‘संवाद हो तो समाधान निकलेगा’

Edited By ,Updated: 07 Jan, 2021 05:00 AM

if there is dialogue a solution will come out

महान भारतीय संस्कृति और परंपरा में कृषि को मानव कल्याण का साधन माना गया है। यजुर्वेद में कहा गया है- ‘कृष्यै त्वा क्षेमाय त्वा रय्यै त्वा पोषाय त्वा’। अर्थात राजा का मुख्य कत्र्तव्य कृषि की उन्नति, जन कल्याण और धन-धान्य की वृद्धि करना...

महान भारतीय संस्कृति और परंपरा में कृषि को मानव कल्याण का साधन माना गया है। यजुर्वेद में कहा गया है- ‘कृष्यै त्वा क्षेमाय त्वा रय्यै त्वा पोषाय त्वा’। अर्थात राजा का मुख्य कत्र्तव्य कृषि की उन्नति, जन कल्याण और धन-धान्य की वृद्धि करना है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के किसानों को छोड़कर अंबानी, अडानी और देश के उद्योगपतियों के साथ खड़े होंगे, यह उतना ही बड़ा झूठ है जितना बड़ा कोई यह कहे कि सूरज पूर्व से नहीं पश्चिम से उग रहा है। भारत कृषि और ऋषि प्रधान देश है। आजादी के बाद देश में अनेक सरकारें केन्द्र में आईं, पर अटलजी को छोड़कर किसी प्रधानमंत्री ने गांव, गरीब और किसान की ओर ध्यान नहीं दिया। 

भाषण सभी देते रहे कि भारत कृषि प्रधान देश है पर ‘किसानों’ के खेत-खलिहान की चिंता वर्षों बाद भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है, भारत में किसान जो भारत की मिट्टी की शान हैं, को गर्त में डालकर कोई चाहे कि वह सरकार में बना रहेगा, यह संभव ही नहीं है। यही कारण है कि अपने छ: वर्षों के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के हित में जितने फैसले लिए उतने पूर्व की सरकारों ने कभी नहीं लिए। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर देश का अटूट विश्वास है। दुनिया में कोई ऐसी तराजू नहीं बनी है जो नरेन्द्र मोदी की भाजपा सरकार को तौलने की ताकत रखती हो। जो नरेंद्र मोदी यह कहते हैं कि किसान शक्ति ही राष्ट्र की शक्ति है, उनके बारे में ऐसा सोचना ही पाप है। 

अपने अन्नदाता और माटी के भाग्य विधाता की जिंदगी को बदलने के लिए लाए गए तीनों कृषि बिल का सच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सामने संसद और सड़क दोनों पर खुलकर रखा है। उन्होंने किसानों से कहा कि हम किसानों से हाथ जोड़कर विनम्रतापूर्वक कहते हैं कि वे सरकार के साथ संवाद करें, और बताएं कि इन तीनों कानूनों में कौन-सा भाग उनके खिलाफ है, हम संशोधन के लिए तैयार हैं। इससे अधिक और देश के प्रधानमंत्री क्या कह सकते हैं। बावजूद इसके किसानों का अपनी बातों पर अड़े रहना क्या उचित कहा जा सकता है? 

विश्व भर में युद्ध हो या आंदोलन जितने दिन भी चले हों, अंत में चर्चा (संवाद) से ही टेबल पर समाप्त हुए हैं। किसानों का इस तरह ‘अडऩा’ क्या उचित कहा जा सकता है। क्या सरकार को किसान यूनियन को अपने संशोधनों के बारे में नहीं बताना चाहिए? आज प्रत्येक भारतवासी की जुबां पर एक ही बात है कि नरेंद्र मोदी सरकार किसानों का अहित कभी  नहीं  कर सकती। किसानों का अहित यानि राष्ट्र का अहित। 

जो प्रधानसेवक अपनी जिंदगी का हर पल भारतमाता के लिए जीता हो, वह अन्नदाताओं की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कैसे कर सकता है। नरेंद्र मोदी को आज देश का बच्चा-बच्चा सलाम करता है कि पिछले 6 वर्षों में विश्व में भारत की तस्वीर और तकदीर बदल दी। किसानों को अपने प्रधानमंत्री पर अटूट विश्वास है और आगे भी रखना चाहिए। हमें यह पता है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते किसानों पर अन्याय कोई नहीं कर सकता। वह किसानों के सबसे बड़े रक्षक और हितैषी हैं। यदि कुछ लोगों ने भ्रम फैलाया भी है तो सरकार उस भ्रम के निवारण के लिए चौबीस घंटे खड़ी है। विपक्ष को भी चाहिए कि वह भोले-भाले किसानों को गुमराह करने की बजाय उन्हें उचित राह बताएं। 

किसान हितैषी केंद्र की सरकार पहले दिन से संवेदनशील है। धरने को टालने के लिए सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय रेल तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने किसान संगठनों से बात की। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्री अमित शाह भी अपनी ओर से किसान संगठनों से धरना समाप्त करने का निवेदन कर चुके हैं। जहां एक ओर कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने देश के किसानों के नाम 8 पन्नों का पत्र लिखकर सकारात्मक पहल की, वहीं  गृहमंत्री अमित शाह ने व्यक्तिगत रूप से किसान संगठनों से मिलकर हल निकालने का सार्थक प्रयास किया है। 

किसानों को समझना चाहिए कि संवाद दुनिया की हर समस्या का श्रेष्ठ समाधान है। समाज का गठन ही संवाद से होता है। भारतीय ङ्क्षचतन परंपरा में संवाद का व्यापक महत्व रहा है। संवाद भारतीय दर्शन का अत्यंत सहिष्णु पक्ष रहा है जिसके कारण भारत विश्वगुरु कहलाया।-प्रभात झा भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!