गुड फ्राइडे और चुनाव!

Edited By ,Updated: 19 Apr, 2019 04:16 AM

good friday and election

क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि गुड फ्राइडे, जो आज हम मना रहे हैं और हमारे चुनावों में कुछ सामान्य बात है? मैं सोच रहा था कि क्या इन दोनों खास दिनों में कोई ऐसा संयोग है कि दोनों एक ही समय के आसपास आते हैं। मैंने इस बारे में विचार किया और...

क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि गुड फ्राइडे, जो आज हम मना रहे हैं और हमारे चुनावों में कुछ सामान्य बात है? मैं सोच रहा था कि क्या इन दोनों खास दिनों में कोई ऐसा संयोग है कि दोनों एक ही समय के आसपास आते हैं। मैंने इस बारे में विचार किया और पाया कि इन दोनों में काफी समानताएं हैं।

ये दोनों अवसर, गुड फ्राइडे हो अथवा मतदान दिवस, दोनों में चयन के अलावा नकारने की भी बात होती है। ‘‘हम आपको पसंद नहीं करते! गुड बाय।’’ ईसा मसीह को सूली पर लटकाए जाने से पहले पिछली रात जूडिया के गवर्नर पाइलट के समक्ष पेश किया गया और पाइलट ने लोगों की ओर मुड़ते हुए पूछा, ‘‘मैं इस आदमी का क्या करूंगा?’’ ठीक यही बात आपसे मतदान बूथ पूछता है जब आप अपना वोट डालने के लिए उसमें प्रवेश करते हैं। और लोग पाइलट से चिल्ला कर बोले, ‘‘उसे सूली पर लटका दो! उसे सूली पर लटका दो।’’ जो लोग यह चिल्ला रहे थे उन्होंने ईसा मसीह को चमत्कारी काम करते हुए देखा था :  उन्होंने उसे अंधे को देखने की शक्ति देते हुए, लंगड़े को फिर से चलाते हुए और एक व्यक्ति को कब्र से उठाते हुए देखा था जिसे लोगों ने मरा हुआ समझ लिया था। और फिर भी वे चिल्लाते हैं, ‘‘उसे सूली पर लटका दो।’’ 

इसी प्रकार, आजकल देशभर में चल रही चुनावी सरगर्मियों के बाद बहुत से उम्मीदवार अंतिम परिणाम को काफी अविश्वास के साथ देखेंगे और वे पाएंगे कि बहुत से प्रोजैक्ट पूरे करने के बावजूद, अपने लोकसभा क्षेत्र को गरीबी के क्षेत्र से बाहर लाने तथा लोगों के लिए कड़ी मेहनत करने के बावजूद जनता ने उन्हें नकार दिया है। चुनाव परिणाम आने पर वे इन्हें अविश्वास के साथ देखते हैं। उन्हें पता चलता है कि वे चुनाव हार गए हैं। लेकिन ...यह समानता यहीं समाप्त हो जाती है, क्योंकि ईसा मसीह अपनी मृत्यु के द्वारा जीत गया था। 

जब आप इतिहास की किताबें अथवा धार्मिक ग्रंथ पढ़ते हैं, आपके मन में सवाल उठ सकता है कि हम कैसी जीत की बात कर रहे हैं? एक पवित्र व्यक्ति, जिसे येरुशलम की गलियों में घसीटा गया, रोमन सिपाहियों द्वारा कोड़े मारे गए, जिस पर जनता ने थूका, यहां तक कि वह भारी लकड़ी का क्रास उठा कर गया, उसे विजेता कैसे कहा जा सकता है? जिस व्यक्ति के हाथों और टांगों में क्रास के साथ कीलें गाड़ दी गईं, उसे विजेता कैसे कहा जा सकता है? 

यहां सच्चाई छिपी है : कि अपनी मौत के माध्यम से ही वह आपका और मेरा मुक्तिदाता बन सकता था। क्योंकि वह मेरी गलतियों, गलत कार्यों और मेरे पापों की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेकर मरा था, जिस कारण आज मेरी ईश्वर तक सीधी पहुंच है। वह मुझे बुराई की शक्ति से मुक्त करने के लिए मरा था और उसके बजाय मुझे भगवान की शक्ति से मिलने की सीधी पहुंच दे गया। उसकी मौत एक जीत थी, जबकि चुनावों में हारने वाला बाहर हो जाता है। इस मामले में दो हजार वर्ष पहले गुड फ्राइडे के दिन, वह हार कर भी विजेता ही था।-राबर्ट क्लीमैंट्स
 

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