बाबा साहब के आदर्शों को स्थापित करती नई संसद

Edited By ,Updated: 28 May, 2023 04:20 AM

new parliament establishing the ideals of babasaheb

28  मई, 2023 का दिन भारतीय संसदीय प्रणाली के इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण दिन साबित होने जा रहा है, जब भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भारत का नया संसद भवन राष्ट्र को समॢपत करेंगे।

28  मई, 2023 का दिन भारतीय संसदीय प्रणाली के इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण दिन साबित होने जा रहा है, जब भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भारत का नया संसद भवन राष्ट्र को समॢपत करेंगे। अद्भुत भारतीय स्थापत्य कला को प्रदर्शित करता हमारा नया संसद भवन भारतीय मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत को अपने में सहेजे हुए है। नए संसद भवन में 6 द्वार हैं, जिनको क्रमश: मकर, गज, हंस, गरुड़, शार्दुल, अश्व नाम दिए गए हैं। संसद के प्रत्येक प्रवेश द्वार एवं विभिन्न स्थानों पर कुल 31 अशोक धम्म चक्रों को प्रदर्शित किया गया है। 

वस्तुत: अशोक धम्म चक्र, जो भारत के महान तिरंगे झंडे में स्थापित है, को हमारे राष्ट्र ध्वज में स्थापित करने का विचार बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर का था। संविधान सभा में जब संविधान पर खंडवार चर्चा शुरू हुई, तब राष्ट्र ध्वज समिति की सिफारिश के आधार पर संविधान में पं. जवाहर लाल नेहरू ने प्रस्ताव रखा कि राष्ट्रध्वज के रूप में केसरिया, सफेद और गहरे हरे रंग की तीन बराबर आधार वाली पट्टियों युक्त झंडे को राष्ट्रध्वज तिरंगा झंडा के रूप में माना गया है। 

राष्ट्रध्वज समिति के सदस्य के रूप में डा. अम्बेडकर ने भारतीय झंडे में सफेद पट्टी पर बीच में नीले रंग में 24 तीलियों वाला अशोक चक्र स्थापित करने पर जोर दिया था। राष्ट्रध्वज समिति का गठन 23 जून, 1947 को डा. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में किया गया था, जिसके अन्य सदस्य डा. भीमराव अम्बेडकर, डा. मौलाना अबुल कलाम आजाद, श्रीमती सरोजनी नायडु, सी. राजगोपालाचारी और श्री के.एम. मुंशी थे। 

बहस में हिस्सा लेते हुए डा. अम्बेडकर ने अशोक चक्र की व्यावहारिकता, दार्शनिकता और कलात्मकता पर सारगॢभत भाषण दिया। बहस के दौरान कुछ सदस्यों ने झंडे में गांधीवादी विचारों को महत्व देते हुए चरखा रखने का विचार प्रस्तुत किया, वहीं श्री कामत ने हमारी संस्कृति को महत्व देने की बात कहते हुए सत्यम, शिवम, सुंदरम पर आधारित स्वास्तिक चिन्ह रखने का विचार रखा। डा. अम्बेडकर ने अशोक चक्र के महत्व को रेखांकित करते हुए अपने अकाट्य तर्क प्रस्तुत किए। 

इसके पश्चात ही सारनाथ स्थित अशोक धम्म चक्र को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। आज हमारे राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा झंडा कहा जाता है, जिसमें केसरिया, सफेद और हरे रंग की तीन समान आकार वाली पट्टियां हैं, लेकिन वास्तविकता में इन तीन रंगों के अलावा बीच में सफेद पट्टी पर नीले रंग की 24 तीलियों वाला अशोक चक्र भी है, जिसे सारनाथ स्थित अशोक स्तम्भ से लिया गया है। मूल रूप से अशोक धम्म चक्र में स्थित 24 तीलियां 24 घंटों को तो प्रदर्शित करती ही हैं, साथ ही भारतीय मूल्यों पर आधारित 24 गुणों को भी दर्शाती हैं, जो मनुष्य के जीवन को नई दिशा व ऊर्जा प्रदान करते हैं। ये 24 गुण निम्न प्रकार हैं : 

1. प्रेम; 2. पराक्रम; 3. धैर्य; 4. शांति;
5. दयालुता; 6. अच्छाई;
7. निष्ठा; 8. सौम्यता;
9. आत्मसंयम; 10. नि:स्वार्थता;
11. आत्मबलिदान; 12. सच्चाई;
13. नीतिपरायणता; 14. न्याय;
15. करूणा; 16. शालीनता;
17. नम्रता; 18. सहानुभूति;
19. संवेदना; 20. परम ज्ञान;
21. परम बुद्धिमत्ता; 22. परम नैतिकता;
23. सभीजीवों से प्रेम; 24. प्रकृति की दयालुता में विश्वास। ये 24 गुण मात्र गुण नहीं, अपितु किसी भी मनुष्य के व्यक्तित्व के वे आधारभूत तत्व हैं, जो व्यक्तित्व विकास के लिए परम आवश्यक हैं।

बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के इस भाव को कभी भी इतना महत्व नहीं मिला, जितना हम अपनी नीतियों और क्रियान्वयन में देखतेहैं। संसद भवन के प्रत्येक प्रवेश द्वार सहित कुल 31 विभिन्न स्थानों पर सारनाथ स्थित अशोक धम्म चक्र को स्थापित करके बाबा साहब के आदर्शों पर चलते हुए उनके सपनों को साकार करने का कार्य आज देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जा रहा है, जो इनके व्यक्तित्व व कृतत्व से स्पष्ट होता है और साथ ही सरकारी नीतियों के निर्माण और क्रियान्वयन में भी स्पष्ट परिलक्षित होता है। 

नई संसद के निर्माण में उन महापुरुषों का चित्रण संस्कृति दीवार पर किया गया है, जिन्होंने भारतीय ऐतिहासिक विरासत के साथ-साथ सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा की। 31 स्थानों पर अशोक धम्म चक्र की स्थापना के माध्यम से बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर के सपनों को पूरा करने का अध्याय भी इस नए संसद भवन में जुड़ रहा है। कोई भी व्यक्ति, जो संसद के किसी भी द्वार से नए संसद भवन में प्रवेश करेगा, उसे अशोक धम्म चक्र के माध्यम से 24 गुणों को अपने जीवन में धारण करने की प्रेरणा मिलेगी और साथ ही 24 घंटे कत्र्तव्य पथ पर चलने का संकल्प भी जीवन में धारण करना होगा एवं भारतीय संस्कृति की चरैवेति-चरैवेति की परिकल्पना भी साकार होगी।-अर्जुन राम मेघवाल (केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री)

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