे मुद्दों के बारे में अपने चैनलों में जगह नहीं दी। एक राष्ट्र के तौर पर हमें गंभीरतापूर्वक देश की अन्य प्राथमिकताओं पर विचार करना चाहिए कि आखिर हम लोगों को क्या परोस रहे हैं? न तो ऐसे टी.वी. चैनल, न ही उनको देखने वाले लोग राष्ट्र सेवा में अपना कोई योगदान दे पा रहे हैं। 

सौभाग्यवश देश में ज्यादातर प्रिंट मीडिया का एक हिस्सा सीमित तथा जिम्मेदार दिखा है। वह इन सब बातों से हट कर है मगर मुख्यधारा वाले मीडिया ने इलैक्ट्रॉनिक मीडिया से ज्यादा जिम्मेदारी से काम लिया है। हालांकि इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के पास ब्रॉडकास्ट रैगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया वाला एक नियामक है। यद्यपि यह भी पूरी तरह से निष्प्रभावी साबित हुआ है। शायद इसके ऐसे बर्ताव का कारण वे लोग हैं जो मीडिया पर निगरानी तथा उन पर कार्रवाई करने के लिए रखे गए हैं। 

यह स्पष्ट है कि ऐसा गड़बड़ वाला वितरित किया जाने वाला मसाला ऊंची टी.आर.पी. के लिए ही तो है। टी.वी. पर दिखाई जाने वाली बेतुकी बहसों पर बहुमूल्य समय नष्ट किया जाता है। इलैक्ट्रॉनिक मीडिया इसके लिए जिम्मेदार है। टी.आर.पी. रेटिंग एडवर्टाइजरों को प्रभावित करती है। यह जरूरी है कि टी.आर.पी. का सिस्टम जोकि भ्रष्टाचार तथा समर्थन को प्रोत्साहित करता है, में सुधार किया जाए। उसके लिए सरकार को आगे आना होगा तथा इस सारे सिस्टम में सुधार करने होंगे मगर क्या सरकार अपने कदम बढ़ाएगी जबकि इलैक्ट्रॉनिक मीडिया की वर्तमान स्थिति सरकार के लिए सही है तथा यह लोगों का असली मुद्दों से ध्यान भटका रहा है।-विपिन पब्बी
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!