गणेशोत्सव 2025: 28,000 करोड़ के व्यापार का अनुमान, बीमा से लेकर मिठाई तक बढ़ी मांग

Edited By Updated: 27 Aug, 2025 04:22 PM

business estimated at rs 28 000 crore demand increased

मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की धूम है। 27 अगस्त से शुरू हो रहे इस पर्व में बाजारों में खरीदारों की भीड़ देखने को मिल रही है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के सर्वे के मुताबिक, इस साल गणेशोत्सव के दौरान देशभर में 28,000 करोड़...

बिजनेस डेस्कः मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की धूम है। 27 अगस्त से शुरू हो रहे इस पर्व में बाजारों में खरीदारों की भीड़ देखने को मिल रही है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के सर्वे के मुताबिक, इस साल गणेशोत्सव के दौरान देशभर में 28,000 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार होने का अनुमान है।

इस बार व्यापारियों ने विदेशी उत्पादों को त्यागकर पूरी तरह स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता दी है और ग्राहकों को भी देशी सामान अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

पंडालों से 10,500 करोड़ का खर्च

इस वर्ष देशभर में करीब 21 लाख गणेश पंडाल स्थापित किए जा रहे हैं। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 7 लाख, कर्नाटक में 5 लाख और आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश में लगभग 2-2 लाख पंडाल लगाए जाएंगे। यदि प्रति पंडाल औसतन 50,000 रुपए खर्च माना जाए, तो केवल पंडालों की सजावट और स्थापना पर 10,500 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च होगा।

प्रमुख कारोबार

  • गणेश प्रतिमाओं का व्यापार: 600 करोड़ रुपए
  • पूजा सामग्री (फूल, माला, नारियल, धूप आदि): 500 करोड़ रुपए
  • मिठाइयां और मोदक: 2,000 करोड़ रुपए
  • कैटरिंग और स्नैक्स: 3,000 करोड़ रुपए
  • पर्यटन व परिवहन (बस, टैक्सी, होटल, ट्रेनें): 2,000 करोड़ रुपए
  • रिटेल व त्योहार संबंधी वस्तुएं (कपड़े, गिफ्ट, सजावट): 3,000 करोड़ रुपए
  • इवेंट मैनेजमेंट और लॉजिस्टिक्स: 5,000 करोड़ रुपए
  • आभूषण कारोबार (सोना-चांदी की खरीदारी व दान): 1,000 करोड़ रुपए
  • बीमा कारोबार: 1,000 करोड़ रुपए से अधिक

त्योहारों का सीजन बढ़ाएगा रफ्तार

कैट के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया कि गणेश चतुर्थी भारत का प्रमुख त्योहार है और महाराष्ट्र में इसे पूरे भव्य तरीके से मनाया जाता है। यह त्योहारों का सिलसिला रक्षाबंधन से शुरू होकर नवरात्रि, दशहरा, करवा चौथ, दिवाली, छठ पूजा और विवाह सीजन तक चलता है। इससे न केवल त्योहारों की रौनक बढ़ती है बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलती है।

 

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