यूक्रेन और गाजा अंतहीन धारावाहिक, लेखकों को अंत नहीं पता

Edited By Updated: 14 Sep, 2025 05:27 AM

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यूक्रेन और गाजा हमारी स्क्रीन पर अंतहीन रूप से चलने वाले टी.वी. धारावाहिक हैं क्योंकि लेखकों को अंतिम दृश्य की पटकथा लिखना नहीं आता। कहानी का सामान्य रुझान तो पता है लेकिन अंत नहीं।

यूक्रेन और गाजा हमारी स्क्रीन पर अंतहीन रूप से चलने वाले टी.वी. धारावाहिक हैं क्योंकि लेखकों को अंतिम दृश्य की पटकथा लिखना नहीं आता। कहानी का सामान्य रुझान तो पता है लेकिन अंत नहीं। गाजा युद्ध का अंत लगातार टलता जा रहा है क्योंकि अमरीका और इसराईल दोनों ही यह स्वीकार करने में शॄमदा हैं कि एक के लिए वैश्विक असाधारणता और यहूदी राज्य के लिए क्षेत्रीय असाधारणता, दोनों ही खोखली हैं क्योंकि 2008 में लेहमैन ब्रदर्स के पतन के बाद से वैश्विक शक्ति उत्तर से दक्षिण की ओर तेजी से स्थानांतरित हो रही है। वियतनाम सिंड्रोम से उबरने में दशकों लग गए। 1975 में साइगॉन में हुई पराजय के बाद अमरीकी जनमत में विदेशी हस्तक्षेप के प्रति गहरा प्रतिरोध विकसित हो गया था।

9/11 के बाद के युद्धों ने ‘एड्रेनालाइन’ की एक लहर पैदा कर दी क्योंकि नव-रूढि़वादी अमरीकी सदी को तेजी से आगे बढ़ाने में जुट गए। अमरीका दुनियाभर में 760 ठिकानों को बनाए रखते हुए, बड़े और छोटे, कई युद्धों में उलझा हुआ है, ऐसे में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ट्रम्प ने एक बार पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर से पूछा, ‘‘चीन अमरीका से आगे निकल रहा है, हमें क्या करना चाहिए?’’ कार्टर का जवाब सटीक था। ‘‘1978 में वियतनाम के साथ हुई झड़प को छोड़कर, चीन कभी युद्ध में नहीं रहा। हमने युद्ध करना कभी बंद नहीं किया।’’ अगस्त, 2021 में अफगानिस्तान से अमरीका की वापसी कई मायनों में, अमरीकी, बल्कि पश्चिमी आत्मसम्मान के लिए 50 साल पहले वियतनाम युद्ध की पराजय से भी ज्यादा विनाशकारी थी। अदम्य वियतनामी राष्ट्रवाद एक कारक था लेकिन वाल्टर क्रोनकाइट जैसे एंकरों की उत्कृष्ट पत्रकारिता से प्रेरित अमरीकी जनमत ने इस नाटकीय अंत को गति देने में मदद की।

अफगानिस्तान में मुख्यधारा के मीडिया ने नकारात्मक भूमिका निभाई। उसने पर्दा डाल दिया। जब युद्ध छिड़ता है तो युद्ध संवाददाता किसी भी स्थिति में प्रचारक और मिथक-निर्माता बन जाता है। चूंकि अमरीका 1990 के दशक से लगातार युद्धरत रहा है, इसलिए पत्रकार विश्वसनीयता से रहित प्रचारक ही बने रहे हैं। दोनों युद्धों की कहानी जमीनी हकीकतों से टकराती है। मीडिया द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गई कहानी ने एक ऐसी तस्वीर गढ़ी, जिसमें पुतिन ने अपने ‘साम्राज्यवादी सपनों’ को पूरा करने के लिए बिना किसी उकसावे के यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया।1991 में विदेश मंत्री जेम्स बेकर द्वारा गोर्बाच्योव से किए गए वादे भुला दिए गए कि ‘नाटो रूस के एक इंच भी करीब नहीं आएगा।’ 2008 में नाटो के बुखारेस्ट शिखर सम्मेलन में अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश ने जॉॢजया और यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की घोषणा करके पुतिन की आंखों में धूल झोंक दी थी। पुतिन इस लाल रेखा का उल्लंघन नहीं होने देंगे। इसी तरह, गाजा मोर्चे पर, 2 वर्षों से फैले इसराईल के नरसंहार और भुखमरी से सामूहिक हत्या को हमास के उस दुस्साहस की सजा के रूप में उचित ठहराया जा रहा है, जिसने 7 अक्तूबर, 2023 को 1200 यहूदियों की हत्या की और 251 लोगों को बंधक बना लिया था।

दोनों युद्धों को वास्तव में बढ़ावा देने वाली बात ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने तब कही थी, जब उन्होंने पार्टीगेट में फंसकर अप्रैल, 2022 में इस्तांबुल में हुए एक समझौते को रद्द कर दिया था। विदेश नीति के एक लेख के अनुसार, जॉनसन जेलेंस्की का हाथ थामने के लिए कीव पहुंचे थे। ‘पश्चिम अभी युद्ध समाप्त करने के लिए तैयार नहीं था।’ उनके लिए, युद्ध यूक्रेन के बारे में नहीं  बल्कि पश्चिमी आधिपत्य के बारे में था। यूक्रेनियों के हताहत होने का आंकड़ा 17 लाख है। सभी विश्वसनीय आंकड़ों के अनुसार, युद्ध के मैदान में रूस की बढ़त लगातार जारी है। डोनाल्ड रम्सफेल्ड ने जिसे ‘पुराना यूरोप’ कहकर अपमानित किया था, उसके 7 नेता वोलोदिमीर जेेलेंस्की को ओवल ऑफिस में ट्रम्प दरबार तक किस मकसद से ले गए?  कृपया पुतिन से बात न करें? पुतिन की शर्तों पर यूक्रेन युद्ध समाप्त न करें। यूरोपीय सुरक्षा का हवाला दें जबकि खतरा पश्चिमी प्रभुत्व का है। मान लीजिए कि हिटलर किसी शैतानी स्थिति में बच गया होता तो क्या युद्ध के बाद की किसी भी सभा में उसका स्वागत होता? इसका जवाब, जाहिर है, एक जोरदार ‘न’ है। इस युद्ध के समाप्त होने के अगले दिन, मैं कल्पना भी नहीं कर सकता कि नेतन्याहू पर फूल बरसाए जाएंगे। 

पश्चिम दो और पराजयों का सामना कैसे करेगा- एक यूरोप के मध्य में और दूसरी पश्चिम एशिया में अपने सबसे शक्तिशाली गढ़ में? ऐसा आसानी से नहीं होने दिया जाएगा। यूक्रेन को मजबूत करने के लिए टॉरस मिसाइलों और मध्यम दूरी की मिसाइलों की बात हो रही है। हताशा में, इन्हें मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग के आसपास पहले से लगाए गए कैमरों से इस्तेमाल किया जा सकता है, ताकि आतिशबाजी हो सके, जो अस्थायी रूप से जमीन पर उलट-फेर को दबा दे। अपनी पीठ दीवार से सटाए हुए, इसराईल ईरान को किसी और घातक चीज से निशाना बना सकता है। दुनिया मॉस्को और तेहरान पर शर्मनाक सस्पैंस पर लगातार नजर रखेगी।-सईद नकवी
     

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