बाहुबली की रिहाई से विपक्षी एकता को लगा आघात

Edited By ,Updated: 29 Apr, 2023 04:21 AM

the release of bahubali dealt a blow to the opposition unity

बिहार की नीतीश कुमार सरकार के जेल नियमों में संशोधन करने से कुख्यात बाहुबली आनंद मोहन सिंह की रिहाई हो गई। इस गैंगस्टर पर गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या में शामिल होने का आरोप था। सिंह सहित 27 दोषियों को इस संशोधन का फायदा...

बिहार की नीतीश कुमार सरकार के जेल नियमों में संशोधन करने से कुख्यात बाहुबली आनंद मोहन सिंह की रिहाई हो गई। इस गैंगस्टर पर गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या में शामिल होने का आरोप था। सिंह सहित 27 दोषियों को इस संशोधन का फायदा मिला। 

बाहुबली सिंह 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। दलित आई.ए.एस. अधिकारी जी. कृष्णैया की भीड़ ने पिटाई की और गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस भीड़ को आनंद मोहन ने उकसाया था। साल 2007 में पटना हाईकोर्ट ने उसे दोषी ठहराया और फांसी की सजा सुनाई। आजाद भारत में यह पहला मामला था जिसमें एक राजनेता को मौत की सजा दी गई थी। हालांकि 2008 में इस सजा को उम्रकैद में तबदील कर दिया गया। 

आनंद मोहन सिंह को बिहार में जाति विशेष का एक बड़ा नेता माना जाता है। जाति विशेष के मतदाताओं को साधने के इरादे से आनंद मोहन को रिहा किया गया, ताकि नीतीश सरकार के प्रति उसकी जाति के मतदाताओं की सहानुभूति को चुनावों में बटोरा जा सके। नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ देश के विपक्षी दलों की एकता की कवायद में जुटे हुए हैं। यही वजह है कि भ्रष्टाचार और अपराध जैसे कारणों से भाजपा विपक्षी दलों को निशाने पर लेती रही है। इसका मौका विपक्षी दलों ने ही भाजपा को कई बार थमाया है। 

विपक्षी एकता में विपक्षी दलों के ऐसे स्वार्थपरक निर्णय ही बाधा बन कर खड़े हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपराधियों के साथ गठजोड़ करके भाजपा को एक नया मुद्दा थमा दिया। भाजपा इसका तुलनात्मक प्रचार करके विपक्ष दलों का पर्दाफाश करने में लगी है। एक तरफ बिहार है, जहां बाहुबली से राजनीतिक फायदा उठाने के लिए कानून बदल दिया गया। वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश मेें योगी सरकार ने गैंगस्टर्स के सफाए में कोई कोर- कसर बाकी नहीं छोड़ रखी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने दुर्दांत अपराधी अतीक अहमद के गैंगस्टर बेटे और उसके साथी को मुठभेड़ में मार गिराया। संयोग से अतीक और उसका भाई भी एक हमले में मारे गए। 

इससे पहले भी उत्तर प्रदेश पुलिस मुठभेड़ में दर्जनों खतरनाक अपराधियों का सफाया कर चुकी है। हालात यह हैं कि उत्तर प्रदेश में अपराधी डर के मारे जेल से जमानत तक लेने से हिचक रहे हैं। गैंगस्टर रहे आनंद मोहन की रिहाई से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गठबंधन की कवायद में लगे विपक्षी दल अपनी सत्ता को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। क्षेत्रीय दलों के लिए अपने हित सर्वोपरि हैं। संकीर्ण हितों के कारण ही क्षेत्रीय दल भारतीय जनता पार्टी को कोसने के बावजूद एकजुट नहीं हो पा रहे हैं। 

इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर से पहल की है। नीतीश कुमार ने बिहार के राजद नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। इसके बाद राहुल गांधी ने मल्लिकार्जुन खरगे और जे.डी.यू. तथा आर.जे.डी. नेताओं के साथ अपनी एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें कहा गया कि वे एक साथ खड़े  हैं, भारत के लिए एक साथ लड़ेंगे। 

गौरतलब है कि पं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी 2024 के चुनावों से पहले अन्य दलों के साथ तालमेल बिठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। उन्होंने पिछले महीने कोलकाता में अपने आवास पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। साथ ही वह लगातार विपक्षी एकता की बात कर रही हैं। विपक्षी दलों ने इससे पहले भी भाजपा को घेरने के इरादे से प्रवर्तन निदेशालय और सी.बी.आई. की कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया कि देश के आम नागरिक और नेताओं में कोई फर्क नहीं है, नेताओं के लिए अलग से आदेश नहीं दिए जा सकते। इस पर विपक्षी दल याचिका वापस लेने को मजबूर हो गए। सुप्रीम कोर्ट से मिले तगड़े झटके के बाद विपक्षी दलों की एकता के नए सिरे से प्रयास जारी हैं। 

विपक्षी एकता का धरातल इतना कमजोर है कि क्षेत्रीय दलों की आपस में और कांग्रेस से पटरी नहीं बैठ पा रही है। क्षेत्रीय दलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है सभी गैर-भाजपा दलों को एकजुट करना। इस बाधा को पार करने के बाद न्यूनतम सांझा कार्यक्रम तय करना है। पहली बाधा ही विपक्षी दलों के लिए हिमालय जैसी है। चुनावी एजैंडा तय करने में विपक्षी दलों को अपराध, भ्रष्टाचार सहित ऐसे कई बड़े मुद्दों से जूझना पड़ेगा, जिसमें ज्यादातर नेता प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर में शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा सहित अन्य नेता कर्नाटक चुनाव सहित अन्य सार्वजनिक सभाओं में विपक्षी दलों की एकता को नापाक करार देते हुए हमले का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। 

पिछले 2 लोकसभा चुनावों में भाजपा ने विपक्षी दलों के भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बनाया था। भाजपा की लगातार विजय में यह प्रमुख मुद्दा रहा है। अपराध और भ्रष्टाचार के मामले में विपक्षी दल भाजपा के हाथों मात खाते रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी और अन्य भाजपा नेता जिस तरह लगातार ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं, उससे जाहिर है कि आगामी लोकसभा चुनाव में विकास के साथ विपक्षी दलों के दागदार मामले प्रमुख मुद्दा रहेंगे। विपक्षी दलों के सामने यक्ष प्रश्न यही है कि एकजुटता की शुरूआत कैसे हो। यह निश्चित है कि सीटों के बंटवारे के अलावा भ्रष्टाचार और अपराधों सहित अन्य मुद्दों पर जब तक कोई सहमति नहीं बन जाती तब तक विपक्षी एकता कोरा दिखावटी प्रयास ही रहेगी।-योगेन्द्र योगी
    

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!