जदयू में ‘आरोप-प्रत्यारोप’

Edited By ,Updated: 03 Feb, 2020 04:06 AM

jdu has accusation

आखिरकार नीतीश कुमार ने जदयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को पार्टी से बाहर कर दिया है। शुरू में जब प्रशांत किशोर ने सी.ए.ए. और एन.आर.सी.की आलोचना करनी शुरू की थी तब राजनीतिक गलियारों में यह समझा जा रहा था कि वह नीतीश कुमार की ओर से बोल रहे हैं। दरअसल...

आखिरकार नीतीश कुमार ने जदयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को पार्टी से बाहर कर दिया है। शुरू में जब प्रशांत किशोर ने सी.ए.ए. और एन.आर.सी.की आलोचना करनी शुरू की थी तब राजनीतिक गलियारों में यह समझा जा रहा था कि वह नीतीश कुमार की ओर से बोल रहे हैं।

दरअसल बिहार के मुख्यमंत्री अपने सहयोगियों को संदेश देने के लिए अक्सर  दूसरों का इस्तेमाल करते रहे हैं जैसा कि उन्होंने महागठबंधन छोडऩे से पहले किया था। जब प्रशांत किशोर ने अमित शाह की आलोचना करना जारी रखा तो शाह ने नीतीश को संदेश भेजा कि वह उन्हें रोकें। लेकिन प्रशांत किशोर रुकना नहीं चाहते थे जिसके परिणामस्वरूप नीतीश कुमार को प्रशांत किशोर को बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा ताकि भाजपा से रिश्ता बरकरार रखा जा सके। अब जदयू से बाहर होने पर किशोर नए काम की तलाश में हैं। प्रशांत किशोर ने यह व्यक्तिगत चुनौती मंजूर की है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘आप’ पहले जैसे बहुमत के साथ सत्ता में आए क्योंकि उन्हें पता है कि यदि ऐसा होता है तो ‘आप’ उन्हें जरूर इसके बदले में कुछ ईनाम देगी। 

उत्तराखंड में नहीं थम रही अंतर्कलह
उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और हरीश रावत के बीच मतभेद खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं। किसी समय हरीश रावत के विश्वासपात्र रहे प्रीतम सिंह आजकल प्रदेश कार्यकारिणी की सूची की घोषणा पर हरीश रावत से भिड़े हुए हैं। उत्तराखंड में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में भाजपा समेत अन्य दल इसकी तैयारियों में जुट चुके हैं लेकिन कांग्रेसी एक-दूसरे से लडऩे में व्यस्त हैं। काफी समय इंतजार करने के बाद कांग्रेस हाईकमान ने प्रीतम सिंह को प्रदेश कार्यकारिणी की सूची घोषित करने की अनुमति दे दी है। 

सूची घोषित करने के बाद विधायक हरीश सिंह धामी ने समिति के गठन का विरोध किया तथा विधानसभा सीट से अपने इस्तीफे की पेशकश की। धामी हरीश रावत गुट के हैं और धारचुला से दूसरी बार विधायक हैं। इस सूची में धामी को सचिव का पद दिया गया है जिसमें उन्होंने प्रीतम सिंह पर आरोप लगाया है कि उन्होंने बहुत से सचिव बना दिए हैं जिनमें से कई लोगों ने पंचायत का चुनाव तक नहीं जीता है और उनमें से कुछ की आपराधिक बैकग्राऊंड है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने भी सूची पर अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए प्रीतम सिंह को चेताया है। हालांकि प्रीतम सिंह यह कह रहे हैं कि उन्होंने धामी को समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया है लेकिन हाईकमान ने इसे बदल कर उन्हें सचिव बना दिया। अब प्रीतम सिंह का कहना है कि वह इस मामले में हाईकमान से मिलेंगे। दूसरी तरफ हरीश रावत गुट अब भी प्रीतम सिंह के स्पष्टीकरण से सहमत हैं और अंतर्कलह जारी है। 

राजस्थान भाजपा में नया घटनाक्रम
राजस्थान भाजपा में अंतर्कलह सामने आ चुकी है। पुरानी कहावत है कि जब कोई पार्टी सत्ता से बाहर होती है तो उसके नेताओं में आपसी खींचतान बढ़ जाती है। किसी समय राजस्थान की सबसे कद्दावर नेता रहीं वसुंधरा राजे सिंधिया अब अकेली पड़ गई हैं क्योंकि पार्टी हाईकमान उन्हें नजरअंदाज कर रही है तथा हाईकमान ने अब एक नए नेता को समर्थन देना शुरू कर दिया है। भाजपा की अंतर्कलह विधानसभा में उस समय भी देखने को मिली जब राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान भाजपा ने बायकॉट किया जबकि वरिष्ठ भाजपा विधायक कैलाश मेघवाल सदन में बैठे रहे। वह सबसे वरिष्ठ विधायक हैं तथा राजस्थान विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हैं। मेघवाल दलित नेता हैं और वसुंधरा राजे गुट से संबंधित हैं। अब विरोधी खेमा हाईकमान पर इस बात के लिए दबाव डाल रहा है कि मेघवाल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया मेघवाल के खिलाफ केन्द्रीय हाईकमान की कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं। राजस्थान के राजनीतिक विश्षलेकों का मानना है कि इस सारे एपिसोड के पीछे वसुंधरा राजे सिंधिया हैं। 

उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की दशा
उत्तर प्रदेश में दिन-प्रतिदिन शिक्षकों की दशा खराब होती जा रही है। हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने स्कूलों, कालेजों तथा शिक्षकों की स्थिति सुधारने का वायदा किया था। योगी सरकार को सत्ता में आए 3 साल होने के बावजूद प्रदेश में स्कूलों, कालेजों की स्थिति बदतर बनी हुई है। 331 कालेजों में से 290 कालेजों में स्थायी प्रिंसिपल नहीं हैं और वरिष्ठ प्रोफैसर एडहॉक आधार पर बतौर प्रिंसीपल कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी ने शिक्षकों और प्रिंसीपल की भर्ती शुरू की थी लेकिन यह अभी तक लम्बित है। प्राइमरी स्कूलों की हालत इससे भी खराब है जिनमें शिक्षकों के हजारों पद खाली पड़े हुए हैं और सरकार सरकारी कार्यों के लिए स्कूली शिक्षकों का इस्तेमाल कर रही है। उदाहरण के लिए मुख्यमंत्री ने हाल ही में गंगा यात्रा शुरू की है और शिक्षा विभाग ने स्कूली शिक्षकों को आदेश दिए हैं कि गंगा यात्रा के दौरान भोजन तथा अन्य सुविधाओं का प्रबंध करें। उत्तर प्रदेश में अधिकतर स्कूलों में बिजली तक नहीं है तथा कई स्कूल ऐसे हैं जिनमें बिजली का कनैक्शन तो है लेकिन बिजली का बिल अदा न करने के कारण उनमें भी बिजली नहीं है।-राहिल नोरा चोपड़ा 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!