पुलिस वालों में इंसानियत अभी जिंदा है

Edited By Updated: 06 Apr, 2021 03:30 AM

humanity is still alive among policemen

आमतौर पर माना जाता है कि पुलिस वालों में इंसानियत नहीं होती। पुलिस वालों का जनता के प्रति कड़ा रुख प्राय: निंदा के घेरे में आता रहता है। पिछले दिनों सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी मौत के बाद बॉलीवुड के मशहूर सितारों का नशीले

आमतौर पर माना जाता है कि पुलिस वालों में इंसानियत नहीं होती। पुलिस वालों का जनता के प्रति कड़ा रुख प्राय: निंदा के घेरे में आता रहता है। पिछले दिनों सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी मौत के बाद बॉलीवुड के मशहूर सितारों का नशीले पदार्थों के साथ नार्कोटिक विभाग द्वारा पकड़े जाना राजनीतिक घटना बताया जा रहा था। 

आरोप था कि यह सब बिहार के चुनाव के मद्देनजर किया जा रहा है जबकि ये सब नार्कोटिक कंट्रोल ब्यूरो के महानिदेशक राकेश अस्थाना की मुस्तैदी के कारण हो रहा था। अस्थाना के बारे में यह मशहूर है कि जब कभी उन्हें कोई संगीन मामला सौंपा जाता है तो वे अपनी पूरी काबिलियत और शिद्दत से उसे सुलझाने में जुट जाते हैं। सी.बी.आई. में रहते हुए अस्थाना ने कुख्यात भगौड़े विजय माल्या के प्रत्यर्पण में जो भूमिका निभाई है उसकी जानकारी सी.बी.आई. में उन सभी अफसरों को है जो इनकी टीम में रहे थे। 

लेकिन आज हम एक अनोखे केस की बात करेंगे। पुलिस हो या कोई अन्य जांच एजैंसी, वह हमेशा बेगुनाहों को झूठे केस में फंसा कर प्रताडि़त करने जैसे आरोपों से घिरी रहती है। लेकिन इतिहास में शायद पहली बार एेसा हुआ है जब विदेश में एक बेगुनाह जोड़े को बेगुनाह साबित कर भारत वापस लाने में नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो कामयाब रहा है। इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सम्बन्धों को और मजबूती मिली है। मामला 2019 का है जब उसी साल 6 जुलाई को कतर के हवाई अड्डे पर मुंबई के एक जोड़े को 4 किलो चरस के साथ पकड़ा गया था। 

मामला कतर की अदालत में पहुंचा और मुंबई के आेनिबा और शरीक को वहां की अदालत में 10 साल की सजा सुना दी गई। आेनिबा और शरीक ने अपनी सजा के दौरान अपनी बेटी को जेल में ही जन्म दिया। इन दोनों ने आने वाले 10 सालों के लिए खुद को जेल में ही बंद मान लिया था। लेकिन कतर से दूर मुम्बई में इन दोनों के रिश्तेदारों को इन दोनों की बेगुनाही का पूरा यकीन था। लिहाजा उन्होंने मुम्बई पुलिस और नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का दरवाजा खटखटाया। वे यहीं तक नहीं रुके उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय की मदद भी मांगी। हालांकि आेनिबा और शरीक को रंगे हाथों पकड़ा गया था लेकिन उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि इतनी बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थ इनके बैग में कैसे आए।

किसी ने खूब ही कहा है सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता। एक आेर जहां  आेनिबा और शरीक हिम्मत हार चुके थे वहीं शरीक की फोन रिकॉॄडग में से एक ऐसा सबूत निकला जिसने इस मामले का सच उजागर कर दिया। दरअसल शरीक की फूफी तबस्सुम ने शरीक के मना करने पर भी शरीक और आेनिबा को एक हनीमून पैकेज तोहफे में दिया। इस तोहफे में कतर की टिकट और वहां रहने और घूमने का पूरा पैकेज था। इस पैकेज के साथ ही तबस्सुम ने शरीक को एक पैकेट भी दिया जिसमें तबस्सुम ने अपने रिश्तेदारों के लिए ‘पान मसाला’ भेजा था। असल में वह पान मसाला नहीं बल्कि चरस थी। 

इतने गम्भीर मामले के बावजूद नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के महानिदेशक राकेश अस्थाना को लगा कि यह मामला इतना सपाट नहीं है जितना दिखाई दे रहा है। उन्हें इसमें कुछ पेच नजर आए इसलिए अस्थाना ने एक विशेष टीम गठित की। इस टीम का नेतृत्व नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के डिप्टी डायरैक्टर के.पी.एस.मल्होत्रा ने किया। जांच हुई और पता चला कि शरीक की फूफी तबस्सुम एक कुख्यात गैंग का हिस्सा है जो नशीले पदार्थों की तस्करी करता है। इस गैंग का सरगना मुंबई का निजाम कारा है जिसे मुम्बई में गिरफ्तार किया गया। मुम्बई के नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की जांच में ही यह सामने आया कि आेनिबा और शरीक दोनों बेगुनाह हैं। 

चूंकि मामला विदेश का था जहां ये बेगुनाह जोड़ा जेल में बंद था और असली गुनहगार भारत में नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की हिरासत में। तभी नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के महानिदेशक ने यह तय किया कि आेनिबा और शरीक को बाइज्जत वापस भारत लाया जाए। अस्थाना ने प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय की मदद से कतर में भारतीय दूतावास के जरिए कतर के अधिकारियों को इस मामले के सभी सबूत भिजवाए। कतर की कोर्ट में इन सभी सबूतों पर फिर सुनवाई हुई और इस साल जनवरी में इस मामले में पुन: विचार किया गया। 

29 मार्च 2021 को आखिरकार कतर की अदालत ने आेनिबा और शरीक को बेगुनाह मान लिया और बाइज्जत रिहा कर दिया। अब बस उस दिन का इंतजार है जब सभी कानूनी औपचारिकताआें के बाद आेनिबा और शरीक को वापस भारत भेजा जाएगा। इस खबर को सुन कर आेनिबा और शरीक के रिश्तेदारों में एक खुशी की लहर दौड़ गई। उनका यह कहना है कि इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय और खासतौर पर नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने उनकी इस बात पर विश्वास किया कि आेनिबा और शरीक बेगुनाह हैं और इसलिए इस केस में आगे बढ़ कर हमारी मदद की। वर्ना यह जोड़ा दस बरस तक कतर की जेल में सड़ता रहता। 

इस पूरे हादसे से यह साबित होता है कि अगर कोई उच्च अधिकारी निष्पक्षता, पारदॢशता और मानवीय संवेदना से काम करे तो वह जनता के लिए किसी मसीहा से कम नहीं होता। इस मामले में सक्रियता दिखा कर नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की टीम ने अपनी छवि को काफी सुधारा है। यह उदाहरण केंद्र और राज्यों की अन्य जांच एजैंसियों के लिए अनुकरणीय है। उन्हें इस बात से सतर्क रहना चाहिए की कोई भी उनका दुरुपयोग निजी हित में या अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को परेशान करने के लिए न करे बल्कि सभी जांच एजैंसियां अपने नियमों के अनुसार कानूनी कार्रवाई करें और राग द्वेष से मुक्त रहें। 

इससे उनकी छवि जनता के दिमाग में बेहतर बनेगी और ये जांच एजैंसियां गुनहगारों को सजा दिलवाने में और बेगुनाहों को बचाने में नए मानदंड स्थापित करेंगी। इसके लिए आवश्यक है कि इन जांच एजैंसियों की टीम में तैनात अधिकारी अपने वेतन और भत्तों से संतुष्ट रह कर, बिना किसी प्रलोभन में फंसे, अपने कत्र्तव्य को पूरा करें तो उससे हमारे समाज और देश को लाभ होगा और इन कर्मचारियों को भी आत्मिक संतोष प्राप्त होगा।-विनीत नारायण
 

Related Story

    Trending Topics

    IPL
    Royal Challengers Bengaluru

    190/9

    20.0

    Punjab Kings

    184/7

    20.0

    Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

    RR 9.50
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!