नकल कानूनों पर लगातार नजर बनाए रखने की जरूरत

Edited By ,Updated: 01 Mar, 2024 05:41 AM

need to keep a constant eye on copying laws

पिछले कुछ वर्षों में परीक्षा सुधार के लिए अलग-अलग राज्य और चयन आयोगों ने अपने कड़े निर्णयों से लगातार सुधार करने का प्रयास जरूर किया था पर वे पूरी तरह से इसे रोकने में सफल नहीं दिख रहे थे। कारण था किसी कड़े कानून की कमी का होना।

पिछले कुछ वर्षों में परीक्षा सुधार के लिए अलग-अलग राज्य और चयन आयोगों ने अपने कड़े निर्णयों से लगातार सुधार करने का प्रयास जरूर किया था पर वे पूरी तरह से इसे रोकने में सफल नहीं दिख रहे थे। कारण था किसी कड़े कानून की कमी का होना। केंद्रीय मंत्रिमंडल की संस्तुति पर विगत 6 फरवरी को लोक परीक्षा (कदाचार रोकथाम) विधेयक,2024 को संसद में पेश किया गया। 

इस कानून के लागू हो जाने के बाद इस तरह के कदाचार में गिरोह बनाकर शामिल परीक्षा माफियाओं पर नकेल कसने में सीधे तौर पर मदद मिलेगी। इस विधेयक में संगठित अपराध,माफिया और पेपर लीक में मिलीभगत में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई का कड़ा प्रावधान है। विधेयक में परीक्षाओं में अनियमितताओं से संबंधित अपराध के लिए अधिकतम 10 साल तक की जेल और एक करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। 

अगर सर्विस प्रोवाइडर फर्म के डायरैक्टर, सीनियर मैनेजमैंट और सीनियर अधिकारी पर दोष साबित हो जाता है तो उस पर 1 करोड़ तक का फाइन और 3 से 10 साल तक की सजा हो सकती है। कम से कम 3 साल की सजा तय है,जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है। अब तक ज्यादातर ऐसे मामलों में अभ्यर्थी मात्र को दंडित करने का प्रावधान हुआ करता था। जबकि इस कानून से पर्चा आऊट कराने वाले लोगों को सीधे रूप से दंडित करने पर ज्यादा जोर दिया गया है। 

इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद करोड़ों परीक्षार्थियों ने राहत की सांस ली है। आए दिन किसी न किसी राज्य में प्रतियोगी परीक्षा के पर्चा लीक की घटना होती रहती है। अभी हाल ही में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में आयोजित 2 बड़ी परीक्षाओं में क्रमवार पर्चा आऊट की घटना सामने आई। पहले उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित आर.ओ./ए.आर.ओ. की प्रारंभिक परीक्षा का पेपर लीक हुआ जिसमें कुल 10 लाख आवेदनकत्र्ता थे तो इसके ठीक बाद उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल पद के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा का भी पर्चा आऊट हो गया।

इस परीक्षा में कुल  42 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। उत्तर प्रदेश पुलिस प्रोन्नति बोर्ड द्वारा आयोजित इस परीक्षा को रद्द करते हुए उत्तर प्रदेश की सरकार ने बयान जारी किया है कि 6 माह के भीतर दोबारा परीक्षा कराई जाएगी। साथ ही सरकार ने यह भी कहा है कि दोषियों को ऐसी कड़ी सजा देंगे कि आने वाले समय के लिए इसे एक नजीर के रूप में देखा जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा पारित लोक परीक्षा विधेयक 2024 कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने में उत्तर प्रदेश सरकार की मदद करेगा। पिछले लगभग 5 वर्षों के आंकड़ों को देखा जाए तो मोटे तौर पर 16 राज्यों में पर्चा आऊट की कुल 48 घटनाएं हुई हैं,जिससे अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रक्रिया बाधित हुई है। इन परीक्षाओं के माध्यम से कम से कम 1 लाख पद भरे जाते और इसके रद्द होने से लगभग डेढ़ करोड़ अभ्यर्थी प्रभावित हुए हैं। 

इस कानून के पारित होने के बाद परीक्षा की शुचिता को भंग करने के अपराध में निश्चित तौर पर कमी आएगी। इसकी एक बड़ी वजह यह भी होगी कि अनियमितता और गड़बड़ी पर प्रस्तावित बिल में विद्यार्थियों/उम्मीदवारों को निशाना न बनाकर सीधे नकल माफिया और सांठगांठ में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रावधान है।यह एक केंद्रीय कानून होगा और इसके दायरे में संयुक्त प्रवेश परीक्षाएं और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए होने वाली परीक्षाएं भी आएंगी। विधेयक में संगठित विधेयक में एक उच्च-स्तरीय तकनीकी समिति के गठन का भी प्रस्ताव है,जो कम्प्यूटर के जरिए परीक्षा प्रक्रिया को और ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए सिफारिशें करेगी। लेकिन ये कानून भी फुलप्रूफ होंगे, यह अभी नहीं कहा जा सकता। जरूरत इनको पक्का करने की और इनके लगातार मॉनिटरिंग करने की है।-डा. सुनील विपुल

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