भारत का सामर्थ्य और नए साल में संभावनाएं

Edited By ,Updated: 02 Jan, 2022 06:47 AM

india s potential and prospects in the new year

नए साल में भारत ने नई संभावनाओं के साथ प्रवेश किया है। वैश्विक महामारी कोरोना का जिस तरह से हमारे देश की सरकार, वैज्ञानिकों और डाक्टरों ने मुकाबला किया है, उसकी दुनिया सराहना कर रही है। एक साल के भीतर कोरोना का टीका विकसित करके और एक अरब लोगों को...

नए साल में भारत ने नई संभावनाओं के साथ प्रवेश किया है। वैश्विक महामारी कोरोना का जिस तरह से हमारे देश की सरकार, वैज्ञानिकों और डाक्टरों ने मुकाबला किया है, उसकी दुनिया सराहना कर रही है। एक साल के भीतर कोरोना का टीका विकसित करके और एक अरब लोगों को लगाकर हमने दुनिया को अपने सामथ्र्य और प्रबंधन की क्षमता का उदाहरण पेश किया है। रक्षा क्षेत्र से लेकर विकास के कई क्षेत्रों में जिस तेजी से आज देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, उससे भी दुनिया के कई देश हैरान और परेशान हैं। 

वास्तव में भारत एक सुप्त महाशक्ति है। यदि वह जाग जाए तो सारे विश्व की अर्थव्यवस्था को गहरे रूप से प्रभावित कर सकता है। इतिहास गवाह है कि भारत दुनिया में चुङ्क्षनदा सभ्य तथा सम्पन्न देशों में से एक था। सिंधु घाटी सभ्यता तथा मोहनजोदाड़ो तथा हड़प्पा के अवशेष इस बात के प्रमाण हैं कि 2500 ई.पू. में ही भारत कृषि, मिट्टी के बर्तन बनाने की कला, औजार, आभूषण, मानव निर्मित वस्तुओं तथा मिश्रित धातु की मूॢतयों के निर्माण का कौशल विकसित कर चुका था। बाद में लगभग छठी शताब्दी ईस्वी में, मगध साम्राज्य में शहरों का विकास तथा सिक्कों का इस्तेमाल आरम्भ हुआ। इसके बाद मौर्य काल में कौटिल्य रचित ‘अर्थशास्त्र’ जैसे ग्रंथ लिखे गए। सम्राट अशोक के शासन में समृद्धि तथा प्रगति जारी रही। बहरहाल भारत को समय-समय पर विदेशी आक्रमणों का सामना करना पड़ा, जो उसके विकास में अड़चन बने। 

आज भारत के पास विशाल पैमाने पर कुशल और दक्ष मानव संसाधन हैं। सौभाग्य से ज्ञान युग के उद्भव के साथ भारत खुद को एक अत्यन्त लाभकारी स्थिति में पाता है क्योंकि यह शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और शासन में सामाजिक परिवर्तनों को प्रेरित करेगा, जो बड़े पैमाने पर रोजगारों, उच्च उत्पादकता, उच्च राष्ट्रीय विकास, कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण, समन्वित तथा पारदर्शी समाज और ग्रामीण समृद्धि को प्रोत्साहित करेंगे। भारत को मुख्यत: आर्थिक ताकत से सशक्त बनाया जा सकता है, जो प्रतिस्पर्धा से आएगी और प्रतिस्पर्धा ज्ञान से उत्पन्न होती है। ज्ञान को प्रौद्योगिकी से समृद्ध करना होता है और प्रौद्योगिकी को व्यवसाय से शक्ति प्राप्त होती है। व्यवसाय को नवीन प्रबन्धन से शक्ति मिलती है और प्रबन्धन नेतृत्व से प्रबल होता है। एक नेता न केवल एक कमांडर, बल्कि एक स्वप्नदृष्टा, सहयोगी और एक विचारक भी होता है। 

विकसित भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रत्येक नागरिक के सहयोग की आवश्यकता है। प्रज्वलित युवा मस्तिष्क लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शक्तिशाली इंजन का काम करते हैं। युवाओं का अदम्य उत्साह, राष्ट्र निर्माण की क्षमता और रचनात्मक नेतृत्व भारत को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ और विश्व में सही स्थान दिला सकते हैं। हमारे पास प्राकृतिक संसाधन हैं, लेकिन हम उनका लाभ नहीं उठाते। वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपने उत्पादों को बेचने की आक्रामक प्रवृत्ति का भारतीय उद्यमियों में अभाव है। हम इसकी बजाय ‘अमरीका, ब्रिटेन या विदेश में निर्मित’ से प्रभावित हैं। हमें भारतीय उत्पादों को प्रोत्साहित करना चाहिए और उनका प्रभावपूर्ण तरीके से विपणन करना चाहिए। हमें अपनी जैव विविधता को भी पहचानना चाहिए और उन्हें पेटेंट कराना चाहिए। साथ ही हमें बढ़ती जनसंख्या के संकट पर भी एक निगाह रखनी चाहिए क्योंकि इसमें वृद्धि गुणवत्ता में कमी को प्रेरित करेगी। भारत जैसा लोकतांत्रिक देश किसी भी विकसित देश को पछाड़ सकता है, यदि इसके लोग मिल कर चलें। 

भारत के पास विशाल उर्वर भूमि है और हम अनाज उत्पादन में दूसरे तथा फल उत्पादन में पहले स्थान पर हैं, लेकिन उत्पादकता (उपज प्रति हैक्टेयर) के संदर्भ में हम 45वें स्थान पर हैं। हमें नवीन खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल द्वारा कृषि उत्पादों में मूल्य-संवर्धन करना चाहिए। जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी सुधार हो सकता है। भारत के पास औषधीय जड़ी-बूटियों की संपदा है और जैव प्रौद्योगिकीविदों को इन संसाधनों को मानव जाति के लिए उपयोगी बनाने के लिए इनका लाभ उठाना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों तथा बिजली द्वारा कनैक्टिीविटी आवश्यक है। सूचना प्रौद्योगिकी हमारी मुख्य क्षमताओं में से एक है और हमें उसे बड़े पैमाने पर विकसित करना चाहिए। हमारे देश के नीति निर्माताओं को रूपान्तरण तथा लक्ष्यों को कार्यों में परिणत करने की प्रक्रिया में अवश्य सहयोग करना चाहिए। चुनौतियां हमेशा रहेंगी लेकिन यह हम पर निर्भर करता है कि हम प्रगति तथा विकास के लिए उन्हें अवसरों में कैसे बदलते हैं।-निरंकार सिंह 

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