सौम्य और धैर्यवान थीं शीला दीक्षित, सत्ता पर थी मजबूत पकड़

Edited By ,Updated: 29 Jul, 2019 01:33 AM

sheila dikshit was a gentle and patient strong hold on the power

‘डिक्की’ शीला दीक्षित के पति थे जो बहुत कम उम्र में गुजर गए। यह स्तम्भ अब खुलासा कर सकता है कि (यह देखते हुए कि वह पावर कपल (सशक्त दम्पति) अब अपना जीवन जी चुके हैं) वह अपने उत्कर्ष के दिनों में भारतीय नौकरशाही के आंतरिक कामकाज के सबसे अच्छे स्रोतों...

‘डिक्की’ शीला दीक्षित के पति थे जो बहुत कम उम्र में गुजर गए। यह स्तम्भ अब खुलासा कर सकता है कि (यह देखते हुए कि वह पावर कपल (सशक्त दम्पति) अब अपना जीवन जी चुके हैं) वह अपने उत्कर्ष के दिनों में भारतीय नौकरशाही के आंतरिक कामकाज के सबसे अच्छे स्रोतों में से एक था। उत्तर प्रदेश कैडर से संबंधित, जिसने कई वर्षों तक सत्ता पर शासन किया था और कुछ हद तक अभी भी गुजरात कैडर की ताकत के बावजूद, डिक्की एक ऐसा व्यक्ति था जो वास्तव में सब कुछ जानता था। इसके अलावा याद रखें कि उन दिनों के दौरान संयुक्त सचिव के पास ही वास्तविक शक्तियां होती थीं, क्योंकि जो लोग आज भी सिस्टम को जानते हैं वे इस बात को स्वीकार करेंगे। ‘मोदी’ के दौर में हालात काफी बदल गए हैं लेकिन तब सत्ता की ताकत इन्हीं पत्थरों पर अंकुरित थी। 

श्रद्धेय स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस नेता उमा शंकर दीक्षित के पुत्र होने के नाते, जो जवाहरलाल नेहरू के करीबी थे, इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल के सदस्य तथा पश्चिम बंगाल और कर्नाटक के राज्यपाल थे, डिक्की का जन्म दिल्ली के सत्ता स्वर्ग के ऊपरी कुलीन वर्ग में हुआ था। उनकी पत्नी शीला, जो जल्दी ही एक दोस्त बन गई, अपने पति के सहयोगियों के लिए अच्छी मेजबान थीं, जिनको आस-पास हो रही घटनाओं के बारे में भी अच्छी तरह से जानकारी होती थी। वे सभी उनके आधुनिक घरों में एकत्र होते थे और उन बाबुओं में से कुछ तो आज भी लुटियंस दिल्ली में काबिज हैं। नौकरशाही के तौर-तरीकों को लेकर यह प्रारंभिक दीक्षा राजीव गांधी के प्रधानमंत्री कार्यालय में उनके कार्यकाल के दौरान अच्छी तरह से उनके काम आई और इसी के चलते सुनिश्चित तौर पर दिल्ली की सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली मुख्यमंत्री के रूप में उनके 15 वर्षों के दौरान अधिक महत्वपूर्ण तौर पर काम आई। 

दिल्ली के नौकरशाह एक दोहरे स्वर्ग में रहते हैं क्योंकि जब दिल्ली में होते हैं तो वे प्रशासन के हर छोटे-बड़े हिस्से को संचालित करते हैं और वे हैडलाइंस को छोड़कर अधिक खास किसी को दिखते भी नहीं हैं और न ही कुछ अधिक संकेत देते हैं लेकिन यह तथ्य है कि नौकरशाह की विधवा होने और जिस व्यक्ति के पास विशाल राजनीतिक संबंध थे, उसने शीला को आमतौर पर पुनर्गठित और अच्छी तरह से जुड़े बाबुओं का प्रबंधन करने में मदद की जो दिल्ली प्रशासन के शीर्ष पर हैं। दादी मां जैसी उनकी गर्मजोशी, अनंत ज्ञान का स्रोत और प्रत्येक व्यक्ति के विस्तारित परिवार की वास्तविक देखभाल कुछ ऐसी थी जो आज भी नौकरशाह उनके बारे में  बात करते हैं। यह देखकर काफी सुखद अहसास हुआ कि उनके परिवार के साथ शोक व्यक्त करते हुए कई ताकतवर लोग भी रो रहे थे, दिल से।

राजनेताओं और बाबुओं के बीच का संबंध उपयोगितावादी है लेकिन ज्यादातर अजीब है, जिसमें दोनों को सत्ता हासिल करने का जिम्मा सौंपा जाता है लेकिन जनता की नब्ज की एक सहज भावना और एक प्रशासन को संचालित करने की उसकी क्षमता में एक अटूट विश्वास के साथ शीला आसानी से एक आकर्षक अपील करने वाले नेता के रूप में बाकी सबसे अलग अपनी पहचान बनाने में सफल रहीं। दिल्ली में दुख को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करना और मीडिया में इसकी व्यापक कवरेज कुछ लोगों के लिए आश्चर्य था, क्योंकि काफी समय से उनके पास कोई पद भी नहीं था लेकिन आम दिल्ली वालों, पार्टी के सहयोगियों, राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों, दोस्तों, नौकरशाहों और प्रशंसकों के लिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं थी, क्योंकि वे सभी सीमाओं से परे काफी लोकप्रिय थीं। 

उनको दिल से श्रद्धांजलि देने वालों में से कई पूर्व नौकरशाह भी थे, जिनमें से कई ने मुख्यमंत्री के रूप में उनके लगातार 3 कार्यकालों में उनके साथ काम किया था और उनके प्रशासनिक कौशल और बेहद सशक्त नेतृत्व के बारे में उनके विचार थे। निश्चित रूप से यह दिल्ली प्रशासन पर उनकी पकड़ थी, जिसने दिल्ली को धुएं से भरे और ट्रैफिक की भीड़भाड़ से थकते एक शहर से एक क्लीन सी.एन.जी.-चालित हरे-भरे शहर में बदल दिया। यह आसान नहीं था, उनके मार्ग में असंख्य बाधाओं को देखते हुए, लेकिन उन्होंने इन सब मुश्किलों को आसान बना दिया और सभी लोग इस बात के लिए उनके कायल भी हैं। बहुत ही वास्तविक अर्थों में उनकी विरासत को लंबे समय तक याद किया जाएगा। शायद इसलिए उनके अंतिम संस्कार में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं, सभी रैंक के नौकरशाहों और आम दिल्ली वालों ने हिस्सा लिया और दिल से परिवार के साथ शोक व्यक्त किया।-दिल्ली के बाबू दिलीप चेरियन
 

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