युवा पीढ़ी में बढ़ता नशे का प्रचलन

Edited By ,Updated: 04 Dec, 2023 06:31 AM

increasing prevalence of drug addiction among the young generation

युवा पीढ़ी में नशे के बढ़ते प्रचलन पर रोकथाम लगाना अति आवश्यक हो गया है। वर्ना वह दिन दूर नहीं जब नशे की लत से युवा पीढ़ी छोटी उम्र में ही मौत को दस्तक देने लगेगी।

युवा पीढ़ी में नशे के बढ़ते प्रचलन पर रोकथाम लगाना अति आवश्यक हो गया है। वर्ना वह दिन दूर नहीं जब नशे की लत से युवा पीढ़ी छोटी उम्र में ही मौत को दस्तक देने लगेगी। कई सरकारें इस मामले में काफी कठोर व कारगर कदम उठाने का प्र्रयास करती नजर आ रही हैं परन्तु उसके बावजूद नशे का प्रचलन धड़ल्ले से बढ़ रहा है। क्या पुलिस के लिए नशा तस्करों तक पहुंचना कोई मुश्किल काम है। इस नशा तस्करी के प्रति सरकारें आंखें मूंदें बैठी हैं। राजनेताओं व अफसरशाही में भी कुछ ऐसे लोग हैं जिनकी वजह से नशा तस्करी को रोक पाना संभव नहीं हो पा रहा है। नशा तस्करी की आड़ में कई अधिकारी मालामाल हो चुके हैं। 

नशे के बढ़ते प्रचलन का एक मुख्य कारण बेरोजगारी भी है। अब नशा स्कूलों, कालेजों से लेकर विश्वविद्यालयों तक अपने पांव पसार चुका है। पंजाब में कई राजनीतिक दल प्रतिद्वंद्वी राजनेताओं पर नशे का कारोबार करने का आरोप लगाते रहे हैं। जिस कारण कई बड़े नेताओं को जेल की हवा तक खानी पड़ी। क्या यह प्रतिद्वंद्विता के कारण किया जाता है या फिर जब ये नेता कथित तौर पर नशे का कारोबार करते हैं तो पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है जिससे नशे का धंधा फलता-फूलता रहता है। 

हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार ने नशे के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं। इस दौरान कई क्षेत्रों से बड़े-बड़े नशा तस्कर पकड़े गए। इस सबके बावजूद स्कूलों, कालेजों और विश्वविद्यालयों में नशे की सप्लाई पुलिस की कारगुजारी पर प्रश्नचिन्ह लगा रही है। नशे को रोकने के लिए काफी सख्त कानून बनाए गए हैं व अदालतों में भी काफी मामले लंबित पड़े हैं। इसके बावजूद न तो नशेड़ी ही कम हुए और न ही नशा तस्करी खत्म हुई। 

हमारे देश में जल्दबाजी में कानून तो बना दिए जाते हैं मगर कानून बनाने से पहले हम कभी चर्चा नहीं करते कि नशे को रोकने के लिए क्या-क्या उपाय सार्थक हो सकते हैं। अगर सरकार में ईमानदार राजनेता व नौकरशाह हो तो ऐसे धंधे कुछ दिनों में चौपट हो सकते हैं परन्तु राजनेताओं को चुनाव में धन की जरूरत होती है व उनकी तिजोरी ऐसे लोग ही भरते हैं। कई सरकारी अधिकारी भी अपनी जिम्मेदारी को सही ढंग से नहीं निभाते। दूसरी ओर देश में शराब के ठेकों की अरबों रुपए में नीलामियां सरकार की आमदन का साधन बनी हुई हैं। क्या शराब नशा नहीं है? इसके पीने पर प्रतिबंध क्यों नहीं लग सकता। बिहार में इस प्रकार का प्रयास किया गया परन्तु उसके विपरीत परिणाम निकले। अगर सरकारें रोजगार की ओर ध्यान केंद्रित करें तो समाज में नशे की बढ़ती लत को विराम लगाने में काफी सहयोग मिल सकता है। 

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