2023 का राजनीतिक परिदृश्य कैसा होगा

Edited By ,Updated: 27 Dec, 2022 04:33 AM

how will be the political scenario of 2023

वर्ष 2023 का भविष्य क्या होगा? क्या यह अच्छा होगा या बुरा? पिछले तीन वर्षों से दुनिया एक अभूतपूर्व महामारी कोविड को झेल रही है, जिसके पास पूरे विश्व को तबाह करने की शक्ति थी।

वर्ष 2023 का भविष्य क्या होगा? क्या यह अच्छा होगा या बुरा? पिछले तीन वर्षों से दुनिया एक अभूतपूर्व महामारी कोविड को झेल रही है, जिसके पास पूरे विश्व को तबाह करने की शक्ति थी। क्रिस्टल बॉल से भविष्य बताने वाले उम्मीद कर रहे हैं कि अगले वर्ष का परिदृश्य बेहतर होगा। वे उम्मीद करते हैं कि अर्थव्यवस्था की हालत बेहतर होगी और उम्मीद है कि यूक्रेन में युद्ध का समाधान निकलेगा। 

प्रसिद्ध फ्रांसीसी ज्योतिषी नास्त्रेदमस ने भविष्यवाणी की थी कि 2023 में यूक्रेन संकट विश्व युद्ध का कारण बन सकता है। इसके साथ-साथ तापमान में वृद्धि की भविष्यवाणी की और एक नए पोप के आगमन के बारे में भी बताया। इसके अलावा अमरीका में एक गृह युद्ध, विश्व में अशांति तथा मंगल पर लैंडिंग की भी भविष्यवाणी की। 

द इकोनॉमिस्ट पत्रिका वैश्विक चुनौतियों की तरफ इशारा करने के अलावा युक्रेन में युद्ध, खाद्य एवं ईंधन की कीमतों में वृद्धि, मुद्रा स्फीति के खिलाफ लड़ाई, अक्षय ऊर्जा के लिए संक्रमण और महामारी के बाद चीन के अनिश्चित हालातों के बारे में बात की है। अगले वर्ष आबादी के मामले में भारत दुनिया में सबसे ज्यादा चीन को पछाड़ सकता है। भारत के पास विश्व की सबसे बड़ी युवा जनसंख्या भी होगी। राजनीतिक तौर पर भारत के लिए 2023 में होने वाले 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव सबसे ज्यादा महत्ता रखते हैं। ये चुनाव अनेक दलों तथा उनके नेताओं का भविष्य भी तय करेंगे जिसमें कांग्रेस, भाजपा तथा अन्य क्षेत्रीय दल शामिल हैं। फरवरी में राहुल गांधी की वर्तमान ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के समापन के बाद उनकी ताकत का भी इन चुनावों में पता चलेगा। 

अगले साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव करवाए जाने हैं। इनमें मेघालय, त्रिपुरा तथा नागालैंड, फरवरी में, कर्नाटक के चुनाव मई में, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, तेलंगाना तथा राजस्थान के चुनाव नवम्बर में होने की संभावना है। इसके अलावा सरकार जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव करवा सकती है। कौन जीतेगा और कौन हारेगा इस बात का असर मतदाताओं के मनोबल पर जरूर पड़ेगा। इन चुनावों के नतीजे लोकसभा चुनावों के लिए अग्रदूत का कार्य करेंगे। सत्ताधारी भाजपा अपने विस्तार के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। विपक्ष के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि भाजपा के रथ को रोकने के लिए गैर-भाजपा दल जीत हासिल करें। 

राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस में सीधी चुनावी लड़ाई है। कर्नाटक में भाजपा, कांग्रेस और जद (एस) के बीच त्रिकाणीय मुकाबला होगा। वहीं तेलंगाना में त्रिकोणीय मुकाबला टी.आर.एस., कांग्रेस तथा भाजपा के बीच होगा। त्रिपुरा में भी एक त्रिकोणीय चुनावी युद्ध भाजपा, कांग्रेस तथा वाम मोर्चे के बीच होगा। इनमें से कर्नाटक और मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकारें हैं। दोनों प्रदेश कांग्रेस और भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं। छत्तीसगढ़ और राजस्थान मात्र 2 ऐसे राज्य हैं जहां कांग्रेस वर्तमान में शासन कर रही है। 

भाजपा तेलंगाना को राज्य के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव से छीनना चाहती है जो खुद को प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती देने वाला आत्मविश्वासी मानते हैं क्योंकि उनकी पार्टी ने 40 प्रतिशत से अधिक का वोट शेयर बनाए रखा है। के.सी.आर. राज्य में हैट्रिक करना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने कांग्रेस और तेलुगू देशम को खत्म कर दिया है। इस खाली स्थान को भरने के लिए पार्टी एक प्रमुख पार्टी के रूप में उभरी है। भाजपा का तत्काल ध्यान कर्नाटक प्रदेश पर है। भाजपा यहां पर उच्च दाव पर है क्योंकि यह दक्षिण में एकमात्र राज्य है जहां भाजपा शासन कर रही है। कांग्रेस-जद (एस) की जोड़ी के पास भाजपा सरकार गिराने का मौका है। 

त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम पूर्वोत्तर में ऐसे राज्य हैं जहां पर चुनाव होने हैं। मेघालय और नागालैंड में भाजपा के समर्थन वाली सरकार सत्ता में है। मिजोरम में मिजो नैशनल फ्रंट सरकार चला रही है। एक समय की प्रतिष्ठित कांग्रेस पार्टी अब लगभग समाप्त हो चुकी है। क्या कांग्रेस फिर से मजबूत होगी? क्या राहुल गांधी मजबूत बनेंगे? हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत ने पार्टी का मनोबल बढ़ाया है। इसने पार्टी को एकजुट होने का मौका दिया है। विपक्षी दलों ने भी महसूस किया है कि यदि वे गठबंधन नहीं करते तो मोदी अपना तीसरा कार्यकाल प्राप्त कर लेंगे। चुनावों के बाद ही विपक्षी दल प्रधानमंत्री उम्मीदवार पर कोई सहमति बना पाएंगे। वर्तमान में करीब आधा दर्जन इस पद के लिए दावेदार हैं जिनमें ममता, के.सी.आर. और अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं। 

एक नए वेरियंट के साथ कोविड की वापसी एक नई बात है। भारत महामारी को रोकने में कामयाब रहा है। देश ने एक अरब से भी अधिक लोगों का टीकाकरण किया। फिर भी  सरकार को इस नए वेरियंट के लिए सावधान रहना चाहिए। वित्त मंत्री 1 फरवरी को बजट प्रस्तुत करेंगे। महंगाई और मूल्य वृद्धि 2 महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। विश्व बैंक को भारत की जी.डी.पी. वृद्धि के बढऩे की उम्मीद है। मगर मुद्रा स्फीति 7 प्रतिशत से ऊपर रहेगी। कुल मिलाकर वर्ष 2023 हमारे लिए बेहतर संभावनाएं ला सकता है।-कल्याणी शंकर

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