‘संदेशखाली’ का सच स्वीकार करें ममता

Edited By ,Updated: 23 Feb, 2024 04:50 AM

mamta should accept the truth of sandeshkhali

पश्चिम बंगाल के संदेशखाली कांड ने पूरे देश को सन्न कर दिया है। जिस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं उन पर सहसा विश्वास करना कठिन है। आखिर किसी कानून के शासन वाले राज्य में ऐसा कैसे संभव है कि कोई, कुछ या कुछ लोगों का समूह जब चाहे जितनी संख्या में चाहे...

पश्चिम बंगाल के संदेशखाली कांड ने पूरे देश को सन्न कर दिया है। जिस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं उन पर सहसा विश्वास करना कठिन है। आखिर किसी कानून के शासन वाले राज्य में ऐसा कैसे संभव है कि कोई, कुछ या कुछ लोगों का समूह जब चाहे जितनी संख्या में चाहे महिलाओं को बुला ले और उनका शोषण करे? मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहती हैं कि संदेशखाली घटना के पीछे भाजपा का हाथ है। उन्होंने कहा कि संदेशखाली में सबसे पहले ई.डी. को भेजा गया। फिर ई.डी. की दोस्त भाजपा कुछ मीडिया वालों के साथ संदेशखाली में घुसी और हंगामा करने लगी। ममता बनर्जी, तृणमूल कांग्रेस या सरकार के अन्य प्रवक्ता ऐसी घटना को नकारने की जितनी कोशिश करते हैं उतना ही सच सामने आ रहा है। 

राजनीतिक दलों के बयानों और मांगों को कुछ समय के लिए छोड़ दीजिए, टैलीविजन कैमरों पर जितनी संख्या में महिलाएं आकर आपबीती सुना रही हैं उनसे किसी भी संवेदनशील व्यक्ति का दिल दहल जाएगा। राजनीतिक दलों में भी केवल भाजपा आवाज उठाती या आंदोलन करती तो माना जाता कि शायद आरोपों में उतनी सच्चाई नहीं है जितनी प्रचारित की जा रही है। सारी वामपंथी पार्टियां और कांग्रेस भी संदेशखाली पर एक ही स्वर में बात कर रही हैं। राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने संदेशखाली में अशांत क्षेत्रों का दौरा कर कहा कि मैंने जो देखा वह भयावह, स्तब्ध करने वाला और मेरी अंतरात्मा को हिला देने वाला था। उन्होंने कहा कि विश्वास करना कठिन है कि रङ्क्षबद्र नाथ टैगोर की धरती पर ऐसा हुआ है। यह भी पहली बार होगा जब राज्यपाल ने राजभवन का नंबर जारी करते हुए कहा कि किसी महिला को डरने की आवश्यकता नहीं है और उन्हें समस्या है तो राजभवन में शरण ले सकती हैं। राज्यपाल ने स्थानीय महिलाओं से कहा कि चिंता मत कीजिए, आपको न्याय जरूर मिलेगा। 

यदि मामले की गंभीरता नहीं होती तो कोलकाता उच्च न्यायालय इसका स्वत: संज्ञान नहीं लेता। पहले उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अपूर्ब सिंह राय की एकल पीठ ने सुनवाई की और बाद में इसे 2 सदस्यीय पीठ को स्थानांतरित कर दिया गया। उच्च न्यायालय इनमें 2 अलग-अलग मामलों की सुनवाई कर रही है। पहला स्थानीय लोगों की जमीन हड़पने का है और दूसरा स्थानीय महिलाओं का यौन उत्पीडऩ करने का। उच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान लेने के बाद उम्मीद करनी चाहिए कि मामले का सच सामने आएगा तथा दोषियों को उपयुक्त सजा मिलेगी। किंतु स्वयं ममता बनर्जी और उनके लोग जब तक यह मानने को तैयार नहीं होंगे कि स्वतंत्र भारत के इतिहास की सबसे जघन्य और शर्मनाक घटना उनके राज्य में घटित हुई है तब तक सच होते हुए भी इसे साबित करना मुश्किल होगा। 

पुलिस प्रशासन का रवैया देखिए तो साफ हो जाएगा कि संदेशखाली कांड की सही तरीके से जांच और कानूनी प्रक्रिया पूरी करना सामान्य तौर पर संभव नहीं हो सकता। शाहजहां शेख गिरफ्तार नहीं हुआ है तो क्यों? मामले के 2 प्रमुख आरोपी शिबू हाजरा और उत्तम सरदार सहित 18 गिरफ्तार हो चुके हैं। हालांकि ये आसानी से गिरफ्तार नहीं हुए। महिलाओं के प्रदर्शन और बवंडर के बाद तृणमूल कांग्रेस ने उत्तम सरदार को उत्तर 24 परगना जिला परिषद सदस्य और तृणमूल के अंचल अध्यक्ष के पद से 6 साल के लिए निलंबित कर दिया। उसके बाद ही पुलिस उसे गिरफ्तार करने का साहस कर सकी। 

लोग बता रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस के लोग घर-घर जाकर देखते थे और जिस घर में सुंदर लड़कियां या महिलाएं होतीं उन्हें बुला लिया जाता था या उठाकर ले जाया जाता था। पार्टी कार्यालय में भी उनका यौन शोषण किया जाता था। शाहजहां शेख का आतंक इतना था कि कोई आवाज उठाने का साहस नहीं कर पाता था। 5 जनवरी को जब ई.डी. द्वारा राशन घोटाले से जुड़े मामले में शाहजहां शेख के संदेशखाली स्थित आवास पर छापेमारी के दौरान भारी संख्या में लोगों ने ई.डी. की टीम के साथ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों पर हमले कर दिए और शहर से लगभग 74 कि.मी. दूर गांव से भागने तक मारपीट की। 

शाहजहां के फरार होने की खबर से लोगों का साहस बढ़ा और वे सड़कों पर उतरकर विरोध करने  लगे जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं। वस्तुत: 5 जनवरी को हुए हमलों के 33 दिनों बाद 7 फरवरी को संदेशखाली में फिर से हंगामा हुआ। केंद्र द्वारा बंगाल को बकाया फंड से वंचित करने का आरोप लगाकर तृणमूल ने संदेशखाली के त्रिमोहानी बाजार में जनजाति समुदाय के एक वर्ग के साथ एक रैली निकाली थी। इसमें शेख शाहजहां के जयकारे लगाने के बाद ही हंगामा शुरू हुआ और लोग तृणमूल के विरुद्ध नारे लगाने लगे। 

शाहजहां और उनके समर्थकों पर जमीन हड़पने तथा लंबे समय से महिलाओं के यौन उत्पीडऩ सहित अनेक प्रकार की प्रताडऩाओं का आरोप लगाने लगे। ममता बनर्जी ने विधानसभा में बोलते हुए इसमें भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को घसीटा। ममता ने कहा कि संदेशखाली आर.एस.एस. का गढ़ है। वहां पहले भी दंगे हुए थे। क्या आर.एस.एस. ने वहां शाहजहां शेख और तृणमूल के लोगों को सत्ताबल की बदौलत जमीन हड़पने और महिलाओं के वीभत्स यौन उत्पीडऩ के लिए रास्ता तैयार किया? वहां जाकर कोई भी देख सकता है कि 24 परगना का संदेशखाली ही नहीं आसपास बांग्लादेश से लगे सीमावर्ती इलाके में रहने वाले भारी आबादी होने के बावजूद अनुसूचित जाति के लोग किस तरह की स्थितियों का सामना कर रहे हैं। 

संदेशखाली एक दर्जन से ज्यादा उन विधानसभाओं की श्रेणी में है जो भारत-बंगलादेश से लगा है जहां अवैध घुसपैठियों की संख्या हमेशा रही है और वे वहां के लिए समस्या भी रहे हैं। पहले वाम मोर्चा और उसके बाद तृणमूल सरकार ने इनके विरुद्ध कार्रवाई करने की बात तो दूर इन्हें पूरी तरह संरक्षण और पोषण दिया। क्षेत्र के अपराध का विश्लेषण करें तो उनमें गौ तस्करी से लेकर मादक पदार्थों और हथियारों के साथ मानव बिक्री के कारोबार शामिल हैं और इनमें एक समुदाय के लोग सबसे ज्यादा आरोपी और अभियुक्त हैं। 

यह बात सही है कि पिछले कुछ वर्षों में वहां के लोगों का आर.एस.एस. की ओर आकर्षण बढ़ा है तो इसलिए कि सरकार उन्हें सुरक्षा देने में सफल नहीं रही। लेकिन आर.एस.एस. के कार्यकत्र्ताओं को भी शाहजहां जैसे बाहुबलियों के उत्पीडऩ और अपराध का सामना करना पड़ा है और पुलिस प्रशासन उनके सुरक्षा देने में विशाल रही है। सत्तारूढ़ घटक से जुड़े अपराधी और बाहुबली महिलाओं को जबरन उठाकर अपनी हवश का शिकार बनाते रहे हैं। सरकार और प्रशासन अपनी खीझ पत्रकारों पर उतार रहे हैं। एक पत्रकार को गिरफ्तार भी किया गया है। पुलिस के लिए इससे शर्मनाक क्या हो सकता है कि शाहजहां आज तक कानून के शिकंजे से बाहर है। उच्च न्यायालय ने यह प्रश्न भी उठाया कि क्या उसे संरक्षण मिल रहा है?-अवधेश कुमार 
 

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