श्री राम मंदिर का राजनीतिक अर्थशास्त्र

Edited By ,Updated: 22 Jan, 2024 05:35 AM

political economics of shri ram mandir

क्या अयोध्या में राम मंदिर का राजनीतिक अर्थशास्त्र बंटवारे की राजनीति करने वालों पर बहुत भारी पडऩे वाला है? राम मंदिर भारत को एकता के धागे में पिरोने वाला एक ऐसा सूत्र है, जिसके दूरगामी परिणाम अभी भाजपा विरोधी दल और उनके नेतृत्व कर्ता देख और समझ...

क्या अयोध्या में राम मंदिर का राजनीतिक अर्थशास्त्र बंटवारे की राजनीति करने वालों पर बहुत भारी पडऩे वाला है? राम मंदिर भारत को एकता के धागे में पिरोने वाला एक ऐसा सूत्र है, जिसके दूरगामी परिणाम अभी भाजपा विरोधी दल और उनके नेतृत्व कर्ता देख और समझ नहीं पा रहे हैं। राम मन्दिर निर्माण भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्र को आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक सबलीकरण करने के साथ-साथ भारत के सतत विकास के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन की योजना है। इसे रामायण सर्किट के विस्तार की योजना के साथ जोड़ कर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश से लेकर तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल को भी प्रभावित करने की रणनीति का अभी कोई तोड़ नजर नहीं आता है। 

भाजपा के साथ विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और उससे जुड़े अनुषांगिक संगठनों ने अयोध्या में राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन को राष्ट्रव्यापी ही नहीं बल्कि विश्व भर में एक पर्व के रूप में स्थापित कर दिया है। पूरे भारत के गांव, गली-मोहल्लों, बाजारों, कार्यस्थलों में अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा आयोजन और जुड़ी गतिविधियों की धूम मची हुई है। पूजित अक्षत के माध्यम से हर घर में निमंत्रण भेज कर बहुत ही सधे तरीके से भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले घर-घर तक प्रवेश कर गई है। पूजा में रखे अक्षत और प्राण प्रतिष्ठा के दिन 22 जनवरी को कम से कम पांच दीये जलाने की योजना ने भावनात्मक रूप से बहुसंख्य लोगों को जोड़ लिया है। घरों की छत, बाजार, सार्वजनिक वाहन सहित अधिकतर स्थानों पर राम पताका और ध्वज फहरा रहे हैं। 

श्री राम से संबंधित पुस्तकों, राम चरित मानस, राम के चित्रों की मांग और बिक्री ने नए कीर्तिमान स्थापित कर डाले हैं। विपक्ष के इंडिया गठबंधन, कांग्रेस सहित सभी एन.डी.ए. विरोधी हैरान परेशान हैं। प्राण-प्रतिष्ठा आयोजन का विरोध करें तो हिंदू नवचेतना से प्रेरित बहुसंख्यक वोट बैंक को खो देने का खतरा है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कांग्रेस को गलती करने पर मजबूर कर रहा है। जैसे ही राहुल गांधी ने राम मंदिर और प्राण-प्रतिष्ठा को राजनीति कहा, भाजपा ने प्रचारित कर दिया कि कांग्रेस राम और हिंदू विरोधी थी और है। साथ ही बीजेपी नेतृत्व साफ कह रहा है कि राम मंदिर का निर्माण उनका चुनाव में किया गया वायदा है, जिसे पूर्ण किया जा रहा है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गरीबों, सुदूर वनवासियों और वंचितों के कल्याण के लिए केंद्र सरकार की उत्थान और आर्थिक सबलीकरण योजनाओं से मिलने वाली खुशी को अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा समान खुशी देने वाला बताया है। उधर अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियों के दौरान ही उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अब की बार 400 पार का नारा देकर भाजपा के इरादों को स्पष्ट कर दिया है। योगी आदित्यनाथ उस गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं, जिसकी राम जन्म भूमि मुक्ति में बड़ी भूमिका रही है। 

योगी कहते हैं कि लम्बे काल खंड से उपेक्षा की शिकार सप्त पुरियों में एक अयोध्या प्रथम पुरी के रूप में अपने आभा मंडल के साथ देश प्रदेश और दुनिया को आकॢषत कर रही है। राम कभी पुष्पक विमान से यहां उतरे थे, अब अयोध्या को वायुयान, सड़क और रेल मार्ग से जोड़ दिया गया है, आने वाले समय में जल मार्ग से भी जोड़ दिया जाएगा। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी रामायण सर्किट योजना में भी अयोध्या केंद्र में है। रामायण सर्किट योजना के लिए केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने 9 राज्यों के 15 स्थानों की पहचान की है। इस योजना के तहत इन सभी शहरों को रेल, सड़क और हवाई यात्रा के माध्यम से आपस में जोड़ा जाएगा। 

उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक रामायण सॢकट में आने वाले राज्य हैं। यू.पी. के अयोध्या, शृंगवेरपुर, नंदीग्राम और चित्रकूट, बिहार के सीतामढ़ी, बक्सर, दरभंगा इस प्रोजैक्ट का हिस्सा हैं। मध्य प्रदेश के चित्रकूट, छत्तीसगढ़ के जगदलपुर को भी इसमें शामिल किया गया है। ओडिशा के महेंद्रगिरि और दक्षिण राज्यों में तेलंगाना के भद्राचलन, तमिलनाडु के रामेश्वरम और कर्नाटक के हम्पी को रामायण सर्किट परियोजना का हिस्सा बनाया गया है। 

महाराष्ट्र के नागपुर और नासिक शहर भी इसमें शामिल हैं। कुल मिलाकर पूरब से लेकर दक्षिण तक सभी राज्यों को इस प्रोजैक्ट का हिस्सा बनाया गया है। इससे अयोध्या के साथ ही उत्तर प्रदेश और पूरे भारत का आॢथक और भाजपा का राजनीतिक सबलीकरण होगा, जिस का कोई तोड़ भाजपा के विरोधियों के पास फिलहाल के लिए तो नजर नहीं आ रहा है।-निशीथ जोशी

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