Edited By ,Updated: 09 Nov, 2025 03:42 AM

जब भारत एक समावेशी और विकसित भविष्य की कल्पना करता है तो उसका सबसे मजबूत आधार भूमि ही होती है। चाहे वह घर हो, खेत हो, दुकान हो या स्मार्ट सिटी का सपना हो, विकास का हर रूप भूमि पर टिका होता है।
जब भारत एक समावेशी और विकसित भविष्य की कल्पना करता है तो उसका सबसे मजबूत आधार भूमि ही होती है। चाहे वह घर हो, खेत हो, दुकान हो या स्मार्ट सिटी का सपना हो, विकास का हर रूप भूमि पर टिका होता है। हालांकि, सच्चाई यह है कि वर्षों से हमारे भूमि अभिलेख अधूरे, भ्रामक और अक्सर विवादों में उलझे रहे हैं। परिणामस्वरूप आम नागरिकों को संपत्ति खरीदने, जमीन विरासत में लेने, ऋण प्राप्त करने या सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
इन दीर्घकालिक समस्याओं के समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत भूमि संसाधन विभाग ने ‘नक्शा’ (शहरी आवासों का राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान आधारित भूमि सर्वेक्षण) कार्यक्रम शुरू किया है। यह भारत में भूमि प्रबंधन, प्रशासन और अभिलेख पालन में बदलाव लाने की एक पहल है। यह कार्यक्रम एक पारदर्शी डिजिटल और सत्यापित भूमि अभिलेख प्रणाली का निर्माण कर रहा है जो न केवल नागरिकों के जीवन को आसान बनाएगी बल्कि कस्बों और शहरों के विकास को भी गति प्रदान करेगी।
भारत में भूमि पंजीकरण लंबे समय से एक थकाऊ, कागज आधारित प्रक्रिया रही है। बिक्री विलेख, स्टाम्प शुल्क, पंजीकरण शुल्क, पटवारी सत्यापन और तहसील स्तर पर प्रस्तुतियां नागरिकों के लिए पूरी प्रणाली को बोझिल बना देती थीं। पुराने रजिस्टर और फाइलें न केवल त्रुटियों और छेड़छाड़ के लिए प्रवण थीं बल्कि कई विवादों का मूल कारण भी बन गईं। अस्पष्ट संपत्ति अभिलेखों ने बैंकों से ऋण प्राप्त करने की संभावना को कम कर दिया। उत्तराधिकार या उत्परिवर्तन की प्रक्रिया अक्सर वर्षों तक अदालतों में अटकी रहती थी। गलत माप, अस्पष्ट सीमाएं और स्थानीय राजनीतिक हस्तक्षेप ने इन समस्याओं को और बढ़ा दिया। यही कारण है कि लाखों भारतीयों के लिए भूमि अक्सर सुरक्षा का स्रोत कम और जोखिम का स्रोत अधिक बन गई।
‘नक्शा’ डिजिटल पारदर्शिता की ओर कदम : ‘नक्शा’ कार्यक्रम सटीक और डिजिटल भूमि अभिलेख बनाने के लिए ड्रोन सर्वेक्षण जी.एन.एस.एस. मैपिंग और जी.आई.एस. उपकरणों जैसी उन्नत तकनीकों का लाभ उठाता है। इस पहल के तहत, नागरिकों को सरकार समर्थित योरप्रो(शहरी संपत्ति स्वामित्व रिकॉर्ड) कार्ड मिलता है जो स्वामित्व का एक डिजिटल प्रमाण है जो संपत्ति के लेन-देन को सरल बनाता है।
योरप्रो कार्यक्रम के साथ लोगों को अब स्वामित्व को प्रमाणित करने के लिए कागजों या बिचौलियों के ढेर पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है, जबकि ऋण प्राप्त करना, बिक्री पूरी करना, विरासत और विवादों का निपटारा तेज और अधिक पारदर्शी हो जाता है। अंतत: योरप्रो केवल एक तकनीकी सुधार नहीं है। यह नागरिक सशक्तिकरण, समानता और भूमि स्वामित्व में कानूनी आश्वासन की दिशा में एक कदम है।
योरप्रो कार्यक्रम मुख्य रूप से उन नागरिकों को लाभान्वित करता है जो लंबे समय से अधूरे या अप्रचलित भूमि अभिलेखों पर निर्भर रहे हैं। नगर पालिकाओं और स्थानीय परिषदों के पास अब स्वच्छ, सटीक भू-स्थानिक डाटा तक पहुंच है जिससे बेहतर निर्णय लेने और पारदर्शिता संभव हो रही है। नागरिक आसानी से ऑनलाइन ड्राफ्ट मानचित्र देख सकते हैं और आपत्तियां उठा सकते हैं, जिससे इस प्रक्रिया में जनता की भागीदारी सुनिश्चित होती है।
यह डिजिटल प्रणाली कराधान को अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी बनाती है साथ ही शहरी नियोजन और बुनियादी ढांचे के डिजाइन की सटीकता और गति में सुधार करती है। संक्षेप में जो पहले धूल भरे रजिस्टरों में हस्तलिखित प्रविष्टियों के रूप में मौजूद था वह अब रंगीन, इंटरैक्टिव और पारदर्शी डिजिटल मानचित्रों में विकसित हो गया है जो आधुनिक डाटा-संचालित शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नक्शा कार्यक्रम का प्रभाव व्यक्तिगत स्वामित्व और प्रशासनिक दक्षता से कहीं आगे तक फैला है और यह आपदा प्रबंधन और शहरी नियोजन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में उभर रहा है। विस्तृत ऊंचाई संबंधी आंकड़े प्रदान करके यह बाढ़-प्रवण क्षेत्रों की पहचान करने में सक्षम बनाता है, जबकि चक्रवात, भूकंप या आग लगने की स्थिति में, यह बिना किसी देरी के बचाव और राहत कार्यों को शुरू करने में सक्षम बनाता है। सत्यापित डिजिटल स्वामित्व रिकॉर्ड यह भी सुनिश्चित करते हैं कि मुआवजा और सहायता सही लाभार्थियों तक शीघ्रता से पहुंचे, जिससे आपदा के बाद की वसूली अधिक कुशल हो जाती है। इसके अलावा नक्शा संतुलित और सतत् बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देकर दीर्घकालिक शहरी लचीलेपन का समर्थन करता है। अनिवासी भारतीयों (एन.आर.आई.) और विकलांग व्यक्तियों जैसे कमजोर समूहों के लिएए नक्शा सुरक्षा और पहुंच प्रदान करता है जिससे उन्हें संपत्ति के रिकॉर्ड ऑनलाइन देखने और सत्यापित करने की सुविधा मिलती है, किसी भी धोखाधड़ी और अतिक्रमण के जोखिम को कम करता है और सरकारी कार्यालयों के बार-बार चक्कर लगाए बिना आसान पहुंच सुनिश्चित करता है।
संक्षेप में, नक्शा केवल एक तकनीकी सुधार नहीं है बल्कि दुनिया भर के उन नागरिकों के लिए विश्वास और सशक्तिकरण का प्रतीक है जिनकी भारत की भूमि और भविष्य में हिस्सेदारी है। आखिरकार, भूमि केवल एक भौतिक संपत्ति नहीं है। यह प्रत्येक भारतीय नागरिक की पहचान और विरासत है। -शिवराज सिंह चौहान(केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री)