भगत सिंह की सोच पर लाहौर में पहरा देता कुरैशी परिवार

Edited By ,Updated: 23 Mar, 2024 05:48 AM

qureshi family guards bhagat singh s thoughts in lahore

लाहौर पुलिस प्रमुख को पाकिस्तान की एक अदालत ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 93वीं पुण्य तिथि के अवसर 23 मार्च को भगत सिंह मैमोरियल फाऊंडेशन के कार्यक्रम के लिए अचूक सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया।

लाहौर पुलिस प्रमुख को पाकिस्तान की एक अदालत ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 93वीं पुण्य तिथि के अवसर 23 मार्च को भगत सिंह मैमोरियल फाऊंडेशन के कार्यक्रम के लिए अचूक सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया। इससे पहले, एक पाकिस्तानी अदालत ने भगत सिंह के नाम पर शादमान चौक का नामकरण करने के संबंध में अदालत के आदेश का पालन नहीं करने के लिए 3 शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर पंजाब सरकार और जिला प्रशासन को नोटिस जारी किया था। फाऊंडेशन के कार्यकत्र्ता पिछले 14 वर्षों से इसी चौराहे पर एकत्रित होकर स्मृति कार्यक्रम का आयोजन करते आ रहे हैं। 

भगत सिंह को राजगुरु और सुखदेव के साथ 23 मार्च, 1931 को फव्वारा चौक, शादमान लाहौर में फांसी दी गई थी। शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने की फाऊंडेशन की लंबे समय से मांग है। हाफिज सईद की जमात-उद-दावा सहित धार्मिक चरमपंथी इस सुझाव का विरोध कर रहे हैं और इस संबंध में पहले भी विरोध-प्रदर्शन कर चुके हैं। भगत सिंह मैमोरियल फाऊंडेशन पाकिस्तान के अध्यक्ष इम्तियाज रशीद कुरैशी का परिवार अबोहर मूल का है।

इम्तियाज के पिता अब्दुल रशीद कुरैशी, एक मजबूत राष्ट्रवादी और कांग्रेस कार्यकत्र्ता थे। उनका जन्म 11 दिसंबर 1936  को सुखेरा बस्ती अबोहर में हुआ था। सुखेरा बस्ती को मियां बाग अली सुखेरा ने विकसित किया था, जो 1946 में पंजाब विधानसभा के सदस्य थे। अगस्त 1947 में जब कुरैशी परिवार लाहौर चला गया, तो अब्दुल रशीद कुरैशी व उनके पिता अब्दुल रहमान कुरैशी ने उच्च शिक्षा प्राप्त की और सर्वोच्च न्यायालय में दोनों ने वकील के रूप में कार्य किया। 13 अगस्त 2021 को अब्दुल रशीद कुरैशी की मृत्यु हो गई और उन्हें लाहौर के मयानी साहिब कब्रिस्तान में दफनाया गया। 

अपने दादा और पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के वकील हाजी अब्दुल रहमान कुरैशी को दिए गए वचन को निभाते हुए, लाहौर स्थित उच्च न्यायालय के वकील इम्तियाज ने अपने माता-पिता की जड़ों का पता लगाने के लिए 2017 में गांधी जयंती पर अबोहर का दौरा किया। इम्तियाज 200 साल पहले भगत सिंह के दादा अर्जुन सिंह द्वारा लगाए गए आम के पेड़ की पत्तियोंके अलावा बंगा गांव (जड़ांवाला तहसील, जिलालायलपुर, अब फैसलाबाद) में शहीद के घर से पानी लाए थे। उन्होंने शहीद भगत सिंह के परिवार से मिलने और उनकी समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए होशियारपुर और फिरोजपुर के हुसैनीवाला का दौरा किया था। इम्तियाज ने पाया कि अबोहर रेलवे स्टेशन पर विभाजन के बाद से बहुत बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने मंडी केसर गंज (पुरानी अनाज मंडी) गेट को उसके मूल स्वरूप में पाया। इसका निर्माण 1894 में ब्रिटिश शासन के दौरान किया गया था। 

इम्तियाज ने सुखेरा बस्ती अबोहर का दौरा किया। यहां एक मस्जिद में भी गए जहां उनके माता- पिता नमाज पढ़ते थे। इस परिसर पर अब पश्चिमी पंजाब (पाकिस्तान) के साहीवाल (मिंटगुमरी) जिले के हिंदू प्रवासियों का कब्जा है। इम्तियाज ने कहा था कि उनके पिता अब्दुल रशीद क़ुरैशी गौशाला से दूध लाना पसंद करते थे।-राज सदोष     

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