वैश्विक चुनावी वर्ष है 2024

Edited By ,Updated: 05 Jan, 2024 04:26 AM

global election year is 2024

नए साल 2024 में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के मतदाता ही देश की नई सरकार नहीं चुनेंगे, बल्कि विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र अमरीका समेत 60 से ज्यादा देशों में नए निजाम के लिए चुनाव होंगे।

नए साल 2024 में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के मतदाता ही देश की नई सरकार नहीं चुनेंगे, बल्कि विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र अमरीका समेत 60 से ज्यादा देशों में नए निजाम के लिए चुनाव होंगे। इन देशों में विश्व की लगभग 41 प्रतिशत आबादी रहती है और दुनिया की जी.डी.पी. में इनकी हिस्सेदारी करीब 42 प्रतिशत है। अनुमान लगाया जा सकता है कि इन देशों के चुनावी परिणाम का भावी विश्व परिदृश्य पर कितना बड़ा प्रभाव होगा। इन देशों में दक्षिण एशिया के भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश और श्रीलंका भी शामिल हैं। 

अप्रैल-मई में संभावित आम चुनाव में भारत के लगभग एक अरब मतदाता 18वीं लोकसभा के लिए मतदान करेंगे। संकेत हैं कि केंद्रीय सत्ता के लिए मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ एन.डी.ए. और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के बीच होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा, घोषित तौर पर 38 दलों के एन.डी.ए. का नेतृत्व कर रही है, जबकि 28 दलों के ‘इंडिया’ में अभी नेतृत्व को ले कर शह-मात का खेल चल रहा है। 

नवंबर, 2023 में भाजपा को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में मिली शानदार जीत से यह साफ है कि दिल्ली की दौड़ में एन.डी.ए. आगे है। अंतॢवरोधों से ग्रस्त ‘इंडिया’ परस्पर सौहार्द बहाली और कारगर सीट बंटवारे में विलंब से चुनावी मुकाबले में और पिछड़ ही रहा है। विधानसभा चुनावों के दौरान गंवा दिए गए 3 महीनों में ‘इंडिया’ के घटक दलों में तल्खियां ही बढ़ीं और समन्वय समिति समेत बन चुकी तमाम समितियों की बैठक तक नहीं हो पाई। 

अब जबकि अगले लोकसभा चुनाव में बमुश्किल तीन महीने बचे हैं, संयोजक से ले कर न्यूनतम सांझा कार्यक्रम और सीट बंटवारे जैसे जटिल मुद्दों पर सहमति के बाद समन्वित चुनावी रणनीति की अपेक्षा, ‘इंडिया’ के अभी तक के आचरण के मद्देनजर बहुत ज्यादा आशावादी लगती है। कांग्रेस ने जो राष्ट्रीय तालमेल समिति बनाई, वह अभी तक अपनी प्रदेश इकाइयों से ही चर्चा कर रही है, जबकि अन्य घटक दल मीडिया के जरिए अपनी-अपनी सीटों की दावेदारी को हवा दे रहे हैं। बेशक अतीत में अप्रत्याशित चुनाव परिणाम भी आए हैं, पर वर्तमान परिदृश्य में तो केंद्रीय सत्ता की जंग में भाजपानीत एन.डी.ए. आगे नजर आ रहा है। इसलिए भी कि एक ओर ‘इंडिया’ अपने कुनबे को संभाल तक नहीं पा रहा है, वहीं दूसरी ओर एन.डी.ए., बी.जे.डी. आदि से बातचीत के जरिए विस्तार की कवायद में जुटा है। 

वैसे 2024 की चुनावी शृंखला की शुरूआत पड़ोसी बंगलादेश से होगी, जहां 7 जनवरी को राष्ट्रीय संसद का चुनाव होना है। सबसे लंबे समय तक महिला प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना चुकीं शेख हसीना चौथे कार्यकाल की दावेदारी कर रही हैं। जिस तरह ज्यादातर प्रमुख राजनीतिक दल निष्पक्ष चुनाव के लिए केयर टेकर सरकार की मांग करते हुए चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं, उससे शेख हसीना के लिए बड़ी चुनावी चुनौती नजर नहीं आती। उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी बंगलादेश नैशनलिस्ट पार्टी की अगुआ खालिदा जिया घर में नजरबंद हैं। 1971 में मुक्ति संग्राम में मदद के जरिए पूर्वी पाकिस्तान के अलग बंगलादेश बनने में भारत की निर्णायक भूमिका थी। उस मुक्ति संग्राम के अगुआ बंगबंधु शेख मुजीब उर रहमान और बाद में उनकी बेटी शेख हसीना की छवि भारत से मित्रता रखने वाली रही है। 

इस चुनाव में वह भारत से बेहतर रिश्तों की अपनी उपलब्धि को मुद्दा भी बना रही हैं। वहां की घरेलू राजनीति में कट्टरपंथी ताकतें इसे हसीना और उनकी आवामी लीग पार्टी के विरुद्ध मुद्दा बनाती हैं। भारत द्वारा बड़े भाई की भूमिका का निर्वाह किए जाने के बावजूद बंगलादेश में अल्पसंख्यक ङ्क्षहदुओं की हालत अच्छी नहीं है। उनकी आबादी तेजी से घटी है और पलायन लगातार जारी है। 1951 में हिंदू आबादी 22 प्रतिशत थी, जो अब 8 प्रतिशत ही रह गई है। जिस पाकिस्तान के सांस्कृतिक-भाषाई भेदभाव और सैनिक दमन से त्रस्त होकर पूर्वी पाकिस्तान अलग बंगलादेश बनने को मजबूर हुआ, वहां भी इसी साल आठ फरवरी को नैशनल असैंबली का चुनाव होना है। लोकप्रिय क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से बेदखल किए जाने के बाद से पाकिस्तान  राजनीतिक अस्थिरता का शिकार है। 

अब जबकि वहां नैशनल असैंबली के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, राष्ट्रीय गोपनीयता भंग करने तथा बतौर प्रधानमंत्री मिले उपहार बेच देने जैसे आरोपों में इमरान जेल में बंद हैं और उनके नामांकन पत्र दोनों चुनाव क्षेत्रों से खारिज किए जा चुके हैं। इमरान के बाद सत्ता शहबाज शरीफ ने संभाली थी, पर अब जबकि केयर टेकर सरकार की देख-रेख में चुनाव हो रहे हैं, चार साल निर्वासित जीवन गुजारने वाले उनके भाई पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ एक और पारी खेलने की तैयारी में स्वदेश लौट आए हैं। इमरान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ, नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) और बिलावल भुट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। अल्लाह और अमरीका का तो पता नहीं, पर पाकिस्तानी आर्मी, शरीफ के प्रति शरीफ नजर आ रही है। 

2024 में चुनाव दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमरीका, कभी पूरी दुनिया पर राज करने वाले ब्रिटेन समेत रूस, यूक्रेन, मैक्सिको, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में होने हैं। चुनावी समीकरण बदलते रह सकते हैं, लेकिन फिलहाल अमरीका में वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन के दूसरे कार्यकाल के लिए दावेदारी मजबूत, ब्रिटेन में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक कमजोर, रूस में 23 साल से सत्तासीन व्लादिमीर पुतिन चुनौतीविहीन नजर आते हैं। हां, चुनाव ताईवान में भी जनवरी में होंगे।-राज कुमार सिंह
 

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