गरीबों और किसानों के मसीहा थे ‘ताऊ देवी लाल’

Edited By ,Updated: 06 Apr, 2021 03:56 AM

tau devi lal  was the messiah of the poor and farmers

किसानों के मसीहा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ताऊ देवी लाल की 21वीं पुण्यतिथि पर उनकी याद आना स्वाभाविक ही है। उन्होंने 1977 में हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने से पूर्व ही किसान-काश्तकार के लिए हुंकार भरी व कहा था कि जब किसान...

किसानों के मसीहा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ताऊ देवी लाल की 21वीं पुण्यतिथि पर उनकी याद आना स्वाभाविक ही है। उन्होंने 1977 में हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने से पूर्व ही किसान-काश्तकार के लिए हुंकार भरी व कहा था कि जब किसान-काश्तकार का बेटा देश का प्रधानमंत्री और दलित का बेटा राष्ट्रपति बनेगा, तभी देश आर्थिक व प्रजातंत्रात्मक दृष्टि से सम्पन्न होगा और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का स्वावलंबी भारत का सपना साकार होगा। 

1977 से 1979, 1987-88 व 1989 में ताऊ देवी लाल उन्हीं मुद्दों को लेकर जनता की आवाज बन आगे बढ़े व प्रजातंत्र की मजबूती के लिए नया नारा बुलंद किया कि, ‘‘लोकराज लोक लाज से चलता है’’ और इसके साथ ही उन्होंने जनहित के लिए स्वार्थी व भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का कानून बनाने की मांग की। 

चौधरी देवीलाल उच्च पदों पर रहते हुए भी अपनी जमीनी सोच और कार्यशैली में कभी बदलाव नहीं लाए। पद की गरिमा-प्रतिष्ठा को बरकरार रखते हुए वे दरिद्र नारायण के घर-द्वार तक पहुंचे। सत्ता के बिना भी उन्होंने लोगों के दिलों पर राज किया। वह शरीर जरूर छोड़ गए लेकिन उनकी आत्मा आज भी जीवित है। यह ताऊ  का करिश्माई व्यक्तित्व ही था कि विधानसभा की 90 में से 85 सीटें जीते तथा 1999 में  ओम प्रकाश चौटाला के गठबंधन में भाजपा ने लोकसभा की सभी 10 सीटों पर विजय पताका फहराई। 

कांग्रेस मुक्त भारत की वास्तविक नींव चौधरी देवी लाल ने ही रखी थी। संपूर्ण राष्ट्र को उन्होंने एक सूत्र में पिरो कर पहली बार केंद्र में कांग्रेस को सत्ता के गलियारों से दूर किया। वह विपक्षी एकता के कर्णधार बने। वह ‘किंग मेकर’ की भूमिका में ही रहे, स्वयं कभी ‘किंग’ बनने का सपना न देखा। प्रधानमंत्री का ताज सर्वसम्मति से उन्हें दिया गया लेकिन उन्होंने इसे श्री वी.पी. सिंह के सिर पर धर दिया। जब वह उनकी कसौटी पर खरे नहीं उतरे तो श्री चंद्रशेखर को गद्दी पर बिठा दिया और खुद संघर्ष की डगर पर चल निकले। दूसरों के गम में शरीक होना और यथासंभव मदद उनकी फितरत थी। प्रदेश में बाढ़ आ गई तो रिंग बांध योजना बनने पर आनन-फानन में कस्सी-तसला लेकर खुद पहुंच गए। 

हरियाणा के हिस्से का पानी लेने का फैसला भी करवाया। उस वक्त पंजाब से अकाली नेता उनके साथ रहे। बाद में राजनीतिक कारणों से यह प्रयास फलीभूत नहीं हो पाया लेकिन हरियाणा ने इस कार्य की परिणति में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। ताऊ देवी लाल ने हरियाणा बनने से पूर्व आम आदमी को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किए। अपनी दूरदर्शी व पारदर्शी सोच से वह हर प्रकार की समस्या का समाधान निकाल लेते थे। राष्ट्रहित में किसी भी राजनीतिक व सामाजिक मुद्दे पर वे अपने विरोधियों तक से भी सलाह-मशविरा करने में संकोच नहीं करते थे। अपने इसी स्वभाव कारण वह समस्त राष्ट्र  में ‘ताऊ’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। 

किसान, कामगार व ग्रामीण मजदूर के हितों के प्रति उनके प्रयासों को देखते हुए स्व. प्रधानमंत्री अटल  बिहारी वाजपेयी ने ताऊ  देवी लाल के प्रति इस प्रकार से विचार व्यक्त किए, ‘‘चौधरी देवीलाल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक एेसी शक्ति हैं जो कि दूसरों को आगे बढऩे के लिए सदैव गतिशील व  मार्गदर्शक हैं, उनके व्यक्तित्व में एक खास दृढ़ता है और संघर्ष ही उनका जीवन है लेकिन उनके हृदय में दूसरों के प्रति पे्रम व सहानुभूति का गतिशील आवास है। हरियाणा के साथ संपूर्ण राष्ट्र के भविष्य की भी चिंता सताती रहती है।’’ 

आज आवश्यकता है कि ताऊ  देवी लाल की नीतियों व सिद्धांतों का अनुसरण किया जाए। इससे सरकारी नीति व कार्यशैली निर्धारण में मदद मिलेगी। ताऊ की जन कल्याणकारी योजनाआें व  नि:स्वार्थ राजनीति से प्रेरणा लेकर प्रशासनिक व राजनीतिक तंत्र की विचारधारा को बदलने की आवश्यकता है ताकि ग्रामीण गरीब-मजदूर व किसान वर्ग के कल्याण व उत्थान के साथ-साथ स्वच्छ प्रशासन के लिए मार्ग प्रशस्त हो सके। उल्लेखनीय है कि पंजाब में आतंकवाद के दौर में अमन और शांति को स्थापित करने में चौधरी देवी लाल का बहुत बड़ा योगदान रहा।-डा. महेन्द्र सिंह मलिक आई.पी.एस. (सेवानिवृत्त)

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