खाद्य तेल के बाद दाल पर आई अच्छी खबर, केंद्र सरकार ने लिया यह फैसला

Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Dec, 2023 03:43 PM

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गरीबों की थाली भरी रहे, इसके लिए केंद्र सरकार ने दो बड़े फैसले लिए। पहले तो खाद्य तेलों के आयात पर कस्टम ड्यूटी में पांच फीसदी छूट के फैसले को एक साल के लिए और बढ़ा दिया। इसके बाद मसूर दाल के आयात पर भी कस्टम ड्यूटी को शून्य

बिजनेस डेस्कः गरीबों की थाली भरी रहे, इसके लिए केंद्र सरकार ने दो बड़े फैसले लिए। पहले तो खाद्य तेलों के आयात पर कस्टम ड्यूटी में पांच फीसदी छूट के फैसले को एक साल के लिए और बढ़ा दिया। इसके बाद मसूर दाल के आयात पर भी कस्टम ड्यूटी को शून्य रखने के फैसले को एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया। सरकार की कोशिश है कि लोगों की आवश्यक आवश्यकता की चीजें उचित कीमत पर मिलती रहे, भले ही उसके खजाने में कुछ कम पैसे आए।

क्या हुआ फैसला

घरेलू बाजार में मसूर दाल की सप्लाई उचित कीमत पर बनी रहे, इसके लिए सरकार ने इस पर अभी आयात की शर्तों में राहत दी हुई है। सरकार ने मसूर दाल पर प्रभावी आयात शुल्क को शून्य किए हुए है। यह फैसला मार्च 2024 तक के लिए प्रभावी है। कल इस फैसले को लागू होने की अवधि को एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया। मतलब कि अब मार्च 2025 तक यह कमोडिटी जीरो कस्टम ड्यूटी पर इंपोर्ट होगा।

दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं हैं हम

यूं तो पिछले कुछ वर्षों में हमने दालों का उत्पादन बढ़ाया है। साल 2022-23 में हमने 278.10 लाख टन दलहन पैदा किया था, जो कि अब तक का सर्वाधिक है लेकिन हमारी खपत इससे भी ज्यादा की है। दुनिया भर में दाल उत्पादन में हमारी हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी की है जबिक खपत में हिस्सेदारी 28 फीसदी की। इसी तीन फीसदी के गैप को भरने के लिए हमें हर साल करीब 25 से 27 लाख टन दाल का आयात करना होता है। हमारे कुल दाल के आयात में से 50 फीसदी हिस्सेदारी म्यांमार और कनाडा की है। हमारा अधिकतर मसूर दाल तो कनाडा से ही आता रहा है, साल में करीब पांच लाख टन। इसके अलावा अरहर, चना, उड़द और मूंग की दाल का भी आयात कनाडा से होता है।

खाद्य तेलों में क्या हुआ फैसला

केंद्र सरकार ने कल ही खाना पकाने के तेल की कीमतों पर अंकुश रखने के लिए खाद्य तेल के आयात पर लागू सीमा शुल्क में कटौती को एक साल के लिए बढ़ा दिया था। दरअसल, घरेलू बाजार में एडिबल ऑयल की बढ़ती कीमत को थामने के लिए केंद्र सरकार ने इसी साल जून में क्रूड पाम ऑयल, क्रूड सनफ्लावट ऑयल और क्रूड सोयाबीन तेल पर कस्टम ड्यूटी में पांच फीसदी की कटौती की थी। उस समय इन खाद्य तेलों पर 15.5 फीसदी की कस्टम ड्यूटी लगती थी। इसे घटा कर 12.5 फीसदी कर दिया गया था। यह फैसला मार्च 2024 तक के लिए लागू था। अब सरकार ने छूट की अवधि को एक साल के लिए और बढ़ा दिया है। मतलब कि 12.5 फीसदी का रेट मार्च 2025 तक लागू रहेगा।

खाद्य तेलों के लिए कुछ ज्यादा ही आयात पर निर्भरता

दाल तो हमे बाहर से काफी कम मंगाना पड़ता है लेकिन खाद्य तेलों के मामले में हम आयात पर कुछ ज्यादा ही निर्भर हैं। हम एडिबल ऑयल की अपनी 60 प्रतिशत आवश्यकता आयात से पूरी करते हैं। खाद्य तेलों के आयात में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पाम ऑयल की ही है। हम साल भर में जितना खाद्य तेल आयात करते हैं, उनमें से करीब 60 फीसदी तो पाम ऑयल ही होता है। इसलिए यदि इस पर कस्टम ड्यूटी ज्यादा रहती है तो घरेलू बाजार में आयातित खाद्य तेल महंगे हो जाते हैं।

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