2019 के चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे क्षेत्रीय दल

Edited By Pardeep,Updated: 17 Sep, 2018 04:16 AM

regional parties will play a key role in the elections of 2019

2019  के चुनाव सिर पर हैं। भारत में राजनीतिक गतिविधियां तथा साजिशें भी जोरों पर हैं। न्यूज चैनलों में विभिन्न पार्टियों के प्रवक्ता एक-दूसरे पर इस तरह चिल्लाते हैं कि सुनने वालों के कानों के पर्दे फट जाते हैं। सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल करना...

2019  के चुनाव सिर पर हैं। भारत में राजनीतिक गतिविधियां तथा साजिशें भी जोरों पर हैं। न्यूज चैनलों में विभिन्न पार्टियों के प्रवक्ता एक-दूसरे पर इस तरह चिल्लाते हैं कि सुनने वालों के कानों के पर्दे फट जाते हैं। सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल करना प्रत्येक राजनीतिक पार्टी का धर्म हो गया  है। राजनीतिक पाॢटयों में हर दिन राजनीतिक गठजोड़ बनते तथा टूटते हैं। इन सभी चीजों के कारण यह बात तय है कि न तो भाजपा और न ही कांग्रेस 272 का आंकड़ा अपने तौर पर हासिल करके अकेले अपनी सरकार बना सकेंगे। 

2014 में भाजपा को 282 सीटें मिली थीं। नरेन्द्र मोदी ने इसके लिए बड़ी ही तेजी से अभियान चलाया था। यह जानते हुए कि जो वायदे वे कर रहे हैं, वे किसी भी स्थिति में पूरे नहीं हो सकेेंगे, बिना जरूरत के ही वह कौम तथा देश के साथ वायदे करते चले गए। 2014 के आम चुनावों में एक नया रुझान बना कि चुनाव प्रचार करते हुए बहुत से वायदे करो, लोगों की जरूरतों तथा उनके जज्बातों के साथ खिलवाड़ करके अपनी सत्ता कायम करो तथा सरकार बनते ही उन वायदों को गंभीरता से न लेते हुए देश को आंकड़ों के जाल में फंसा कर अपना उल्लू सीधा करो। अब लगभग सभी पार्टियां इस रास्ते पर चल पड़ी हैं। झूठे वायदे पहले भी होते थे परन्तु कुछ सीमा तक।

नरेन्द्र मोदी की सरकार से देश को बहुत-सी उम्मीदें हैं। सबका साथ, सबका विकास, अच्छे दिन आएंगे, बेरोजगारी खत्म होगी, महंगाई कम होगी, मेक इन इंडिया, प्रत्येक नौजवान को रोजगार मिलने की उम्मीदें प्रत्येक भारतवासी के दिल में हिलोरे लेने लगीं। स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट, बैंकों के सिस्टम में सुधार जैसे दिल को आकर्षित करने वाले वायदों को अगर सच्चे दिल से अमलीजामा पहनाने की कोशिशें होतीं तो आज राजनीतिक माहौल कुछ और ही होता। अच्छा होता अगर मोदी सरकार अनावश्यक झगड़ों में न फंस कर लोगों की असल तकलीफों का हल ढूंढने में जोर लगाती, जिसके लिए कोई ज्यादा संसदीय बहस या नए कानून बनाना जरूरी न होता। भाजपा की हिन्दुत्व राजनीतिक सोच तो जगजाहिर है। इसके लिए अन्य और हिन्दू-मुस्लिम दूरियां बढ़ाने, जिस कारण देश में नफरत तथा आपसी झगड़े बढ़ जाने की गुंजाइश हो, के रुझान पर रोक क्यों नहीं लगी। 

अच्छी सत्ता का लाभ तो इस बात से मिलता है कि आम लोगों के दुख-दर्द दूर किए जाएं। सस्ते तथा मुफ्त इलाज तथा पढ़ाई की व्यवस्था की जाए। भ्रष्टाचार पर रोक लगती तथा कानून द्वारा खाने-पीने की चीजों में मिलावट करने की किसी की हिम्मत न होती। इसके लिए ऐसी कठोर सजाओं का इस्तेमाल किया जाता कि यह बुराई भारत देश से हमेशा के लिए खत्म हो जाती। पैंङ्क्षडग प्रोजैक्ट तथा विकास कार्यों के प्रोग्रामों को समय पर पूरा करके देश के लिए पैसों की बचत की जाती। राष्ट्र निर्माण पर खास ध्यान देने हेतु नए धार्मिक तथा राजनीतिक प्रोग्रामों की शुरूआत की जाती। नए स्कूलों, कालेजों तथा अस्पतालों का निर्माण होता। 

न्यायपालिका द्वारा जल्द  फैसले सुनाने के लिए नए कोर्ट रूम, जज तथा स्टाफ की व्यवस्था की जाती। संसदीय तथा राज्य विधानसभाओं के लिए नियम बनाया जाता कि वह विदेशी यात्रा के साथ-साथ फ्रंट चौकियों पर सैनिकों की जरूरतों को समझने के लिए कारगिल, कश्मीर तथा नक्सली इलाकों में जा कर उनकी स्थिति का परीक्षण करते तथा फिर उनका हल ढूंढनेे के लिए सत्ता का साथ देते। संासद तथा विधायकों और अधिकारियों  के आए दिन बढ़ रहे वेतन-भत्तों की रोकथाम के लिए किसी आयोग या समिति का गठन किया जाता जिससे लोगों को खुशी होती पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। 

पैट्रोल-डीजल और घरेलू गैस की बढ़ रही कीमतों से लोगों का दम घुट रहा है। भारत में अब लगभग 20 राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। पैट्रोल-डीजल एवं घरेलू गैसों को जी.एस.टी. के दायरे में लाकर इनकी कीमतों पर नियंत्रण क्यों नहीं किया गया। जिन राज्यों में भाजपा विरोधी पार्टियां हैं उनको इस कार्य में सहयोग देना ही पड़ता बशर्ते यदि केंद्र सरकार राज्य सरकारों को कुछ राहत देती। 
बोलूं तो बगावत, न बोलूं तो नदामत
बेशक नैशनल सर्वे के अनुसार 2019 के चुनावों में मोदी का बहुमत बताया जा रहा है। सवाल सत्ता में काबिज होने का नहीं बल्कि राजनीतिक रसूख बनाने का है। फिलहाल तो बैंकों में एन.पी.ए. घोटालों में फंसे हुए डिफाल्टरों का विदेश भाग जाना, राफेल जहाज की खरीद में रिलायंस का दखल, पैट्रोलियम उत्पादों की कीमतों का लगातार बढऩा, बढ़ती महंगाई के कारण गरीबों को हो रही कठिनाइयों तथा अमीरों का और अमीर हो जाना वे समस्याएं हैं जिनसे हर पार्टी को जूझना पड़ेगा। किसी भी पार्टी का बिगड़ता रसूख जब लोगों के दिलों में बैठ जाता है तो कोई भी दलील और आंकड़े काम नहीं आते। बहरहाल आने वाले दिनों में जो भी सरकार बनेगी उस पर क्षेत्रीय पार्टियों का असर रहेगा।-वेद प्रकाश गुप्ता

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!