असहनशीलता और अभद्रता पर नियंत्रण हो

Edited By ,Updated: 04 Aug, 2022 04:22 AM

to control intolerance and indecency

आजकल एक सुनियोजित और बड़़े पैमाने पर एक मुहिम चलाई जा रही है जिसके तहत लोगों को कहा जा रहा है कि वे आमिर खान की आगामी फिल्म ‘लाल सिंह चड्डा’ को न देखें। ऐसे ही संदेश के

आजकल एक सुनियोजित और बड़़े पैमाने पर एक मुहिम चलाई जा रही है जिसके तहत लोगों को कहा जा रहा है कि वे आमिर खान की आगामी फिल्म ‘लाल सिंह चड्डा’ को न देखें। ऐसे ही संदेश के साथ अनगिनत वीडियो फार्वर्ड किए जा रहे हैं कि फिल्म का बायकाट किया जाए फिर चाहे फिल्म किसी भी विषय के बारे में हो। 

हालांकि ऐसे वीडियो आमिर खान की पिछली फिल्म ‘पी.के.’ के बारे में है जो 2014 में रिलीज हुई थी। इसमें नायक आमिर खान ने हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाया था। निश्चित तौर पर फिल्म के कुछ दृश्य आपत्तिजनक थे मगर महत्वपूर्ण यह है कि फिल्म की रिलीज के दौरान या फिर उसके बाद शायद ही कोई ऐसा प्रदर्शन इसके खिलाफ किया गया हो। मिसाल के तौर पर हरियाणा की महिला पहलवानों पर ‘दंगल’ फिल्म 2016 में रिलीज हुई थी। मगर तब भी फिल्म का बायकाट करने के लिए कोई आवाज नहीं उठी। इस बार केवल थिएटरों में ही फिल्म को न देखने की कॉल की गई बल्कि टी.वी. चैनलों का भी विरोध करने के लिए कहा गया है जो फिल्म की प्रमोशन करेंगे। 

बात यहीं तक खत्म नहीं होती। अमिताभ बच्चन के पापुलर टैलीविजन शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ का बायकाट करने के लिए भी कहा जा रहा है क्योंकि इसमें आमिर खान एक विशेष मेहमान के तौर पर हिस्सा ले रहे हैं। बायकाट करने की यह मुहिम इतनी शातिर और समन्वित है कि इन्हें किसी संगठन के आदेश के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही चलाया जा रहा है। थिएटरों में जब फिल्में रिलीज होंगी तब भी बॉक्स ऑफिस पर फिल्म के बारे में आने वाली प्रतिक्रिया पर ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए ‘वेट एंड वॉच’ की बात देखनी होगी। 

2014 में जब ‘पी.के.’ रिलीज हुई थी तब से लेकर अब तक क्या कुछ बदला है? स्पष्ट तौर पर पानी में बहुत कुछ बह गया है और हमारी सोसाइटी ने एक रचनात्मक मोड़ लिया है। ऐसी ही मानसिकता ‘आल्ट न्यूज’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबेर की गिरफ्तारी के दौरान देखी गई जिसके तहत 1983 में रिलीज हुई एक फिल्म ‘किसी से न कहना’ पर आधारित एक ट्वीट पर उन्हें घसीटा गया। 

बेशक उस समय कोई प्रदर्शन नहीं हुआ। हालांकि एक गैर-पहचान वाले व्यक्ति ने कुछ माह पहले एक शिकायत दर्ज करवाई जिसमें कहा गया कि उसकी भावनाएं आहत हुई हैं तथा फिल्म निर्माता नहीं बल्कि जुबेर के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उस शिकायत के आधार पर जुबेर जोकि एक साइट चलाते हैं जहां पर फेक न्यूज का पर्दाफाश हुआ था, को सुप्रीमकोर्ट की दखलअंदाजी तक 27 दिनों तक जेल में बंद रखा। 6 अन्य केस भी जुबेर पर किए गए जिन्हें अदालत द्वारा जोड़ा गया। जबकि वर्तमान मुहिम जोकि ‘लाल सिंह चड्डा’ के बायकाट को लेकर है वही एक अन्य मुहिम कुछ माह पहले फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ के हक में चलाई गई। इस फिल्म के मामले में फिल्म को थिएटर में देखने के लिए कहा गया। थिएटर के मालिकों को भी धमकाया गया कि वह फिल्म को चलने दें। यह फिल्म कश्मीरी पंडितों को कश्मीर को छोडऩे तथा उनकी हालत के बारे में है। 

बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ने विश्वव्यापी कुलैक्शन के तौर पर 333 करोड़ रुपए कमाए। अब हम उस सवाल पर आते हैं कि पिछले 8 वर्षों के दौरान क्या बदला। कुछ लोग इसे हिंदू मुखरता बताते हैं और हिंदू धर्म की खोई हुई महिमा को वापस लाने की बात करते हैं। कुछेक का मानना है कि अब विचारों की प्रक्रिया पुरातन हिंदू धर्म की मान्यताओं के खिलाफ है जिसे सदियों तक माना गया। 

यह बहस चलती रहेगी मगर चिंता वाली बात यह है कि किस हद तक? मुहिम चलाने वाले लोग कहां तक जा सकते हैं। हाल ही में एक पकौड़े बनाने वाला गिरफ्तार हुआ और एक मामला उसके खिलाफ दर्ज हुआ क्योंकि वह पकौड़ों को पुराने समाचार पत्रों में लपेट कर बेच रहा था जिस पर कुछ देवी-देवताओं के चित्र प्रकाशित हुए थे। यह सब बातें ये दर्शाती हैं कि कुछ लोग किस हद तक जा सकते हैं। असहनशीलता तथा अभद्रता की सभी सीमाएं पार करने वालों पर कौन से कदम उठाए जाने चाहिएं।-विपिन पब्बी 
 

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