हम भविष्य और मौत जैसे डरों को अक्सर झेलते हैं

Edited By ,Updated: 13 Nov, 2021 05:39 AM

we often face fears like the future and death

नहीं -नहीं मैं इस समय विश्व भर में किए जाने वाले भालू वाले आङ्क्षलगन की बात नहीं कर रहा हूं, यहां तक कि इसे एक राजनीतिक नेता ने पोप को भी दे दिया। मगर कुछ वर्ष पूर्व मैंने अपनी

नहीं -नहीं मैं इस समय विश्व भर में किए जाने वाले भालू वाले आङ्क्षलगन की बात नहीं कर रहा हूं, यहां तक कि इसे एक राजनीतिक नेता ने पोप को भी दे दिया। मगर कुछ वर्ष पूर्व मैंने अपनी संध्या को एक दोस्त के साथ व्यतीत किया जिसे किडनी की समस्या थी। एक नई दान में मिली किडनी के साथ उसे डायलिसिस किया गया। यह किडनी उसे निरंतर ही समस्या दे रही थी। 

एक दिन जैसे ही हम पैदल चल रहे थे तो मैंने उससे पूछा कि क्या वह उस बीमारी से डरता है जिसने उसको घेर रखा है? उसने कहा, ‘‘नहीं-नहीं बॉब, मैंने तो इसे अपना दोस्त मान लिया है।’’ मैंने खुशी से पूछा, ‘‘मगर यह बीमारी आपकी दुश्मन होनी चाहिए।’’ मेरे दोस्त ने हंसते हुए कहा, ‘‘ठीक! मैंने इसे अपने शरीर में ढाल लिया है। इसीलिए हर दिन मैं इससे नहीं डरता और इसे एक दोस्त की तरह समझता हूं और इसे बर्दाश्त करता हूं।’’ तभी मैंने पूछा, ‘‘आखिर ऐसा कैसे कर लेते हो? मैं तो डर ही जाता और अपना बहुमूल्य समय डर के दौरान ही खो देता।’’ मेरा दोस्त बोला, ‘‘नहीं इसके विपरीत मैंने इसके साथ जीना सीख लिया है और अपने चेहरे पर मैं डर को लेकर नहीं आता।’’ 

1972 में एक साहसी, लेखक और पेशेवर वक्ता डेविड स्मिथ ने निर्णय लिया कि वह अपना कुछ समय जिब्राल्टर द्वीप की सेंट माइकल गुफा में अकेला ही व्यतीत करेगा। अपनी किताब ‘हग द मॉन्स्टर’ (कंसास सिटी: एंड्रूज एंड मैकमील, 1996) में उसने  बताया कि जैसे ही उसने अपना कदम उस सुनसान, नम और अंधेरी गुफा में रखा तो चारों तरफ से अद्भुत-सी आवाजें सुनाई देने लग पड़ीं जिन्होंने मुझे घेर लिया। सबसे डरावनी बात यह थी कि स्मिथ ने मानना शुरू कर दिया कि वह अकेला नहीं है।

डर, घबराहट बन गया तथा उसे लगा कि जैसे उसने अपनी मन की स्थिति को खो दिया। अचानक ही जैसे वह मनोवैज्ञानिक अत्यंत तनावपूर्ण स्थिति में आगे बढ़ रहा था, स्मिथ ने अपने आप से कहा, ‘‘दानव जैसा मर्जी हो मैं उसे गले लगाऊंगा।’’ ऐसे साधारण और लगभग बेवकूफी भरे विचार ने स्मिथ के बेचैन मन को बड़ी राहत पहुंचाई। सुबह होने तक वह गहरी नींद में सो गया। उसने पाया कि डर को आलिंगन करना शाब्दिक या अलंकारिक रूप से उसने इसे वश में कर लेने जैसा है। 

हम सभी अपनी डरावनी रातें बिताते हैं। हम अलग-अलग प्रकार के दानवों के समक्ष हो जाते हैं। हम मकडिय़ों, कीट-पतंगों, ऊंचाइयों, भीड़भाड़, परित्याग या अकेलापन, भविष्य या मौत जैसे डरों को अक्सर झेलते हैं। हम में से ज्यादातर लोग कभी-कभार अंधेरी रात में ऐसे दानवों से मुलाकात कर बैठते हैं।

अगली बार जब आप भयभीत हों तो दानव को गले लगाने की चेष्टा करें। किसी प्रकार का भी डर हो उसे आलिंगन करें। आप आश्चर्यचकित होंगे कि कितनी जल्दी से आपके दिलो-दिमाग से यह डर दूर भागता है और आप आश्वस्त होना महसूस कर लेते हैं। इसी प्रकार मेरे दोस्त ने डर के साथ जीना सीख लिया और उसे अपना दोस्त मान लिया। क्या आपके पास कोई ऐसा डर है जिसे आप गले लगाना चाहेंगे-

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!