तेलंगाना ने बनाया तिरुपति जैसा भव्य मंदिर

Edited By ,Updated: 27 Jun, 2022 04:23 AM

telangana built a grand temple like tirupati

क्या आपको पता है कि हैदराबाद से 60 किलोमीटर दूर यदाद्रीगिरीगुट्टा क्षेत्र में भगवान लक्ष्मी-नृसिंह देव का एक अत्यंत भव्य मंदिर पिछले वर्षों में बना है? पिछले हफ्ते जब मैं इसके दर्शन करने गया तो

क्या आपको पता है कि हैदराबाद से 60 किलोमीटर दूर यदाद्रीगिरीगुट्टा क्षेत्र में भगवान लक्ष्मी-नृसिंह देव का एक अत्यंत भव्य मंदिर पिछले वर्षों में बना है? पिछले हफ्ते जब मैं इसके दर्शन करने गया तो इसकी भव्यता और पवित्रता देख कर दंग रह गया। दरअसल 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद तेलंगाना में यह एक कमी थी। प्रसिद्ध तिरुमाला तिरुपति मंदिर आंध्र प्रदेश के हिस्से में चला गया था। तेलंगाना सरकार ने इस कमी को पूरा करने के लिए पौराणिक महत्व के यदाद्री लक्ष्मी-नृसिंह मंदिर का 1800 करोड़ रुपए की लागत से तिरुपति की तर्ज पर भव्य निर्माण करवाया है। 

यदाद्री लक्ष्मी-नृसिंह गुफा का उल्लेख 18 पुराणों में से एक स्कंद पुराण में मिलता है। शास्त्रों के अनुसार त्रेता युग में महर्षि ऋष्यश्रृंग के पुत्र यद ऋषि ने यहां भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। उनके तप से प्रसन्न विष्णु ने उन्हें नृसिंह रूप में दर्शन दिए थे। महर्षि यद की प्रार्थना पर भगवान नृसिंह 3 रूपों- ज्वाला नृसिंह, गंधभिरंदा नृसिंह और योगानंदा नृसिंह में यहीं विराजित हो गए। दुनिया में एकमात्र ध्यानस्थ पौराणिक नृसिंह प्रतिमा इसी मंदिर में है। भगवान नृसिंह की ये 3 और माता लक्ष्मी की 1 प्रतिमा, करीब 12 फुट ऊंची और 30 फुट लंबी एक गुफा में आज भी मौजूद हैं। इस गुफा में एक साथ 500 लोग दर्शन कर सकते हैं। इसके साथ ही आसपास हनुमान जी और अन्य देवताओं के भी स्थान हैं। इसी गुफा के ऊपर व चारों ओर यह यहां विशाल मंदिर परिसर बनाया गया है। 

मंदिर के निर्माण में कहीं भी ईंट, सीमैंट या कंक्रीट का प्रयोग नहीं हुआ है। सारा मंदिर ग्रेनाइट की भारी-भरकम ‘श्री कृष्ण शिलाओं’ से बना है, जिन्हें पुराने तरीके के चूने के मसाले से जोड़ा गया है। मंदिर के निर्माण में 80,000 टन पत्थर लगा है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि मंदिर सदियों तक रहेगा। नवनिर्मित मंदिर का सारा निर्माण कार्य आगम, वास्तु और पंचरथ शास्त्रों के सिद्धांतों पर किया गया है, जिनकी दक्षिण भारत में खासी मान्यता है। 

पारम्परिक नक्काशी से सुसज्जित यह मंदिर कुल साढ़े 4 साल में बन कर तैयार हुआ है, जो अपने आप में एक आश्चर्य है। इसके लिए इंजीनियरों और आर्किटैक्ट्स ने करीब 1500 नक्शों और योजनाओं पर काम किया। मंदिर का 7 मंजिला ग्रेनाइट का बना मुख्य द्वार, जिसे राजगोपुरम कहा जाता है, करीब 84 फुट ऊंचा है। इसके अलावा मंदिर के 6 और गोपुरम हैं। राजगोपुरम के आर्किटैक्चर में 5 सभ्यताओं द्रविड़, पल्लव, चोल, चालुक्य और काकातिय की झलक मिलती है। 

हजारों साल पुराने इस तीर्थ का क्षेत्रफल करीब 9 एकड़ था। मंदिर के विस्तार के लिए 1900 एकड़ भूमि अधिगृहित की गई। इसकी भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मंदिर में 39 किलो सोने और करीब 1753 टन चांदी से सारे गोपुरम (द्वार) और दीवारों को मढ़ा गया है। नवस्थापित भगवान के विशाल विग्रह व गरुड़स्तंभ भी सोने के बने हैं। यदाद्री मंदिर ऊंचे पहाड़ पर मौजूद है। मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की सनातन धर्म में गहरी आस्था है, यह इस बात से सिद्ध होता है कि उन्होंने मंदिर परिसर के आस-पास कोई भी दुकान या खान-पान की व्यवस्था नहीं होने दी, क्योंकि उससे मंदिर की पवित्रता भंग होती। इन सब गतिविधियों के लिए पहाड़ के नीचे तलहटी में पूरा व्यावसायिक परिसर बनाया गया है। 

मंदिर तक पहुंचने के लिए हैदराबाद सहित सभी बड़े शहरों से जोडऩे के लिए फोरलेन सड़कें तैयार की गई हैं। मंदिर के लिए अलग से बस-डिपो भी बनाए गए हैं। इस इलाके में यात्रियों से लेकर वी.आई.पी. तक सारे लोगों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए कई तरह की व्यवस्थाएं की गई हैं। यात्रियों के लिए मंदिर की पहाड़ से दूर अन्य पहाड़ों पर अलग-अलग तरह के गैस्ट हाऊस और टैंपल सिटी का निर्माण भी किया गया है। पूरे परिक्षेत्र में जो हरियाली और फुलवारी लगाई गई है, वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर की है। सफाई और रख-रखाव भी पांच सितारा स्तर का है, जिससे उत्तर भारत के मंदिरों के प्रशासकों व तीर्थ विकास में लगे अफसरों को प्रेरणा लेनी चाहिए। 

आश्चर्य की बात यह है कि यदाद्रीगिरीगुट्टा के इस इलाके में जहां दूर-दूर तक एक बूंद पानी नहीं था, भूमि सूखी और पथरीली थी, जल का कोई स्रोत न था, वहां तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की विश्व भर में चर्चित ‘मिशन भागीरथ’ योजना से 10 लाख लीटर शुद्ध जल प्रतिदिन पहुंचाया जा रहा है। यहां बने कल्याणकट्टा मंडप में प्रतिदिन 15,000 भक्त मुंडन करवाने के बाद सामने लक्ष्मी सरोवर में स्नान करते हैं। प्रसाद हॉल में एक बार में 750 और दिन भर में 15,000 लोग प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं। इसके अलावा तिरुपति की तरह ही यदाद्री मंदिर में भी लड्डू प्रसादम् मिलता है। इसके लिए अलग से एक कॉम्प्लैक्स तैयार किया गया है, जहां लड्डू प्रसादम् के निर्माण से लेकर पैकिंग की व्यवस्था है। 

मंदिर में दर्शन के लिए क्यू कॉम्पलैक्स बनाया गया है। इसकी ऊंचाई करीब 12 मीटर है। इसमें रैस्टरूम सहित कैफेटेरिया की सुविधाएं भी हैं। अब आप जब चाहें तिरुपति के साथ ही स्कंद पुराण में वर्णित इस दिव्य तीर्थ स्थल का भी दर्शन करने हैदराबाद से यदाद्रीगिरीगुट्टा मंदिर जा सकते हैं। आपको दिव्य आनंद की प्राप्ति होगी।-विनीत नारायण
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!