नितिन गडकरी ने बताया ‘अपने दिल का दर्द’ दिल करता है ‘राजनीति छोड़ दूं’

Edited By ,Updated: 27 Jul, 2022 04:41 AM

nitin gadkari told  my heart hurts  heart makes me  quit politics

अपनी स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध श्री नितिन गडकरी ने अपना राजनीतिक करियर ‘भारतीय जनता युवा मोर्चा’ और ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद’ से शुरू किया। वह 1995 से 1999 तक महाराष्ट्र

अपनी स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध श्री नितिन गडकरी ने अपना राजनीतिक करियर ‘भारतीय जनता युवा मोर्चा’ और ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद’ से शुरू किया। वह 1995 से 1999 तक महाराष्ट्र सरकार में लोक निर्माण मंत्री रहे। इसी दौरान उन्होंने बड़ी संख्या में राज्य में सड़कों, राजमार्गों और फ्लाईओवरों का जाल बिछाने के अलावा मुम्बई-पुणे एक्सप्रैस वे का निर्माण करवाया और अपने मंत्रालय को नीचे से ऊपर तक नया रूप दिया। 

वह महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष के अलावा 1 जनवरी, 2010 से 22 जनवरी, 2013 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे और वर्तमान में केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग, पोत परिवहन और जलसंसाधन तथा नदी विकास मंत्री के रूप में सराहनीय कार्य कर रहे हैं। वह अपने काम की भांति ही अपने सही बयानों के लिए भी जाने जाते हैं जिनमें से चंद निम्र हैं : 

* 24 दिसम्बर, 2018 को उन्होंने कहा, ‘‘जीत के कई बाप होते हैं लेकिन हार अनाथ होती है। संस्था के प्रति जवाबदेही साबित करने के लिए पार्टी के नेतृत्व को हार और विफलताओं की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए।’’ 
* 04 जनवरी, 2019  को उन्होंने टिप्पणी की, ‘‘देश को इस समय जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उनमें बेरोजगारी सबसे बड़ी है।’’
* 27 जनवरी, 2019 को श्री गडकरी ने कहा, ‘‘सपने दिखाने वाले नेता लोगों को अच्छे लगते हैं, पर दिखाए गए सपने जब पूरे नहीं होते तो जनता उनकी पिटाई भी करती है। इसलिए सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकें।’’ 

* 02 फरवरी, 2019 को उन्होंने पार्टी वर्करों से कहा, ‘‘जो अपना घर नहीं संभाल सकता, वह देश नहीं संभाल सकता। अत: पहले अपना घर, अपने बच्चे तथा संपत्ति देखने के बाद पार्टी और देश के लिए काम करें।’’ 
* 8 अप्रैल, 2019 को वह बोले, ‘‘राजनीति सिर्फ सत्ता में आने के लिए नहीं है, यह समाज के लिए होती है। मुझे प्रधानमंत्री बनने की कोई इच्छा नहीं है। मैंने सोने के पिंजरे में बैठने का कभी सपना नहीं देखा? मैं जहां हूं, वहीं ठीक हूं।’’ 
* 1 सितम्बर, 2019 को उन्होंने कहा, ‘‘नेताओं को अपनी विचारधारा पर टिके रह कर पार्टी बदलने से बचना चाहिए। राजनीति महज सत्ता की राजनीति नहीं है। 

* 27 मार्च, 2021 को उन्होंने कहा,‘‘जैसे-जैसे कांग्रेस कमजोर हो रही है, क्षेत्रीय पार्टियां उसका स्थान लेती जा रही हैं। यह लोकतंत्र के लिए शुभ लक्षण नहीं है। क्षेत्रीय पार्टियों को विपक्ष का स्थान लेने से रोकने के लिए कांग्रेस का मजबूत होना जरूरी है।’’ 

‘‘लोकतंत्र में विपक्षी दलों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। मेरी हार्दिक कामना है कि कांग्रेस मजबूत बनी रहे। जो कांग्रेस में हैं उन्हें पार्टी के लिए निष्ठा दिखाते हुए पार्टी में ही रहना चाहिए और हार से निराश हो कर पार्टी या अपनी विचारधारा न बदल कर काम करना जारी रखना चाहिए।’’ 

* 13 सितम्बर, 2021 को वह बोले, ‘‘समस्या सबके साथ है। हर कोई दुखी है। विधायक इसलिए दुखी हैं कि वे मंत्री नहीं बने। जो मंत्री बन गए, वे इसलिए दुखी हैं कि उन्हें अच्छा विभाग नहीं मिला और जिन मंत्रियों को अच्छा विभाग मिल गया, वे इसलिए दुखी हैं कि मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। मुख्यमंत्री इसलिए दुखी हैं कि पता नहीं कब तक पद पर रहेंगे।’’ 

* और अब 25 जुलाई को श्री नितिन गडकरी ने कहा कि उन्हें ‘राजनीति छोडऩे’ की इच्छा होती है, क्योंकि आज की राजनीति बहुत बदल गई है तथा जीवन में करने के लिए राजनीति के अलावा और भी बहुत कुछ है। उन्होंने कहा, ‘‘ राजनीति सामाजिक परिवर्तन के बारे में अधिक होनी चाहिए, पर यह सत्ता की तलाश के बारे में अधिक हो गई है। लोग जब मेरे लिए बड़े-बड़े गुलदस्ते लाते हैं या मेरे पोस्टर लगाते हैं तो मुझे इससे ‘नफरत’ होती है।’’ 

‘‘हमें राजनीति शब्द का अर्थ समझना चाहिए। क्या यह समाज, देश के कल्याण के लिए है या सरकार में रहने के लिए? गांधी जी के दौर की राजनीति सामाजिक आंदोलन और विकास का एक हिस्सा थी, पर आज यह राष्ट्र निर्माण व विकास के लक्ष्यों के अलावा सत्ता में बने रहने पर केंद्रित है। राजनीति सामाजिक-आॢथक सुधार का एक सच्चा साधन है, अत: आज के नेताओं को समाज में शिक्षा, कला आदि के विकास के लिए काम करना चाहिए।’’ श्री गडकरी ने इस अवसर पर पूर्व रक्षामंत्री तथा सोशलिस्ट नेता जॉर्ज फर्नांडीस की सराहना करते हुए कहा, ‘‘उनके जीवन से मैंने बहुत कुछ सीखा। उनमें कभी भी सत्ता की भूख नहीं थी।’’ 

निष्पक्ष राजनीति के पक्षधर श्री गडकरी के उक्त बयानों में जहां उनका वैचारिक खुलापन नजर आता है, वहीं उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को आइना दिखाया है, जिस पर उन्हें मनन करना चाहिए ताकि अपनी त्रुटियां दूर करके वे देश और समाज की बेहतर सेवा कर सकें।—विजय कुमार 

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