असम-मिजोरम सीमा विवाद का सौहार्दपूर्ण समाधान हो

Edited By ,Updated: 06 Aug, 2021 06:04 AM

there should be an amicable solution to the assam mizoram border dispute

भारत जैसे एक लोकतांत्रिक देश में अंतर्राज्यीय सीमा विवादों को देखने से अधिक दुखद कुछ नहीं हो सकता। चूंकि राजनीति जीवन तथा सोच के हर पहलू पर हावी रहती है, हमें आमतौर पर राजनीति के व्यवहार

भारत जैसे एक लोकतांत्रिक देश में अंतर्राज्यीय सीमा विवादों को देखने से अधिक दुखद कुछ नहीं हो सकता। चूंकि राजनीति जीवन तथा सोच के हर पहलू पर हावी रहती है, हमें आमतौर पर राजनीति के व्यवहार तथा सत्ता के लिए अजीब सांझेदारियों की प्रक्रिया देखने को मिलती है जिसे आमतौर पर संवेदनशील व्यक्ति समझने अथवा पचाने में सक्षम नहीं होते। 

सच है कि सकल भारतीय परिदृश्य पेचीदा है जो उद्देश्यपूर्ण आकलन तथा महत्वपूर्ण जांच के परीक्षण पर खरा नहीं उतरता। मैं असम-मिजोरम सीमा विवाद को इसी नजरिए से देखता हूं। जो चीज विशेष तौर पर परेशान करने वाली थी वह है भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में हुई हिंसक झड़प। 26 जुलाई के उस घटनाक्रम के दौरान 6 पुलिसकर्मी मारे गए तथा कुछ घायल हुए। इस तरह का घटनाक्रम निश्चित तौर पर अस्वीकार्य है। 

इतना ही परेशान करने वाला है सीमा विवाद के बाद बराक घाटी क्षेत्र में ‘नाकाबंदी’ लगाना। आधिकारिक तौर पर असम ने ऐसे किसी भी कदम से इंकार किया है। हालांकि मैं इसे लेकर सुनिश्चित नहीं। यद्यपि सीमा विवाद का समय दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि मिजोरम वर्तमान में कोविड की दूसरी लहर को झेल रहा है तथा राज्य को देश में सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक बताया जा रहा है। 

जो स्थिति है केंद्र की सी.बी.आई. जैसी किसी तटस्थ एजैंसी द्वारा जांच के आदेश देने की कोई योजना नहीं है। इसके साथ ही जरूरत इस बात की है कि दो मुख्यमंत्री-असम के हिमंत बिस्व सरमा तथा मिजोरम के जोरामथांगा विवाद का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालें। यह एक सही सोच है। सीमा संबंधी मुद्दों का समाधान निकालने में मदद के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पृष्ठभूमि में काफी सक्रिय हैं। केंद्र ने दोनों राज्यों को कहा है कि मिजोरम के कोलासिब तथा असम के चाचार जिलों के बीच सीमा के साथ संघर्ष क्षेत्र में जाने के दौरान उनके अधिकारी तथा सुरक्षाबलों को अपने साथ हथियार ले जाने की इजाजत न दी जाए। 

हालांकि यहां उल्लेखनीय चीज केंद्र सरकार का उत्तर-पूर्वी राज्यों की सीमाओं का सैटेलाइट इमेजिंग के माध्यम से सीमांकन करने का निर्णय है ताकि अंतर्राज्यीय सीमा विवादों का हल हो सके जो भविष्य में समस्याएं पैदा कर सकते हैं। अंतरिक्ष विभाग (डी.ओ.एस.) तथा उत्तर-पूर्वी परिषद (एन.ई.सी.) के  संयुक्त उपक्रम द नार्दर्न ईस्टर्न स्पेस एप्लीकेशन सैंटर (एन.ई.एस.ए.सी.) को यह मुश्किल काम सौंपा गया है। उत्तर पूर्वी क्षेत्र में सीमांकन के लिए यह बेहतरीन विकल्प दिखाई देता है। 

सीमा विवाद कम करने के संबंध में असम तथा मिजोरम के मु यमंत्रियों का रवैया सकारात्मक है। इसके साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि उत्तर-पूर्व के मनोबल को जीवंत रखा जाए। इस संदर्भ में यह अवश्य कहा जाना चाहिए कि असम के अधिकारियों को मिजोरम के लिए आवश्यक वस्तु की आपूर्ति की स्वतंत्र आवाजाही में बाधा नहीं डालनी चाहिए। यह याद रखा जाना चाहिए कि 165 किलोमीटर ल बी असम-मिजोरम सीमा पर दोनों तरफ 3-3 जिलों (असम में कचार, करीमगंज तथा हैलाकांडी तथा मिजोरम में मामित, कोलासिब तथा आइजॉल)  में से जंगली पहाडिय़ों में से गुजरती है। 

संभवत: अतीत में भी सीमा समस्याएं थीं। मगर तब सत्ताधारी अधिकारियों ने कोई उचित कदम नहीं उठाया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि तब सत्ताधारी वर्ग दूरदृष्टा होता तो हमें 2 राज्यों के पुलिस बलों के बीच ऐसी झड़पें देखने को नहीं मिलतीं। यह बड़े दुख की बात है कि इस देश में प्रशासन द्वारा इस तरह का लापरवाहीपूर्ण रवैया अपनाया जाता है। केंद्र तथा राज्यों को अतीत की गलतियों से सबक लेना चाहिए था मगर कौन परवाह करता है? इस बार भाजपा नीत केंद्र सरकार विभिन्न स्तरों पर बातचीत की एक शृंखला के माध्यम से इस मुद्दे का समाधान करने को दृढ़निश्चयी दिखाई देती है। 

मेरा मानना है कि ऐसे सभी मुद्दों का समाधान निकालने के लिए बातचीत एक सही दृष्टिकोण है जो राज्यों के बीच अनावश्यक तनाव पैदा करते हैं। जोरामथांगा, जिन्होंने कोविड-19 पॉजिटिव टैस्ट के बाद खुद को अलग-थलग कर दिया है, ने अपने क्वारंटाइन के बाद सीमा मुद्दों पर बातचीत के लिए असम के मुख्यमंत्री को कॉल करने का वादा किया है। यह बहुत अच्छी बात है। हालांकि भाजपा से संबंधित असम के मु यमंत्री ने सीमा विवाद को एक  आयाम दिया है। हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि जहां ‘उपचारात्मक प्रक्रिया जारी है’, सुप्रीमकोर्ट के हाथ में पेचीदा मुद्दे का दीर्घकालिक समाधान होना चाहिए। 

सरमा ने केंद्र की पूर्ववर्ती सरकारों पर आरोप लगाया कि पार्टी के ‘राजनीतिक हितों’ के लिए उसने उत्तर पूर्वी राज्यों के बीच मुद्दों को पेचीदा होने दिया। उन्होंने इस मुद्दे को ‘एक ऐतिहासिक गलती’ बताया है।
अतीत बीत चुका है मगर जो चीज महत्वपूर्ण है, वह है तथ्य और तथ्यों के साथ पवित्रतापूर्ण व्यवहार किया जाना चाहिए। एक विश्वसनीय ऐतिहासिक घटनाक्रम भविष्य के लिए मार्गदर्शक के तौर पर कार्य करता है। यह भी अवश्य कहा जाना चाहिए कि हम लोग इतिहास से सबक लेने वाले नहीं हैं। 

जो भी हो इतिहास कोई खेलने वाली चीज नहीं है। यह किसी एक अथवा दूसरे राजनीतिक समूह के अनुकूल नहीं होना चाहिए न ही इसके साथ किसी के राजनीतिक हितों के लिए छेड़छाड़ की जानी चाहिए। सीमा मुद्दे की राजनीतिक तथा भावनात्मक पेचीदगियों को देखते हुए मेरा भी यही विचार है कि बेहतर होगा यदि असम तथा मिजोरम के बीच सीमा विवाद से सुप्रीमकोर्ट निपटे। शीर्ष अदालत इतिहास, पूर्ववर्ती प्रशासनिक निर्णयों को देख कर एकबारगी सभी के लिए मुद्दे का समाधान कर सकती है।-हरि जयसिंह
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!