आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों पर शर्तें लगाने का सुप्रीम कोर्ट का ‘सही फैसला’

Edited By Pardeep,Updated: 27 Sep, 2018 03:09 AM

supreme court decides to set conditions on candidates with criminal background

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए यह अत्यंत ङ्क्षचता का विषय है कि हमारी संसद तथा विधानसभाओं के लगभग एक-तिहाई सदस्य आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। दरअसल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों का रुझान स्वतंत्रता के बाद से ही बढ़ रहा है। इन मामलों में से...

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए यह अत्यंत चिंता का विषय है कि हमारी संसद तथा विधानसभाओं के लगभग एक-तिहाई सदस्य आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। दरअसल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों का रुझान स्वतंत्रता के बाद से ही बढ़ रहा है। इन मामलों में से कुछ में हत्या तथा दुष्कर्म जैसे घृणित अपराध शामिल हैं या ङ्क्षहसा तथा भ्रष्टाचार से संबंधित। यह देखते हुए कि हमारी न्यायिक प्रणाली में विभिन्न अदालतों में करोड़ों केस लंबित हैं, ऐसे मामलों को निष्कर्ष तक पहुंचने में वर्षों लग जाते हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने अब कड़े तथा प्रभावी नियम बनाकर अच्छा कार्य किया है जो ऐसे व्यक्तियों को चुनावों में खड़ा होने से रोकेंगे। हालांकि शीर्ष अदालत ने ऐसे व्यक्तियों को चुनाव लडऩे के अयोग्य घोषित करने से परहेज किया है। इसकी बजाय उसने गेंद वापस संसद के पाले में फैंक दी है कि वह ऐसे राजनीतिज्ञों को प्रतिबंधित करने के लिए कानून बनाए। अदालत का यह कदम निश्चित तौर पर प्रशंसनीय है क्योंकि वह संसद की कार्यप्रणाली में टांग नहीं अड़ाना चाहती और उसने राजनीतिक दलों को कहा है कि वे चुनावी संस्थानों में अपराधियों के प्रवेश पर खुद प्रतिबंध लगाएं। इसने अपराधियों को प्रतिबंधित करने के लिए सरकार को कानून बनाने का सुझाव दिया है। 

यह एक कठिन कार्य है क्योंकि लगभग सभी राजनीतिक दल, जिसमें ‘स्वच्छ’ आम आदमी पार्टी भी शामिल है, ने आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं। इन सभी दलों को कानून पारित करने के लिए साथ आना चाहिए मगर इसकी सम्भावना नहीं है क्योंकि सभी दलों के कई वरिष्ठ नेता ऐसे आरोपों का सामना कर रहे हैं। सरकार ने तर्क दिया है कि पहले से ही ऐसा कानून है, जिसके अंतर्गत यदि किसी व्यक्ति को तीन वर्ष की सजा होती है तो उसकी सदस्यता अपने आप संसद तथा राज्य विधानसभाओं से खत्म हो जाती है। इसके साथ ही ऐसे सजायाफ्ता लोग कैद से रिहा होने की तिथि से 6 वर्षों तक चुनाव लडऩे के योग्य नहीं होते। 

संसद के पाले में गेंद डालते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सम्भावित उम्मीदवारों तथा चुनाव आयोग को निर्देश जारी करते हुए अच्छा काम किया, जो निश्चित तौर पर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे लोगों के चुनावी परिदृश्य में प्रवेश पर रोक लगाएंगे। इन 5 निर्देशों में से एक आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे तथा चुनाव लडऩे के इच्छुक लोगों के लिए यह आवश्यक बनाता है कि वे क्षेत्र के प्रमुख समाचार पत्रों तथा अन्य मीडिया में अपने खिलाफ आरोपों की घोषणा करते हुए 3 विज्ञापन दें। यह अकेला ही ऐसे व्यक्तियों को हतोत्साहित करने के लिए पर्याप्त होगा क्योंकि आवश्यक विज्ञापन दरअसल ऐसे उम्मीदवारों के खिलाफ नकारात्मक विज्ञापन का कार्य करेंगे। कौन अपने खिलाफ प्रचार करना चाहेगा। 

एक अन्य शर्त जो सर्वोच्च अदालत ने लागू की है वह यह कि चुनाव लडऩे के लिए चुनाव आयोग के घोषणा पत्र दाखिल करते समय उम्मीदवार को बड़े अक्षरों में अपने खिलाफ आपराधिक आरोपों बारे लिखना होगा। एक अन्य निर्देश यह है कि प्रत्येक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल ऐसे उम्मीदवारों बारे जानकारी आवश्यक तौर पर अपनी वैबसाइट पर डाले। यह भी संबंधित राजनीतिक दलों के लिए हतोत्साहित करने वाला है। पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने कड़ाई से कहा कि जो लोग आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं उन्हें आवश्यक तौर पर दरकिनार किया जाए और संसद से एक कानून बनाने के लिए कहा। इसने कहा कि ‘‘हमें यकीन है कि इस देश के लोकतंत्र की कानून बनाने वाली ईकाई इस नुक्सानदेयता का उपचार करने के लिए खुद कदम उठाएगी।’’ 

राजनीतिक दलों की ओर से इसके विरोध की आशा है और इनमें से कुछ तो अदालतों में वापस भी जा सकते हैं। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी पहले ही कह चुके हैं कि जहां पृष्ठभूमि की घोषणा करने संबंधी प्रावधान पहले ही कानून में मौजूद हैं, ऐसे लोगों को तीन बार विज्ञापन देने के लिए कहना अवास्तविक तथा अव्यावहारिक है। निर्णय में निश्चित तौर पर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे उम्मीदवारों पर कड़ी शर्तें लागू की गई हैं। इसकी जरूरत थी क्योंकि राजनीतिक दलों द्वारा खुद पर ऐसे प्रतिबंध लागू करने की कोई सम्भावना नहीं है। इस संबंध में एकमात्र सतर्कता यह बरती जानी चाहिए कि केवल अपने विरोधियों को बदनाम करने के लिए प्रतिद्वंद्वी झूठे मामले दर्ज करने का प्रयास न करें।-विपिन पब्बी

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