Updated: 06 Sep, 2024 03:58 PM
बॉलीवुड के जाने-माने निर्देशक आनंद एल रॉय ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपनी निजी जिंदगी, काम और फिल्मी करियर के बारे में खुलकर बात की।
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। बॉलीवुड के जाने-माने निर्देशक आनंद एल रॉय ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपनी निजी जिंदगी, काम और फिल्मी करियर के बारे में खुलकर बात की। इस बातचीत में उन्होंने बताया कि कैसे उनका रोजमर्रा का शैड्यूल एक घरेलू माहौल में बीतता है, जो उनके लिए कहानियों का स्रोत है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर फिल्मी दुनिया में कदम रखने से लेकर ‘तेरे इश्क में’ और ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ (9 अगस्त को हुई रिलीज)की कास्टिंग के बारे में पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश...
Q आपका पूरे दिन का शैड्यूल क्या है?
-मैं एक घरेलू आदमी हूं। मेरा ऑफिस भी ऐसा ही है, जैसे मेरा घर हो। मेरी जिंदगी की बुनियादी जरूरत अपनापन है क्योंकि वह मेरी जरूरत है। अगर मैं ऐसे माहौल में रहता हूं तो मेरे पास कहानियां भी ऐसी ही आती हैं इसलिए, मैं अपना पूरा दिन उन लोगों के साथ बिताता हूं, जो मेरे अपने हैं और मेरे अपने बहुत सारे हैं। तभी मेरे पास कहानियां भी बहुत सारी हैं।
Q इंजीनियरिंग छोड़कर आपको ऐसा क्यों लगा कि मुझे फिल्म में आना चाहिए?
-इंजीनियरिंग भी मेरा ही फैसला था। मेरी अच्छे मार्क्स आए थे। पापा ने मुझे बोला कि दिल्ली विश्वविद्यालय में तुम्हें अच्छे से अच्छे कॉलेज में एडमिशन मिल जाएगा और तुम अपनी जिंदगी जियो। उसके बाद मुझे औरंगाबाद में एडमिशन मिला और मेरा खुद का काफी मन था कि मैं कंप्यूटर इंजीनियरिंग करूंगा और नई चीजें अपनी जिंदगी में खोजूंगा लेकिन जब वह कर रहा था तो मुझे लगा कि यह मेरा काम नहीं है।
सब अच्छा चल रहा था और मैं शुरू से ही एक डीसेंट स्टूडैंट रहा हूं लेकिन यह बात समझ में आ गई थी कि कहीं न कहीं यह मेरी फील्ड नहीं है। उस वक्त भाई यहां थे और टी.वी. कर रहे थे। उसके बाद मुझे महसूस हुआ कि मुझे कहानियों में रुचि है। मुझे उसमें मजा आता है। मैं मुंबई आया और जिंदगी शुरू की। चीजें शुरू होने के बाद मुझे लगा कि यहां पर मेरे लिए कुछ है। मुझे यह समझ में आ चुका था कि अच्छा-बुरा काम जो भी होगा, मैं यहीं पर करूंगा।
Q अपने शुरूआती दिनों के बारे में कुछ बताइए?
-जैसा मैंने बताया कि मैं आते ही काम में इतना लग गया कि मैंने यह शहर भी पूरा नहीं देखा होगा। मैं इस शहर के लिए काफी शुक्रगुजार हूं। जिस दिन मैंने यहां कदम रखा, मुझे ऐसा लगने लगा कि दिन में 24 घंटे नहीं होते हैं। मुझे दिन छोटा लगने लगा। मैं काम में इतना बिजी रहता था और मुझे मजा आता था। काफी कम समय के लिए मैं सो पाता था। मेरी जिंदगी काम में ज्यादा व्यस्त रही है। ऐसा लगता था जैसे काम के साथ मेरा लव अफेयर शुरू हो गया है और मैं उसे काफी एंजॉय करने लगा।
Q 'तेरे इश्क में' का टीजर देखकर फिल्म का क्या स्टेटस है और कितने शैड्यूल हो चुके हैं?
-फिल्म की लिखाई पर काम चल रहा था, इसे हिमांशु लिख रहे हैं। अब हम तैयार हैं और इस साल के आखिर तक हम फ्लोर पर होंगे। अगले साल के आखिरी तक हम आपके सामने आएंगे।
फिल्म के म्यूजिक के सवाल पर जवाब देते हुए आनंद एल राय कहते हैं कि इस जैसी कहानी को सुनाने के लिए मतलब कुछ कहानियों को सुनाने के लिए एक पिलर की जरूरत होती है। हमारा सबसे स्ट्रॉन्ग पिलर ए.आर. रहमान हैं।
Q 'फिर आई हसीन दिलरुबा' का आइडिया कहां से आया और कास्टिंग कैसे की?
-यह कहानी कनिका ने मुझे ‘मनमर्जियां’ के बाद बताई थी। मुझे तब सुनते ही यह लगा था कि इसे सही तरीके से बनाया जाए तो यह बहुत समय से वैक्यूम है। मुझे लगता था कि एक हिंदी पल्प वाली कहानी एक बेसिक हिंदुस्तानी के मन में है और यह साथ में ये भी था कि इसे एक फिल्म या कहानी के रूप में नहीं दिखाया गया। उम्मीद करते हैं जितना पहले पार्ट को प्यार मिला, दूसरे को भी उतना ही मिले।
‘हसीन दिलरुबा’ की सारी टीम आऊटसाइडर है लेकिन कहीं न कहीं हमें इतना प्यार यहां से मिल चुका है कि मैं यह नहीं कहता कि मैं आऊटसाइडर हूं। ये सब अपनी-अपनी एक पहचान लेकर आए हैं। इनके साथ काम करके काफी मजा आता है। इसका कारण यह है कि ये लोग अपनी बात कहने से डरते नहीं हैं।
Q स्क्रिप्ट राइटर के पास कहानी है तो कनैक्ट करने का क्या प्रोसैस होता है?
-हां, यहां पर एक प्रोसैस है। जैसे मैंने बताया कि पूरी फैमिली उस पर काम कर रही होती है। मेरे ऑफिस में हर रोज अगर मैं एवरेज निकालूं तो साल के 365 दिन में 365 स्क्रिप्ट सुनी जाती हैं। यह वो स्क्रिप्ट हैं जो बिना जान-पहचान वाले राइटर्स के पास से आती हैं। एक नए राइटर से एक नई कहानी मिलती है। यह करते-करते एक डिपार्टमैंट सेट हो गया है, जहां पर आइए और अपनी कहानी सुनाइए। मेरे यहां से आपके पास एक कॉल आएगा। टीम बैठ जाएगी।
पहले बातें करेंगे और समझ में आएगा तो कहानी सुन लेंगे। इस शहर में बहुत सारे अच्छे राइटर्स हैं। काफी कुछ करने के बाद भी आपको काम कम लगेगा। यह राइटर्स के लिए काफी मुश्किल है। लेकिन संघर्ष सबका रहा है। मुझे अच्छे से याद है, जब मैंने अपनी पहली फिल्म ‘तनु वेड्स मनु’ बनाई थी तो काफी संघर्ष करना पड़ा था।