आई.एस. के खात्मे के लिए विश्व के सभी बड़े देश हुए एकजुट

Edited By ,Updated: 16 Nov, 2015 11:26 PM

is for the extermination of all the major countries of the world were united

अंतर्राष्ट्रीय आतंकी गिरोहों में नवीनतम नाम ‘इस्लामिक स्टेट’ (आई.एस.) का है। ईराक व सीरिया में आतंक फैलाने और नरसंहार करने वाले इस गिरोह को, जो विश्व के विभिन्न भागों में हजारों लोगों को मौत के घाट उतार चुका है,

अंतर्राष्ट्रीय आतंकी गिरोहों में नवीनतम नाम ‘इस्लामिक स्टेट’ (आई.एस.) का है। ईराक व सीरिया में आतंक फैलाने और नरसंहार करने वाले इस गिरोह को, जो विश्व के विभिन्न भागों में हजारों लोगों को मौत के घाट उतार चुका है, इसके नियंत्रण वाले क्षेत्रों के लोग ‘दौलत’ (सरकार) कहते हैं।

विश्व के 62 देश भी मिल कर अभी तक इसे समाप्त करने में नाकाम रहे हैं। यह गिरोह न सिर्फ ईराक व सीरिया में सुन्नी इस्लामी शासन कायम करना चाहता है बल्कि सारे विश्व को ही अपनी शक्ति दिखाना चाहता है। अभी तक यह सऊदी अरब, लीबिया, लेबनान, मिस्र, ट्यूनीशिया, यमन, अफगानिस्तान, तुर्की, कुवैत, बंगलादेश व फ्रांस सहित 11 देशों को निशाना बना चुका है।
 
यह विश्व के हर उस देश को निशाना बना रहा है जो इसे समाप्त करने के अभियान में शामिल है। हाल ही में रूस भी इस अभियान में शामिल हो गया है। सीरिया में यूरोपीय संघ के देशों के साथ मिल कर फ्रांस द्वारा आई.एस. के ठिकानों पर हमलों के कारण इसके सरगना फ्रांस से नाराज हैं।
 
इसी का बदला लेने के लिए आई.एस. के आत्मघाती हमलावरों ने 13 नवम्बर रात को फ्रांस में 7 स्थानों पर धमाके करके 158 से अधिक लोगों को मार डाला तथा 350 के लगभग लोगों को घायल कर दिया। 
 
फ्रांस के राष्टपति होलांदे ने आई.एस. के इस हमले को फ्रांस के विरुद्ध ‘युद्ध’ करार दिया तथा इसे कुचलने के लिए बेरहमी से अभियान चलाने की घोषणा करते हुए कहा है कि ‘‘आई.एस. के विरुद्ध कार्रवाई रोकी नहीं जाएगी।’’ 
 
आई.एस. के विरुद्ध इस अभियान में यूरोपीय संघ तथा जी-20 समूह के सदस्य देशों भारत, अमरीका, इंगलैंड, रूस, चीन, जापान आदि ने फ्रांस को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की है। बहरीन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और जर्मनी आदि भी इस अभियान में फ्रांस के साथ हैं। 
 
आई.एस. ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए एक वीडियो जारी करके फ्रांस सरकार को धमकी दी है कि ‘‘तुम जब तक बम बरसाते रहोगे तब तक चैन से नहीं रह पाओगे और तुम्हें बाजार में निकलने में भी डर लगेगा।’’
 
परंतु आई.एस. की इस धमकी से बेपरवाह फ्रांस ने बिना समय गंवाए कार्रवाई शुरू कर दी और लगभग 170 स्थानों पर छापे मार कर 23 लोगों को गिरफ्तार करने के अलावा 100 से अधिक लोगों को नजरबंद किया गया। 
 
इसके अलावा 15 नवम्बर को फ्रांस, अमरीका और इंगलैंड के 22 जैट बमवर्षकों ने आई.एस. के विरुद्ध एक साथ पहली बड़ी कार्रवाई करते हुए संयुक्त अरब अमीरात और जोर्डन से उड़ान भरी।
 
इन विमानों ने सीरिया में इस्लामी चरमपंथियों की वास्तविक राजधानी राका में आई.एस. के ठिकानों को निशाना बनाकर उसके एक नियुक्ति केन्द्र, कमांड, पोस्ट, गोला-बारूद व शस्त्र भंडार तथा ट्रेनिंग कैम्पों पर अंधाधुंध बम वर्षा करके उन्हें नष्टï कर दिया। तीनों देशों द्वारा आई.एस. के सरगना इब्राहिम अवाद इब्राहिम अली अल बादरी उर्फ अबू बकर अल बगदादी की तलाश भी तेज कर दी गई है।
 
इसी बीच तुर्की में भी सीरिया की सीमा के निकट जेहादियों के एक ठिकाने पर तुर्की पुलिस के छापे के दौरान आई.एस. के एक आत्मघाती आतंकी ने स्वयं को विस्फोट से उड़ा दिया जिससे 5 पुलिस अधिकारी घायल हो गए। 
 
आई.एस. के आतंकवादी लंदन और वाशिंगटन पर भी हमले की साजिश रच रहे हैं। इंगलैंड के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने भी कहा है कि आई.एस. का विस्तार होने के कारण इंगलैंड में उनके हमले का खतरा बढ़ गया है।
 
अमरीका में राष्टपति पद के लिए डैमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी किं्लटन का भी कहना है कि आई.एस. को हराना आवश्यक है और यह युद्ध इस्लाम के विरुद्ध न होकर हिंसक चरमपंथ के विरुद्ध है। 
 
आतंकवादी गिरोह निर्दोषों की अंधाधुंध हत्याएं करके विश्व समुदाय को ब्लैकमेल कर रहे हैं जिसे देखते हुए फ्रांस तथा विश्व समुदाय का आतंकवाद व चरमपंथ के विरुद्ध एकजुट होना एक सामयिक और अपरिहार्य पग है।
 
जिस तरह फ्रांस सरकार ने आई.एस. की धमकियों की परवाह न करते हुए मित्र देशों के साथ मिलकर इसके विरुद्ध कार्रवाई आरंभ की है उसे किसी भी प्रकार अनुचित नहीं कहा जा सकता। 
 
अब विश्व को आतंकवाद से मुक्ति मिलनी ही चाहिए और विश्व समुदाय को तब तक चैन नहीं लेना चाहिए जब तक आई.एस. ही नहीं बल्कि सभी आतंकवादी और चरमपंथी गिरोहों की कमर टूट नहीं जाती। 
 

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