‘गरीब, छोटे किसान व मध्यम श्रेणी ठगा महसूस कर रहे’

Edited By ,Updated: 07 Feb, 2021 02:52 AM

poor small farmers and middle class feeling cheated

बजट 2021-22 सरकार और विपक्ष के बीच मतभेदों को पाटने का एक अवसर था। यह उन वर्गों के लिए संशोधन करने का एक अवसर था जो सरकार की नीतियों, कार्यों और अन्याय महसूस करते थे। ऐसे वर्गों में गरीब, किसान, प्रवासी श्रमिक, एम.एस.एम.ई. क्षेत्र, मध्यम वर्ग और

बजट 2021-22 सरकार और विपक्ष के बीच मतभेदों को पाटने का एक अवसर था। यह उन वर्गों के लिए संशोधन करने का एक अवसर था जो सरकार की नीतियों, कार्यों और अन्याय महसूस करते थे। ऐसे वर्गों में गरीब, किसान, प्रवासी श्रमिक, एम.एस.एम.ई. क्षेत्र, मध्यम वर्ग और बेरोजगार वर्ग शामिल था। सबसे योग्य लोगों को उनके भाग्य पर छोड़ दिया गया था क्योंकि मुझे कोई उम्मीद नहीं थी इसलिए मुझे कोई निराशा नहीं है लेकिन लाखों लोग अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। बजट ने बहुत अमीर और अन्य सभी के बीच विभाजन को बढ़ा दिया है। 

तमिल व्याकरण में एक नियम है जिसमें कहा गया है कि जगह, विषय और अवसर उस व्यक्ति के हाथों में दीपक की तरह बर्बाद हो जाते हैं जिसके पास कोई दृष्टि ही नहीं होती। इसका मतलब है कि अभिनेताओं और कार्यों को स्थान, विषय और अवसर (समय) द्वारा आंका जाना चाहिए। यह वह संदर्भ है जो किसी निर्णय लेने की योग्यता को निर्धारित करता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट 2021-22 असाधारण परिस्थितियों में प्रस्तुत किया गया था। 

*2018-19 तथा 2019-20 में विकास दर घटी (8 प्रतिशत से 4 प्रतिशत तक) देखी गई। 
*एक अप्रैल 2021 से मंदी का एक वर्ष शुरू हो रहा है। सभी के जीवन विशेष कर गरीब लोगों, जो प्रत्येक गांव, पंचायत, कस्बा तथा शहर का औसतन 30 प्रतिशत हिस्सा बनते हैं, पर बड़े पैमाने पर व्यवधान पड़ा। 
*लाखों लोग गरीबी रेखा से नीचे धकेल दिए गए और बढ़ते कर्ज के बोझ तले दब गए। 
*लाखों लोगों ने अपनी नौकरी या आजीविका खो दी। 
*64.7 मिलियन लोग जो श्रम बल से बाहर हो गए उनमें 22.6 फीसदी महिलाएं ही थीं। 
*28 मिलियन सक्रिय रूप से नौकरियों की तलाश में हैं। 
*अनुमानित एम.एस.एम.ई. का 35 प्रतिशत स्थायी रूप से बंद हो चुका है। 

उपरोक्त आर्थिक कारणों के अलावा दो अन्य कठोर तथ्य भी हैं-
1. चीन द्वारा भारत से संबंधित भूमि पर अवैध कब्जे से राष्ट्रीय सुरक्षा को बड़ा खतरा है।
2. भारी मात्रा में निवेश से स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की आवश्यकता है। 

*इस संदर्भ में मैंने दो ‘गैर-वार्ताकार’ और 10 प्वाइंट की इच्छा सूची को सूचीबद्ध किया था। (31 जनवरी को पंजाब केसरी में प्रकाशित मेरे लेख बजट 2021 : ‘न आशाएं न निराशाएं’) बजट दस्तावेजों की जांच करने और वित्त मंत्री के भाषण को पढऩे के बाद मेरा स्कोर कार्ड इस तरह है :

*गैर-वार्ताकार : 0/2
*इच्छा सूची 1/10
*एकमात्र बिंदू जिस पर बजट को पास अंक मिलते हैं वह है सरकार के पूंजीगत व्यय में की गई वृद्धि (गहरी जांच के अंतर्गत)।
*बजट ने देश के सशस्त्र बलों को विफल कर दिया। अपने एक घंटे 45 मिनट के लम्बे भाषण में वित्त मंत्री ने एक बार भी ‘रक्षा’ शब्द का उच्चारण नहीं किया जो अभूतपूर्व था। 

*2021-22 में रक्षा के लिए आबंटित राशि 347,088 करोड़ थी जबकि चालू वर्ष में 343,822 करोड़ थी जो सिर्फ 3266 करोड़ रुपए की 
वृद्धि है। यह मुद्रास्फीति के लिए निमंत्रण है। 

*आबंटन अगले वर्ष में कम है। 
*स्वास्थ्य पर वित्त मंत्री आधे से बहुत चालाक निकलीं। उन्होंने गर्व से घोषणा की कि आबंटन राशि 137 प्रतिशत बढ़ कर 94,452 करोड़ रुपए से बढ़ कर अगले वर्ष 223,846 करोड़ रुपए हो गई। घंटों के भीतर ही यह झांसा दे दिया गया। ‘बजट एक नजर में’ (पृष्ठ-10) बजट डिवीजन की सही संख्या का खुलासा किया गया था। आर.ई. 2020-21 में 82445 करोड़ तथा बी.ई. 2021-22 में 74,602 करोड़। एक प्रभावशाली वृद्धि से दूर यहां पर आबंटन की कमी थी। 
परिचारक ने चुपचाप टीकाकरण कार्यक्रम की एक बार की लागत, पेयजल और स्वच्छता विभाग को आबंटन और संख्या बढ़ाने के लिए स्वच्छता, जल तथा स्वास्थ्य के लिए राज्यों को ग्रांटें जोड़ी गई थीं। 

दो गैर वार्ताकारों को एक तरफ रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास अर्थव्यवस्था के नीचे रह रहे परिवारों के 20 से 30 प्रतिशत के लिए, एम.एस.एम.ईज. के लिए या फिर उनके बेरोजगार कर्मचारियों के लिए एक भी शब्द (पैसे पर बोलने के लिए नहीं) नहीं बोला। निर्मला ने दूरसंचारृ, बिजली, निर्माण, खनन, विमानन, यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य जैसे बीमार क्षेत्रों के लिए विशिष्ट पुनरुद्धार पैकेजों की घोषणा नहीं की। उन्होंने जी.एस.टी. दरों को कम नहीं किया। इसके विपरीत उन्होंने पैट्रोल और डीजल सहित कई उत्पादों पर सैस (अधिशेष) लगा दिया जिससे राज्यों के वित्त को गहरा झटका लगा। 

*एफ.आर.बी.एम. को दफन कर दिया ताकि अमीरों को बढ़ावा मिले। 
*पूंजीगत व्यय पर भी कुछ बोल्ड या कल्पनाशील नहीं था। 31 मार्च 2021 तक वित्त मंत्री 10,52,318 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि उधार लेंगी लेकिन पूंजी व्यय केवल 27,078 करोड़ रुपए होगा। 
हम पूंजीगत सम्पत्ति के निर्माण के लिए सहायता राशि जोड़ सकते हैं जोकि 23,876 करोड़ रुपए थी। बाकी का राजस्व 3,80,997 करोड़ रुपए राजस्व व्यय में वृद्धि, 4,65,773 करोड़ रुपए के राजस्व प्राप्तियों में कमी और 178,000 करोड़ रुपए के विनिवेश आय में कमी के कारण हुआ। 

वित्त मंत्री के दावे ‘खर्च खर्च और खर्च’ के विपरीत की सच्चाई यह है कि उन्होंने कर और गैर-कर राजस्व को इकट्ठा नहीं किया था जिसके लिए उन्होंने बजट में प्रस्ताव रखा था। न ही वह राजस्व व्यय को बजट की राशि के भीतर नियंत्रित कर सकी। उनके पास कोई विकल्प नहीं मगर गैप भरने के लिए उन्हें उधार लेना है। गरीब, प्रवासी श्रमिक, रोजाना कमाई करने वाले, छोटे किसान, एम.एस.एम.ई. के मालिक, बेरोजगार (और उनके परिवार) तथा मध्यम श्रेणी अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं क्योंकि समाचार पत्रों में उनके लिए कोई स्थान नहीं इसलिए वे लोग सोशल मीडिया पर अपनी निराशाएं उंडेल रहे हैं।-पी. चिदम्बरम

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