क्या चिकित्सीय बीमा दावों के लिए 24 घंटे अस्पताल में भर्ती रहना आवश्यक है?

Edited By ,Updated: 27 Dec, 2023 06:04 AM

is 24 hour hospitalization necessary for medical insurance claims

यदि कोई पॉलिसीधारक सर्जरी या इलाज के लिए कम से कम 24 घंटे तक अस्पताल में भर्ती नहीं हुआ, तो क्या बीमा कंपनियों को चिकित्सा दावों का भुगतान करने से इंकार कर देना चाहिए क्योंकि चिकित्सा देखभाल में प्रगति के कारण कई प्रक्रियाओं में अब केवल कुछ घंटे...

यदि कोई पॉलिसीधारक सर्जरी या इलाज के लिए कम से कम 24 घंटे तक अस्पताल में भर्ती नहीं हुआ, तो क्या बीमा कंपनियों को चिकित्सा दावों का भुगतान करने से इंकार कर देना चाहिए क्योंकि चिकित्सा देखभाल में प्रगति के कारण कई प्रक्रियाओं में अब केवल कुछ घंटे लगते हैं? उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा कि वह इस मुद्दे को बीमा नियामक आई.आर.डी.ए.आई. और वित्तीय सेवा विभाग (डी.एफ.एस.) के समक्ष उठाएगा। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग प्रमुख ने रविवार को राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस पर एक कार्यक्रम में इस चिंता को उजागर किया। 

राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस पर एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एन.सी.डी. आर.सी.) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रसाद साही ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति है कि अगर किसी को सर्जरी के लिए कम से कम 24 घंटे तक संबंधित अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता है, तो दावे स्वीकार नहीं किए जाएंगे। यह अक्सर चिकित्सा दावे और चिकित्सा लापरवाही के मामलों में सामने आता है। कुछ जिला मंचों ने नवाचार किया और आदेश दिया कि भले ही साढ़े 23 घंटे का समय हो, दावों का भुगतान करना होगा। उन्होंने इसका समर्थन इस तर्क के साथ किया है कि अब कई उपचार 24 घंटे से भी कम समय में किए जा सकते हैं। इसलिए बीमा कंपनियों को इस बारे में जागरूक करने की जरूरत है।’’ 

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया, ‘‘उपभोक्ताओं के हित में, हम कोई रास्ता निकालने के लिए इसे आई.आर.डी.ए. और डी.एफ.एस. के साथ उठाएंगे। इससे पहले हमने बीमा क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श किया था कि सुधार कैसे लाया जाए। हमारा ध्यान दस्तावेजों और प्रक्रियाओं को उपभोक्ता-अनुकूल बनाने, समाधान खोजने और विवादों को कम करने पर है।’’ 

न्यायमूर्ति साही ने कहा कि पंजाब और केरल में जिला उपभोक्ता आयोगों ने चिकित्सा बीमा दावों के प्रावधानों पर ‘ऐतिहासिक आदेश’ पारित किए हैं। अगस्त में, फिरोजपुर जिला उपभोक्ता आयोग ने शिकायतकत्र्ता के मैडीकल दावे को गलत तरीके से इस आधार पर खारिज करने के लिए सेवा में कमी के लिए एक बीमा कंपनी को उत्तरदायी ठहराया था, कि वह अस्पताल में 24 घंटे से कम समय के लिए भर्ती था। उपभोक्ता मामलों के सचिव ने जिला और राज्य स्तर पर उपभोक्ता आयोगों के ठोस प्रयासों की सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप इस वर्ष 1.61 लाख नए मामले दर्ज होने के मुकाबले 1.77 लाख शिकायतों का निपटान हुआ है। एन.सी.डी.आर.सी. के मामले में निपटान 200 प्रतिशत है। हालांकि एन.सी.डी. आर.सी. प्रमुख ने शिकायतों के तेजी से निपटान की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि कैसे आयोगों को इन आदेशों के निष्पादन में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 

उन्होंने कहा, ‘‘हमें निष्पादन के लिए सिविल कोर्ट की सभी शक्तियां मिल गई हैं, लेकिन हमारे पास आवश्यक बुनियादी ढांचा नहीं है। यदि निष्पादन के लिए एक मानकीकृत योजना शुरू की जाती है, तो इससे उपभोक्ता न्याय को बढ़ावा मिलेगा।’’-दीपक के. डैश 

Trending Topics

India

Ireland

Teams will be announced at the toss

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!